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चिंतन धरोहर: ईश्वर को जानें, पढ़िए परमहंस योगानंद जी के विचार

श्री श्री परमहंस योगानंद जी से जानिए कि जीवन में ईश्वर किस रूप में व्यक्ति को दर्शन देते हैं और उनके कष्ट किस तरह दूर कर देते हैं। साथ ही जानिए कि ईश्वर का सच्चा संदेश मनुष्य के लिए क्या है?

By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 23 Apr 2023 04:55 PM (IST)
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पढ़िए भगवान को समझने का तरीका और उनका सच्चा संदेश।
नई दिल्ली, श्री श्री परमहंस योगानंद; प्रत्येक वस्तु ईश्वर है। यह कमरा और ब्रह्मांड एक चलचित्र की भांति मेरी चेतना के पट पर तैर रहे हैं। जब आप सिनेमाघर में पीछे मुड़कर प्रक्षेपण कक्ष की ओर देखते हैं तो आप केवल प्रकाश पुंज को पाते हैं, जो पर्दे पर चित्रों को प्रक्षेपित करता है। उसी प्रकार, यह सृष्टि ईश्वर के प्रकाश से सृजित एक चलचित्र के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है, जो अविश्वसनीय प्रतीत होता है, परंतु यह सत्य है। मैं इस कमरे पर दृष्टि डालता हूं और मैं विशुद्ध ब्रह्म, विशुद्ध प्रकाश एवं विशुद्ध आनंद के अतिरिक्त और कुछ नहीं देखता। ईश्वर सर्वत्र सबको व्याप्त किए हुए संसार में वास करते हैं (गीता के अनुसार)।

मेरे शरीर का और आप सबके शरीरों के चित्र और इस संसार की सभी वस्तुएं उस पवित्र ज्योति से प्रवाहित होती हुई मात्र प्रकाश किरणें हैं। जब मैं उस पवित्र ज्योति को देखता हूं तो मुझे विशुद्ध ब्रह्म के अतिरिक्त कहीं कुछ दिखाई नहीं देता। अब यह बहुत सरल प्रतीत होता है, परंतु जब मैं छोटा बालक था, हर रात मैंने प्रार्थना की, परंतु कोई उत्तर नहीं आया। एक ओर मैं अज्ञानी मानवता को देखता और दूसरी ओर अनंतता को, जो मुझसे बात नहीं करती थी। मैंने सोचा ईश्वर ने मुझे त्याग दिया है। लेकिन उन्होंने मुझे त्यागा नहीं था। वे हर समय मेरे विचारों के पीछे और मेरी भावनाओं के पीछे छिपे हुए थे। जब मैंने अंतर में प्रकाश देखना आरंभ किया, तो मेरी आत्मा रहस्यमय ढंग से दिव्य सुगंधि से भर जाती थी।

मैं पेड़ों की जड़ों और उनमें प्रवाहित होता रस देख सकता था। तब मैंने परमात्मा को अपने निकट अनुभव करना आरंभ किया। दिन-रात बार-बार मैंने प्रार्थना की और ईश्वर को पुकारा। जब किसी भी वस्तु का मेरे लिए कोई महत्व नहीं रह गया, जब मन से मैंने प्रत्येक वस्तु का त्याग कर दिया। अब सदा के लिए वे मेरे साथ हैं। संसार मुझे त्याग सकता है, परंतु वे मुझे कदापि नहीं त्याग सकते। मानवीय प्रेम की लालसा न करें, यह समाप्त हो जाएगा। मानवीय प्रेम के पीछे ईश्वर का आध्यात्मिक प्रेम है। उसे खोजें। घर के लिए या धन के लिए या प्रेम के लिए या मित्रता के लिए प्रार्थना न करें। इस संसार की किसी वस्तु के लिए प्रार्थना न करें। ईश्वर जो कुछ आपको देते हैं, केवल उसी में आनंदित रहें। अन्य सब कुछ माया की ओर ले जाता है।

मनुष्य पृथ्वी पर केवल ईश्वर को जानना सीखने के लिए आया है। वह किसी और कारण से यहां नहीं है। यही ईश्वर का सच्चा संदेश है। जो उन्हें खोजते हैं और उनसे प्रेम करते हैं, उन सबको वे उस महान जीवन के विषय में बताते हैं, जहां कोई पीड़ा नहीं है, कोई वृद्धावस्था नहीं है, कोई युद्ध नहीं है, कोई मृत्यु नहीं है। केवल शाश्वत आश्वासन है। उस जीवन में कुछ भी नष्ट नहीं होता। वहां केवल वर्णनातीत आनंद है, जो कभी फीका नहीं पड़ा। एक आनंद, जो नित्य नवीन रहता है। अत:, इस कारण ईश्वर की खोज करना उचित ही है। वे सभी भक्त जो सच्चाई से उन्हें खोजते हैं, वे उन्हें अवश्य प्राप्त करेंगे। जो ईश्वर को प्रेम करना चाहते हैं और उनके साम्राज्य में प्रवेश करने की लालसा रखते हैं और जो सच्चे हृदय से उन्हें जानना चाहते हैं, वे उन्हें पा लेंगे। उनके लिए आपके मन में इच्छा सदा बढ़ती रहनी चाहिए। वे आपको दिए गए वचन को अनंतता तक निभा कर आपके प्रेम का प्रत्युत्तर देंगे। आप तब अंतहीन आनंद और सुख को जान पाएंगे। प्रकाश, आनंद, शांति, प्रेम, ये ही सबकुछ हैं।