Sindoor: जानें, क्यों शादी के बाद महिलाएं मांग में लगाती हैं सिंदूर और क्या है इसका धार्मिक महत्व
Sindoor दैवीय काल से सनातन धर्म में विवाहित महिलाएं स्नान ध्यान करने के बाद सबसे पहले मांग में सिंदूर लगाती हैं। वर्तमान समय में भी महिलाएं स्नान-ध्यान करने के बाद मां पार्वती को सिंदूर अर्पित कर मांग भरती हैं।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Sindoor: सनातन धर्म में विवाह को पवित्र कर्मकांड माना गया है। इस मौके पर उत्सव जैसा माहौल रहता है। वर और वधु विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों का पालन कर परिणय सूत्र में बंधते हैं। इनमें सात फेरे, कन्यादान और सिंदूरदान प्रमुख हैं। वर और वधु अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं। इसके बिना विवाह पूर्ण नहीं माना जाता है। वहीं, सिंदूरदान के बाद विवाह संपन्न माना जाता है। इसमें वधु की मांग में वर द्वारा सिन्दूर भरा जाता है। इसके बाद ताउम्र के लिए वर और वधु एक दूसरे को हो जाते हैं। शादी के पश्चात, विवाहित महिलाएं रोजाना मांग में सिंदूर लगाती हैं। साथ ही सोलह श्रृंगार भी करती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि महिलाएं विवाह के बाद भी रोजाना क्यों मांग में सिंदूर लगाती हैं ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
धार्मिक पक्ष
दैवीय काल से सनातन धर्म में विवाहित महिलाएं स्नान ध्यान करने के बाद सबसे पहले मांग में सिंदूर लगाती हैं। वर्तमान समय में भी महिलाएं स्नान-ध्यान करने के बाद मां पार्वती को सिंदूर अर्पित कर मांग भरती हैं। त्रेता युग में माता सीता भी मांग में सिंदूर लगाती थी। उन्हें सिंदूर लगाते देख हनुमान जी ने भी अपने पूरे शरीर में सिंदूर लेप लिया था। इसके लिए हनुमान जी को पूजा में सिंदूर अवश्य भेंट की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मांग में सिंदूर लगाने से जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही पति की आयु भी लंबी होती है। इसके लिए विवाहित महिलाएं शादी के बाद रोजाना मांग में सिंदूर लगाती हैं।
वैज्ञानिक पक्ष
जानकारों की मानें तो मांग में सिंदूर लगाने से दिमाग शांत रहता है। साथ ही उच्च रक्तचाप भी कंट्रोल में रहता है। सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है। इस धातु की अधिकता से चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं। वहीं, नजर और बुरी बला को टालने के लिए भी महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं।
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