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Ramayana Katha: आज भी जीवित हैं रावण के भाई विभीषण! जानें यहां

Ramayana Katha हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता हैं कि आठ महान विभूतियां आज भी सशरीर जीवित हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इन प्रातः स्मरणीय चिंरजीवियों में से एक हैं रावण का भाई विभीषण। आइए जानते हैं विभीषण के चिरंजीवी होने की कथा...

By Jeetesh KumarEdited By: Updated: Fri, 09 Jul 2021 10:00 AM (IST)
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अष्ट चिंरजीवियों में क्यों शामिल है रावण के भाई विभीषण का भी नाम, जानें रहस्य

Ramayana Katha: हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता हैं कि आठ महान विभूतियां आज भी सशरीर जीवित हैं। जिनमें से कुछ रामायण काल की हैं तो कुछ महाभारत काल की तथा कुछ विभूतियां उससे भी पहले के काल से आज तक जीवित हैं यथा परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि। मान्यता है कि ये विभूतियां अनंत काल तक धरती पर सशरीर रह कर धर्म की रक्षा और मानव मात्र की सेवा करती रहेंगी। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इन प्रातः स्मरणीय चिंरजीवियों में से एक हैं रावण के भाई राक्षस राज विभीषण। आइए जानते हैं प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त विभीषण के चिरंजीवी होने की कथा...

अष्टचिरंजीवी श्लोक और उसका अर्थ

अश्वत्थामा बलिव्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

श्लोक का सरल अर्थ- अश्वथामा, बलि, वेद व्यास, हनुमान जी, विभीषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम ये सात चिंरजीवी हैं और इन सातों के साथ आठवें चिरंजीवी मार्कण्डेय ऋषि के नाम रोज सुबह जाप करना चाहिए। इनके नाम का जाप से व्यक्ति को निरोगी शरीर और लंबी आयु मिलती है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार अश्वथामा, बलि, वेद व्यास, हनुमान जी, कृपाचार्य, भगवान परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि के साथ- साथ राक्षस राज विभीषण भी चिंरजीवियों में शामिल हैं। उत्तर रामायण में प्रसंग आता है कि जब प्रभु श्री राम अपने पुत्रों लव-कुश को अयोध्या का राज-पाठ सौंप कर परमधाम लौट रहे थे। भगवान राम ने अपने अन्नय भक्त रूद्रावतार हनुमान जी को धरती लोक में भक्तों के संकट दूर करने और धर्म की रक्षा के लिए कलयुग के अंत तक धरती पर रहने को कहा।

प्रभु श्रीराम का वरदान

हनुमान जी के साथ ही प्रभु श्रीराम के एक और अन्नय भक्त थे राक्षस राज विभीषण। जो की राक्षस कुल में पैदा होने के बाद भी नीति और सत्य के प्रति कर्तव्य निष्ठ रहे। हालांकि विभीषण को कुल नाशक के नाम से कलंकित किया जाता है, लेकिन विभीषण ने परिवार से अधिक नीति और धर्म का साथ दिया। विभीषण ने अपने बड़े भाई रावण और सभी राक्षसों को अनीति के रास्ते पर चलने से मना किया था। लेकिन अपनी शक्ति के मद में चूर रावण उसकी एक नहीं सुनी और उसे घर से निकाल दिया। भगवान राम के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा और भक्ति के कारण प्रभु श्रीराम ने न केवल विभीषण को लंका का राज्य सौंपा, बल्कि अनंत काल तक धर्म की रक्षा का कर्तव्य भी दिया। प्रभु श्री राम के इसी वरदान के कारण विभिषण आज भी जीवित हैं और प्रातः स्मरणीय चिरंजीवीयों में शामिल हैं।

डिसक्लेमर

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