Vishwakarma Puja 2024: भाद्रपद महीने में कब है विश्वकर्मा पूजा? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव 16 सितंबर को सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि (Kanya Sankranti 2024) में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 16 अक्टूबर तक रहेंगे। इसके अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 42 मिनट पर सूर्य देव तुला राशि में गोचर करेंगे। बिहार और बंगाल में विश्वकर्मा पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 26 Aug 2024 07:04 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vishwakarma Puja 2024: हर वर्ष भाद्रपद महीने में विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है। यह पर्व सूर्य देव के कन्या राशि में गोचर करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर ब्रह्माजी के मानस पुत्र शिल्पकार विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। बिहार और बंगाल में विश्वकर्मा पूजा की विशेष धूम रहती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि कन्या संक्रांति तिथि पर शिल्पकार विश्वकर्मा जी का अवतरण हुआ था। अत: हर वर्ष भाद्रपद महीने में कन्या संक्रांति तिथि पर विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है। आइए, विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
यह भी पढ़ें: सितंबर महीने में कब मनाई जाएगी कन्या संक्रांति? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त (Vishwakarma Puja Shubh Muhurat)
ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य देव 16 सितंबर को संध्याकाल 07 बजकर 42 मिनट पर सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करेंगे। इस तिथि पर कन्या संक्रान्ति का क्षण संध्याकाल 07 बजकर 53 मिनट पर है। इस दिन कन्या संक्रांति भी मनाई जाएगी। कन्या संक्रांति के दिन पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 25 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल शाम 04 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 25 मिनट तक है। इस समय में पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं।
शुभ योग (Vishwakarma Puja Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो विश्वकर्मा पूजा पर दुर्लभ सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण 16 सितंबर को सुबह 11 बजकर 42 मिनट तक है। वहीं, रवि योग का निर्माण शाम 04 बजकर 33 मिनट से हो रहा है। इस योग का समापन 17 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर होगा। इस दिन शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में विश्वकर्मा जी की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 07 मिनट परसूर्यास्त - शाम 06 बजकर 25 मिनट परचन्द्रोदय- शाम 05 बजकर 27 मिनट परचंद्रास्त- सुबह 04 बजकर 57 मिनट परब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 48 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
यह भी पढ़ें: इसलिए क्षीर सागर में निवास करते हैं भगवान श्री हरि विष्णु, जानिए इसके पीछे का रहस्यडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'