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Gupta Navratri 2023 Day 9: इस विधि से करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, घर में आएगी सुख और समृद्धि

Gupta Navratri 2023 Day 9 मां सिद्धिदात्री चार भुजा धारी हैं। एक हाथ में कमल पुष्प तो दूजे में गदा धारण की हैं। तीसरे हाथ में चक्र एवं चौथे हाथ में शंख धारण की हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है। इससे समस्त संसार प्रकाशवान है। शास्त्रों में आठ सिद्धियों का उल्लेख है। इन आठ सिद्धियों का संपूर्ण स्वरूप मां सिद्धिदात्री हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 26 Jun 2023 05:29 PM (IST)
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Navratri 2023: नवरात्रि के अंतिम दिन इस विधि से करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, घर में आएगी सुख और समृद्धि

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Gupta Navratri 2023: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का भी विधान है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि देवों के देव महादेव ने मां सिद्धिदात्री की उपासना कर सिद्धि प्राप्त की थी। धार्मिक मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को सभी कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही करियर और कारोबार में तरक्की और उन्नति मिलती है। अतः साधक नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा-उपासना करते हैं। आइए, मां का स्वरूप और पूजा विधि और जानते हैं-

स्वरूप

मां सिद्धिदात्री चार भुजा धारी हैं। एक हाथ में कमल पुष्प, तो दूजे में गदा धारण की हैं। तीसरे हाथ में चक्र एवं चौथे हाथ में शंख धारण की हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है। इससे समस्त संसार प्रकाशवान है। शास्त्रों में आठ सिद्धियों का उल्लेख है। इन आठ सिद्धियों का संपूर्ण स्वरूप मां सिद्धिदात्री हैं। मां सिद्धिदात्री को अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है।

पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन ब्रह्म बेला में उठकर मां सिद्धिदात्री को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें और नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर लाल रंग का वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा गृह में गंगाजल छिड़ककर मां सिद्धिदात्री का निम्न मंत्र से आह्वान करें।

- ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

इसके पश्चात, मां सिद्धिदात्री की पूजा फल, फूल, लाल पुष्प, धूप, दीप आदि से करें। मां को पूरी, हलवा और खीर अति प्रिय है। अतः मां को पूरी, हलवा और खीर अवश्य अर्पित करें। इसके पश्चात, दुर्गा चालीसा, कवच, स्तुति का पाठ और मंत्र जाप अवश्य करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और इच्छा पूर्ति हेतु कामना करें। दिनभर उपवास रखें और शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें। इस समय जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा जरूर दें। इसके बाद अन्न-जल ग्रहण करें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।