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Ganesh Chaturthi 2023: जानें, क्यों देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पहले की जाती है पूजा ?

Ganesh Chaturthi 2023 चिर काल में एक बार देवताओं के मध्य श्रेष्ठता को लेकर वाक्य युद्ध हो गया। आसान शब्दों में कहें तो देवताओं के मध्य वैचारिक मतभेद हो गया। उस समय सभी देवता एक दूसरे से स्वयं को श्रेष्ठ बताने लगे। यह देख नारद जी संशय में पड़ गए कि अगर देवताओं के मध्य इसी तरह वाक्य युद्ध चलता रहा तो दानव इसका अवश्य लाभ उठाएंगे।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 18 Sep 2023 03:42 PM (IST)
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Ganesh Chaturthi 2023: जानें, क्यों देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पहले की जाती है पूजा ?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Ganesh Chaturthi 2023: सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश जी की विधि-विधान से पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु भगवान गणेश के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की आराधना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही आय, आयु, भाग्य, धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। वहीं, गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की विशेष पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर साधक भगवान गणेश की प्रतिमा घर पर स्थापित कर उनकी पूजा और सेवा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है ? आइए, कथा के माध्यम से जानते हैं-

कथा 

सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि चिर काल में एक बार देवताओं के मध्य श्रेष्ठता को लेकर वाक्य युद्ध हो गया। आसान शब्दों में कहें तो देवताओं के मध्य वैचारिक मतभेद हो गया। उस समय सभी देवता एक दूसरे से स्वयं को श्रेष्ठ बताने लगे। यह देख नारद जी संशय में पड़ गए कि अगर देवताओं के मध्य इसी तरह वाक्य युद्ध चलता रहा, तो दानव इसका अवश्य लाभ उठाएंगे।

यह सोचकर नारद जी ने देवताओं को भगवान शिव के शरण में जाने की सलाह दी। सभी देवता देवों के देव महादेव के पास पहुंचे। उन्हें स्थिति से अवगत कराया। उस समय महादेव ने कहा-यह तो गंभीर विषय है क्योंकि आप सभी अपने आप में सर्वश्रेष्ठ हैं, लेकिन प्रथम तो कोई एक ही पूजे जाएंगे। इसके लिए आप सभी ब्रह्मांड की परिक्रमा कर आएं। आप में जो सबसे पहले कैलाश आएंगे। उन्हें ही विजेता माना जाएगा। साथ ही सबसे पहले उनकी ही पूजा की जाएगी।

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यह सुन सभी देवता अपने वाहनों पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने निकल गए। इस प्रतिस्पर्धा में भगवान गणेश भी शामिल थे। सभी देवताओं के जाने के पश्चात, भगवान गणेश अपने माता-पिता यानी महादेव और माता पार्वती की सात परिक्रमा कर उनके शरणागत खड़े हो गए। कुछ समय पश्चात, बारी-बारी से देवता कैलाश लौटे।

सबके लौटने के बाद भगवान शिव ने गणपति बप्पा को विजेता घोषित कर दिया। यह सुनकर सभी देवता अचंभित हो गए। उस समय भगवान शिव ने कहा कि माता-पिता का स्थान सर्वोत्तम होता है। उनकी पूजा और सेवा सबसे पहले की जाती है। अतः आज से गणेश जी की पूजा सबसे पहली की जाएगी। सभी देवताओं ने भगवान शिव के फैसले को स्वीकार्य किया। कालांतर से भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है। 

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।