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Amavasya: जानें, क्यों अमावस्या की रात भूत-प्रेत रहते हैं सक्रिय और पूर्णिमा पर आते हैं आत्महत्या के विचार

Amavasya तंत्र साधना करने वाले जानकारों की मानें तो अमावस्या की रात को धरती पर भूत-प्रेत निशाचर विचरण करते हैं। इस समय में तांत्रिक सिद्धि करते हैं। कई बुरी आत्माएं तांत्रिक और डायन के संपर्क में रहते हैं तो कई सामान्य मनुष्य की तलाश में रहते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 24 Apr 2023 04:47 PM (IST)
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Amavasya: जानें, क्यों अमावस्या की रात भूत-प्रेत रहते हैं अधिक सक्रिय और पूर्णिमा पर आते हैं आत्महत्या के विचार
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Amavasya: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या पड़ती है। वहीं, शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा पड़ती है। आसान शब्दों में कहें तो कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा की तिथि पड़ती है। एक वर्ष में 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा होती हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को पूजा, जप, तप करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, अमावस्या तिथि पर पितरों का श्राद्ध कर्म भी किया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अमावस्या की रात को भूत-प्रेत अधिक सक्रिय रहते हैं, तो पूर्णिमा की रात को लोगों के मन में आत्महत्या के विचार आते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं

अमावस्या

तंत्र साधना करने वाले जानकारों की मानें तो अमावस्या की रात को धरती पर भूत-प्रेत निशाचर विचरण करते हैं। पितृ भी तर्पण और श्राद्ध के लिए धरती पर आते हैं। इस समय में तांत्रिक सिद्धि करते हैं। कई बुरी आत्माएं तांत्रिक और डायन के संपर्क में रहते हैं, तो कई सामान्य मनुष्य की तलाश में रहते हैं। इसके लिए अमावस्या की रात को देर रात अकेले घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसे लोग बुरी आत्माओं के संपर्क में आ सकते हैं। इसके लिए बड़े बुजुर्ग अमावस्या की रात को अकेले घर से बाहर नहीं निकलने देते हैं। इस बारे में ज्योतिषियों की मानें तो चन्द्रमा मन के कारक होते हैं। चूंकि अमावस्या की रात चन्द्रमा दिखाई नहीं देता है। इस वजह से मन अशांत रहता है। साथ ही रजो और तमो गुणी वाले अनिष्ट शक्तियां धरती पर मौजूद रहते हैं। इसके लिए भी अमावस्या की रात भूत प्रेत अधिक सक्रिय रहते हैं।

पूर्णिमा

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पूर्णिमा की रात को चंद्रमा का प्रभाव अधिक रहता है। इससे शरीर के अंदर रक्त में न्यूरॉन सेल्स अधिक एक्टिव हो जाते हैं। इस दौरान व्यक्ति ज्यादा भावुक हो जाता है। उसका मन शांत नहीं रहता है। इस बेचैनी में उसे रात भर नींद आती है। इसके अलावा, पूर्णिमा की रात को समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है। इससे पानी का स्तर बढ़ जाता है। शरीर में लगभग 85 प्रतिशत जल है। इस वजह से लोगों के मन में आत्महत्या के विचार आते हैं।

डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''