Vinayak Chaturthi 2024 Date: आषाढ़ महीने में कब मनाई जाएगी विनायक चतुर्थी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सुख सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। साथ ही साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साधक उपवास रख श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दौरान भगवान गणेश को मोदक और लड्डू अर्पित करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 23 Jun 2024 01:59 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayak Chaturthi 2024: हर माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। यह दिन दुखों को हरने वाले भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि पाने के लिए व्रत-उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही घर खुशियों का आगमन होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में विनायक चतुर्थी पर विशेष उपाय करने का विधान भी है। इन उपायों को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए, विनायक चतुर्थी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 जुलाई को भारतीय समयानुसार सुबह 06 बजकर 08 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 07 बजकर 51 मिनट पर होगा। इस दिन चन्द्रास्त का समय रात 09 बजकर 58 मिनट पर है। साधक 09 जुलाई को व्रत उपवास रख सकते हैं।
योग
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर एक साथ तीन मंगलकारी योग बन हैं हैं। इनमें सिद्धि योग और रवि योग दिन भर है। सिद्धि योग 10 जुलाई को देर रात 02 बजकर 27 मिनट तक है। वहीं, रवि योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 52 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन यानी 10 जुलाई को सुबह 05 बजकर 31 मिनट तक है। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 30 मिनट से सुबह 07 बजकर 52 मिनट तक है।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 30 मिनट परसूर्यास्त - शाम 07 बजकर 22 मिनट परचन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 25 मिनट परचंद्रास्त- देर रात 09 बजकर 58 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 09 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तकयह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी?
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