Gupta Navratri 2023:आज इस विधि से करें मां काली की पूजा, सभी दुख और संकट हो जाएंगे दूर
Gupta Navratri 2023 नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन और मस्तिष्क सहस्रार चक्र में अवस्थित रहता है। मां कालरात्रि को भैरवी रुद्रानी चामुंडा चंडी महाकाली भद्रकाली रौद्री और धुमोरना नामों से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां कालरात्रि के दर्शन मात्र से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। मां काली अपने भक्तों की हमेशा कल्याण करती हैं।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Gupta Navratri 2023: आज आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की सप्तम शक्ति मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन साधक विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु निशाकाल में मां की कठिन भक्ति करते हैं। अतः नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन और मस्तिष्क 'सहस्रार चक्र' में अवस्थित रहता है। मां कालरात्रि को भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, महाकाली, भद्रकाली, रौद्री और धुमोरना नामों से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां कालरात्रि के दर्शन मात्र से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। मां काली अपने भक्तों की हमेशा कल्याण करती हैं। जब उन पर कोई विपदा आन पड़ती है, तो मां अवश्य रक्षा करती हैं। आइए, मां कालरात्रि की पूजा-विधि एवं मंत्र जानते हैं-
मां का स्वरूप
ममतामयी माँ कालरात्रि की कृपा दृष्टि भक्तों पर रहती है। वहीं, दुष्टों का समूल नाश करती हैं। दानवों के लिए मां काल हैं। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां काली के स्मरण मात्र से भूत प्रेत, पिशाच और निशाचर छूमंतर हो जाते हैं। मां काली के मुख पर उग्र स्वभाव है, किंतु मां ममता की सागर हैं। मां काली अपने एक हाथ में कृपाण धारण की हैं, तो दूजे हाथ में असुरों का कटा शीश है। मां के तीसरे हाथ में तलवार और चौथे हाथ में पात्र है। दानवों के मुंडों की माला मां काली पहन रखी हैं।
पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्म बेला में उठें और मां कालरात्रि को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और व्रत संकल्प लें। तत्पश्चात, सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तदोउपरांत, पूजा गृह को गंगाजल से शुद्ध करें और निम्न मंत्रों से मां कालरात्रि का आह्वान करें-
-एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता |
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ||
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा |
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||
- या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः
इसके पश्चात, मां कालरात्रि की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, जौ, अक्षत, काले तिल, पीली सरसों आदि से करें। पूजा के समय मां काली चालीसा, कवच, स्तुति का पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन प्राप्ति की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। शाम में पूजा-आरती के पश्चात फलाहार करें। मां काली की पूजा निशाकाल में होती है। अतः रात्रि के समय में मां की उपासना और मंत्र जाप अवश्य करें।
मां काली की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती ॥
तेरे भक्त जनों पर,
भीड़ पड़ी है भारी मां ।
दानव दल पर टूट पड़ो,
मां करके सिंह सवारी ।
सौ-सौ सिंघो से बलशाली,
अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टो को पल में संहारती ।
ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग में,
बडा ही निर्मल नाता ।
पूत-कपूत सुने हैं पर न,
माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करुणा बरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती ।
ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती ॥
नहीं मांगते धन और दौलत,
ना चांदी ना सोना मां ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन में,
इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती ।
ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती ॥
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