Ekdant Ganesh Story: ऐसे मिला भगवान गणेश को एकदंत नाम, परशुराम जी से जुड़ी है कथा
भगवान गणेश की आराधना बेहद कल्याणकारी मानी जाती है। उनकी पूजा करने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो जातक भगवान गणेश की पूजा सच्चे भाव के साथ करते हैं उन्हें जीवन की सभी चुनौतियों और बाधाओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही व्यक्ति कल्याण की ओर अग्रसर होता है। ऐसे में बप्पा की पूजा अवश्य करें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ व नए कार्य की शुरुआत करने से पहले गणपति पूजा का विधान है। उन्हें देवताओं में प्रथमपूज्य माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बप्पा की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान गणेश को गजानन, एकाक्षर, विघ्नहर्ता, एकदंत आदि नामों से जाना जाता है, जिनका अपना-अपना महत्व है। आज हम गणेश जी के एकदंत (Ekadanta) नाम की महिमा जानेंगे कि आखिर उन्हें यह नाम कैसे प्राप्त हुआ?
क्या है बप्पा के एकदंत होने की वजह?
एक दांत टूटा होने की वजह से गणेश भगवान को एकदंत कहा जाता है। साथ ही इस बात को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने पहुंचे थे, लेकिन भोलेनाथ उस समय ध्यानमग्न थे, जिसके चलते भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। हालांकि कैलाशपति के परमभक्त परशुराम जी इस बात पर अटल थे कि वे शिव जी से बिना मिले नहीं जाएंगे।
वहीं, भगवान गणेश भी अपनी बात पर पूर्ण अडिग थे। इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया और उन्होनें गणेश जी को युद्ध के लिए ललकारा, जिसे बप्पा ने स्वीकार कर लिया और दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। इसके बाद परशुरान जी ने शिव जी से ही प्राप्त फरसे से भगवान गणेश पर वार किया।
गजानन ने अपने पिता के अस्त्र का आदर रखा और परशुराम जी के प्रहार से उनका एक दांत टूट गया। एक दांत टूट जाने के कारण भगवान गणेश एकदंत कहलाएं। हालांकि इस घटना के पश्चात भगवान परशुराम को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने बप्पा को समस्त तेज, बल, कौशल और ज्ञान से परिपूर्ण आशीष प्रदान किया।
यह भी पढ़ें: Nag Panchami 2024 Wishes: नाग पंचमी के शुभ अवसर पर इन संदेशों के जरिए भेजें अपनों को शुभकामनाएंअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।