Vrischika Sankranti 2024: कब मनाई जाएगी वृश्चिक संक्रांति? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
सूर्य देव के राशि परिवर्तन की तिथि पर संक्रांति (Vrischika Sankranti 2024) मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर सूर्य देव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जातक को आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है। संक्रांति तिथि पर दान-पुण्य करने का भी विधान है। संक्रांति के दिन गंग नदी के तट पर पूजा जप-तप किया जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में संक्रांति तिथि पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। इसके साथ ही पूजा, जप-तप और दान-पुण्य किया जाता है। यह पर्व सूर्य देव के राशि परिवर्तन की तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर सूर्य देव की उपासना की जाती है। धार्मिक मत है कि सूर्य देव की पूजा (Vrischika Sankranti Puja Vidhi) करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है। आइए, वृश्चिक संक्रांति की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं।
सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2024)
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आत्मा के कारक सूर्य देव 16 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 14 दिसंबर तक रहेंगे। इसके अगले दिन 15 दिसंबर को सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। इससे पूर्व सूर्य देव 19 नवंबर को अनुराधा और 2 दिसंबर को ज्येष्ठा नक्षत्र में गोचर करेंगे।
वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त (Vrischika Sankranti Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वृश्चिक संक्रांति तिथि पर पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक है। साधक पुण्य काल के दौरान गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर पूजा, जप-तप और दान-पुण्य कर सकते हैं। वृश्चिक संक्रांति के दिन महा पुण्य काल 56 मिनट का है।
वृश्चिक संक्रांति शुभ योग (Vrischika Sankranti Shubh Yog)
वृश्चिक संक्रांति पर परिघ योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन रात 11 बजकर 48 मिनट पर होगा। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग संध्याकाल से बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव रात 11 बजकर 50 मिनट तक मां गौरी के साथ रहेंगे।
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