देवी योगमाया भगवान श्रीकृष्ण की बहन थी, जो उनसे बड़ी थीं
दिल्ली में मां योगमाया का मंदिर है। यह प्राचीन मंदिर महाभारत के समय से है। इस प्राचीन मंदिर ने दिल्ली को कई बार उजड़ते और बसते हुए देखा है। यह मंदिर है दिल्ली के महरौली में स्थित है
By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 30 Jun 2016 12:09 PM (IST)
द्वापर युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया, ठीक उनके पहले मां दुर्गा ने योग माया के रूप में जन्म लिया था। मां दुर्गा का यह दिव्य अवतार कुछ समय के लिए था।
गर्गपुराण के अनुसार भगवान कृष्ण की मां देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही बदलकर कर रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे बलराम का जन्म हुआ। योगमाया ने यशोदा के गर्भ से जन्म लिया था। इनके जन्म के समय यशोदा गहरी नींद में थीं और उन्होंने इस बालिका को देखा नहीं था। वहीं कंस के कारागार में देवकी के आठवें पुत्र के जन्म लेने के बाद वसुदेव उस बालक को नंद के यहां यशोदा के पास लिटा दिया, जिससे बाद में आंख खुलने पर यशोदा ने बालिका के स्थान पर पुत्र को ही पाया। और वसुदेव यशोदा के यहां जन्मी बालिका( योगमाया) को मथुरा वापस आ गये और जब कंस ने उस बालिका को मारना चाहा तो वह हाथ से छूट कर आकाशवाणी करती हुई चली गईं। देवी योगमाया के बारे में कहा जाता है कि वे भगवान श्रीकृष्ण की बहन थी, जो उनसे बड़ी थीं।
देश की राजधानी दिल्ली में मां योगमाया का मंदिर है। यह प्राचीन मंदिर महाभारत के समय से है। इस प्राचीन मंदिर ने दिल्ली को कई बार उजड़ते और बसते हुए देखा है। यह मंदिर है दिल्ली के महरौली में स्थित है। मां योगमाया ने कृष्ण के साथ योगविद्या और महाविद्या बनकर कंस, चाणूर और मुष्टिक आदि शक्तिशाली असुरों का संहार कराया था। श्रीमद्भागवद्पुराण में देवी योगमाया को ही विंध्यवासिनी कहा गया है। शिवपुराण में उन्हें सती का अंश बताया गया है।