पता है कि क्यों हुई थी शिव पार्वती के विवाह में गणेश पूजा
हिंदु कर्मकांड के अनुसार विवाह संस्कार में गणपति पूजन अनिवार्य है इसी के चलते शिव पार्वती के विवाह में भी उनका पूजन किया गया पर क्यों।
By Molly SethEdited By: Updated: Sun, 25 Nov 2018 09:00 PM (IST)
शिव-पार्वती के विवाह में पुत्र गणेश की पूजा
सभी जानते हैं कि गणेश जी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं, और यह भी कहते हैं कि शिव-पार्वती के विवाह में उनकी पूजा हुई थी, क्योंकि शुभ कार्यों में गणपति पूजा का विधान है। ऐसे में अक्सर लोग वेदों एवं पुराणों के विवरण को न समझ पाने के कारण शंका करते हैं कि गणेशजी अगर शिवपुत्र हैं तो फिर अपने विवाह में शिव-पार्वती ने उनका पूजन कैसे किया। इसको लेकर लोगों का संशय बना रहता है। आइये जाने सच क्या है जिसका समाधान तुलसीदासजी ने एक स्थान पर किया है। वे कहते हैं कि मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि।
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि। इसका अर्थ है कि विवाह के समय ब्रह्मवेत्ता मुनियों के निर्देश पर शिव-पार्वती ने गणपति की पूजा संपन्न की। कोई व्यक्ति संशय न करें, क्योंकि देवता (गणपति) अनादि होते हैं। यानि इसका अर्थ यह हुआ कि भगवान गणपति किसी के पुत्र नहीं हैं। वे अज, अनादि व अनंत हैं। भगवान शिव के पुत्र जो गणेश हुए, वह तो उन गणपति के अवतार हैं, जिनका उल्लेख वेदों में पाया जाता है। गणेश जी वैदिक देवता हैं, परंतु इनका नाम वेदों में गणेश न होकर ‘गणपति’ या ‘ब्रह्मणस्पति’ है। जो वेदों में ब्रह्मणस्पति हैं, उन्हीं का नाम पुराणों में गणेश है। ऋग्वेद एवं यजुर्वेद के मंत्रों में भी गणेश जी के उपर्युक्त नाम देखे जा सकते हैं।
विघ्नहर्ता भगवान गणेश
भगवान गणेश जहां विघ्नहर्ता हैं वहीं रिद्धि और सिद्धि से विवेक और समृद्धि मिलती है। शुभ और लाभ घर में सुख सौभाग्य लाते हैं और समृद्धि को स्थायी और सुरक्षित बनाते हैं। सुख सौभाग्य की चाहत पूरी करने के लिये बुधवार को गणेश जी के पूजन के साथ ऋद्धि-सिद्धि व लाभ-क्षेम की पूजा भी विशेष मंत्रोच्चरण से करना शुभ माना जाता है। इसके लिये सुबह या शाम को स्नानादि के पश्चात ऋद्धि-सिद्धि सहित गणेश जी की मूर्ति को स्वच्छ या पवित्र जल से स्नान करवायें, लाभ-क्षेम के स्वरुप दो स्वस्तिक बनाएं, गणेश जी व परिवार को केसरिया, चंदन, सिंदूर, अक्षत और दूर्वा अर्पित कर सकते हैं। तो अब स्पष्ट हो गया होगा कि कैसे शिव विवाह में गणपति हुए प्रथम पूज्य।