First Wedding Invitation: क्यों शादी का पहला कार्ड भगवान को दिया जाता है और क्या है इसका महत्व?
ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र देव लड़कों के विवाह के कारक होते हैं। कुंडली में शुक्र मजबूत होने या शुक्र की महादशा पर जातक की शादी के योग बनते हैं। विवाह भाव में शुक्र के रहने पर जातक की शादी के योग 26 वें वर्ष से बनने लगते हैं। हालांकि विवाह के लिए अन्य ग्रहों और भावों का भी विचार किया जाता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 25 Jun 2024 05:25 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। First Wedding Invitation ritual: हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। आषाढ़ माह में 28 जून को कालाष्टमी है। इस दिन विवाह और सुखों के कारक शुक्र देव उदित होंगे। वर्तमान समय में शुक्र तारा अस्त है। ज्योतिषियों की मानें तो गुरु और शुक्र तारा के अस्त रहने पर विवाह समेत सभी प्रकार के मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। 28 जून को शुक्र देव उदित होंगे। इसके बाद अगले चार दिनों तक शिशुत्व रूप में रहेंगे। इसके बाद 03 जुलाई को शुक्र देव यौवनत्व रूप प्राप्त करेंगे। इस दिन से सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाएंगे। इस दिन से विवाह हेतु लग्न मुहूर्त है। वर्तमान समय से लोग विवाह की तैयारियों में जुटे हैं। इसका प्रमाण नीता अंबानी (Anant and Radhika merchant wedding card) द्वारा काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव को अपने पुत्र के विवाह का निमत्रंण देने से मिलता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शादी का पहला कार्ड किसे दिया जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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शादी का पहला कार्ड किसे दिया जाता है?
ज्योतिषियों की मानें तो शादी का पहला कार्ड (First Wedding Invitation ritual) रिद्धि और सिद्धि के कारक भगवान गणेश को दिया जाता है। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण कर शादी का कार्ड देकर विवाह में आने का निमंत्रण दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि निमंत्रण पाकर भगवान गणेश विवाह में अदृश्य रूप में अवश्य उपस्थित होते हैं। उनकी कृपा से विवाह में कोई बाधा नहीं आती है। साथ ही विवाह कार्यक्रम सफल रूप से संपन्न होता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥