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जब भगवान श्री कृष्ण ने त्याग दिया था बांसुरी बजाना, जानिए इससे जुड़ी एक सुंदर कथा

भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम कथा से सभी परिचित हैं। इसलिए आज भी श्री कृष्ण नाम से पहले राधा का ही नाम लिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राधा रानी के कारण भगवान श्री कृष्ण ने बांसुरी बजाना त्याग दिया था।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Thu, 15 Jun 2023 01:24 PM (IST)
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जब भगवान श्री ने त्याग दिया था बांसुरी बजाना।
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क; भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को लोक कथा एवं गीतों में सुना व पढ़ा जा सकता है। हम यह भी जानते हैं कि उन्हें अपनी बांसुरी बहुत प्रिय थी और इससे भी प्रिय था राधा रानी का संग। भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं में राधा रानी का नाम अवश्य लिया जाता है। जब भगवान श्री कृष्ण अपनी मधुर बांसुरी बजाते थे, तब राधा सहित सभी गोप-गोपियां मंत्रमुग्ध होकर उस मनमोहक ध्वनि को सुनते थे।

लेकिन क्या आप जानते हैं, कि एक घटना ऐसी भी है, जब भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी के कारण अपनी प्रिय बांसुरी को तोड़ दिया था। उसके पश्चात जीवन भर उन्होंने किसी बांसुरी को हाथ नहीं लगाया था। इस घटना के पीछे एक बड़ी सुंदर, लेकिन मार्मिक कथा जुड़ी हुई है।

आइए जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने किस घटना के बाद बांसुरी को त्याग दिया था

भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की प्रेम कथा को संपूर्ण जगत जनता है। यहां तक कि वर्तमान समय में भी राधा का नाम श्री कृष्ण से पहले लिया जाता है। किसी भी मंदिर में श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ राधा रानी के ही दर्शन मिलते हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी आया, जब भगवान श्री कृष्ण को वृंदावन और अपनी राधा को छोड़कर मथुरा जाना पड़ा। तब राधा रानी ने अपने कृष्ण से एक वचन मांगा था कि जब वह अपने अंतिम समय के निकट होंगी, तब एक बार कान्हा उन्हें दर्शन जरूर देंगे। भगवान श्री कृष्ण ने इस वचन को प्रेम सहित स्वीकार किया था।

इसके पश्चात श्री कृष्ण ने मथुरा जाकर दैत्य कंस का वध किया और माता रुक्मणी से विवाह कर लिया। फिर उन्होंने आलोकिक नगरी द्वारिका को बसाया और वह द्वारकाधीश बन गए। इसी समय महाभारत का भी युद्ध लड़ा गया, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अहम भूमिका निभाई थी और पार्थ अर्जुन को जीवन के अमूल्य ज्ञान से अवगत कराया था। राधा रानी ने भी विवाह कर अपने कर्तव्यों का पालन किया। लेकिन कृष्ण के प्रेम को कभी न भुला पाई। उन्होंने कृष्ण की प्रतीक्षा में अपने कर्तव्यों का पालन किया। जब वह वृद्ध अवस्था में पहुंची तब उन्होंने अपने कृष्ण का आह्वाहन किया। भगवान श्रीकृष्ण भी अपने वचन को पूरा करने के लिए राधा रानी से मिलने आए।

राधा रानी से अंतिम बार मिलने आए श्री कृष्ण

राधा को इस अवस्था में देखकर श्री कृष्ण बहुत व्याकुल हुए और उनसे कुछ मांगने को कहा। लेकिन राधा ने कुछ भी मांगने से साफ इनकार कर दिया। उनकी अंतिम इच्छा यही थी कि वह पहले की तरह ही अपने कृष्ण की मधुर बांसुरी सुनें। श्री कृष्ण प्रिय राधा की बात मानते हुए, बांसुरी बजाने लगे। बांसुरी की धुन इतनी मधुर थी कि राधा रानी ने कृष्ण के कंधे पर सिर रख दिया और मुरली की धुन सुनते हुए ही अपने प्राण त्याग दिए और गोलोक को प्रस्थान कर गईं। राधा के चले जाने से कृष्ण इतने आहत हुए कि उन्होंने उसी समय अपनी बांसुरी को तोड़ दिया। भगवान श्री कृष्ण को अपनी बांसुरी बहुत प्रिय थी, लेकिन उससे भी अधिक प्रिय था राधा का प्रेम। इस घटना के पश्चात भगवान श्रीकृष्ण ने कभी भी बांसुरी को हाथ नहीं लगाया और राधा के चले जाने के साथ ही मुरली की मधुर ध्वनी भी मंद हो गई।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।