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Dhanteras 2023: धन्वंतरि का ध्यान कर अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेष्ट रहें

स्वास्थ्य यदि ठीक नहीं तो भौतिक धन का क्या उपयोग हो सकता है। धन त्रयोदशी देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि की जयंती भी है। कहा जाता है कि वह समुद्र मंथन में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। अत धन त्रयोदशी पर धन्वंतरि का ध्यान कर अपने स्वास्थ्य के प्रति भी सचेष्ट रहें। आपके पास जो मानव शरीर है यह भी तो ईश्वर का दिया बड़ा उपहार है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 05 Nov 2023 11:34 AM (IST)
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Dhanteras 2023: धन्वंतरि का ध्यान कर अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेष्ट रहें

श्री श्री रविशंकर (योग गुरु, द आर्ट आफ लिविंग) | धन त्रयोदशी या धनतेरस पर्व की विशेषता यही है कि उस दिन आप यह मानें कि आप जो चाहते हैं, वह धन आपके पास है। केवल सोना-चांदी ही धन नहीं है, ज्ञान भी धन है। यह सबसे बड़ा धन है। आपको अपने ज्ञान को संजोना चाहिए और प्रचुरता का अनुभव करना चाहिए। जीवन में धन्यभागी अनुभव करना, कृतज्ञता का अनुभव करना सबसे बड़ा धन है, जिनमें कृतज्ञता का अभाव होता है, वे धनी नहीं होते हैं।

स्वास्थ्य भी धन है। स्वास्थ्य यदि ठीक नहीं, तो भौतिक धन का क्या उपयोग हो सकता है। धन त्रयोदशी देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि की जयंती भी है। कहा जाता है कि वह समुद्र मंथन में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। अत: धन त्रयोदशी पर धन्वंतरि का ध्यान कर अपने स्वास्थ्य के प्रति भी सचेष्ट रहें। योग व ध्यान करें। आपके पास जो मानव शरीर है, यह भी तो ईश्वर का दिया बड़ा उपहार है। यह भी धन है।

हमारी चेतना में ऐसा गुण है कि जो बीज आप बोते हैं, वही प्रकट होता है। यदि आप यह सोचें कि वर्तमान में मेरे पास पर्याप्त धन है, तब आप धन के पीछे पागल नहीं होते। जब आप सोचते हैं कि मेरे पास पर्याप्त धन है, चेतना में धैर्य आता है, हिम्मत आती है। कहा गया है, उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः, जिसका अर्थ है, जो मेहनत करता है और शेर जैसा निर्भय होकर चलता है, लक्ष्मी भी उसी के पास आती हैं।

धनतेरस के दिन अपनी चेतना से ‘अभाव के भाव’ को उखाड़ कर फेंक दीजिए। अपने मन से, ‘मैं विपन्न हूं, मैं भिखारी हूं’ ये सब बातें हटा दीजिए। शेर की तरह सम्मान के साथ चलिए। आप यह देखिए कि जो आपके पास है, क्या वह अन्य लोगों के पास है? अक्सर लोग अपनी तुलना अपने से ऊपर वालों से करते हैं और कहते हैं, ‘अरे, उसके पास तो बहुत है, मेरे पास एक मकान है, उसके पास चार हैं’। जिनके पास एक भी मकान नहीं है, जब आप उनकी ओर देखेंगे तो आपको लगेगा कि मैं भी धनी हूं, मेरे पास एक मकान तो है।

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अपनी स्थिति को स्वीकार करने और उसे बेहतर बनाने के लिए कर्म करने के लिए धन त्रयोदशी का पर्व आपको प्रेरित करता है। धनतेरस कृतज्ञता और तृप्ति अनुभव करने का दिन है। धनतेरस के उपलक्ष्य में अपने घर में जो भी चीजें रखी हुई हैं, वे सब सामने रखकर हम यह अनुभव करते हैं कि हमारे पास तो सब कुछ भरपूर है।

यह याद आते ही अभाव मिट जाता है। हमारे भीतर का लोभ मिट जाता है। जब लोभ और अभाव मिट जाए, तृप्ति झलकने लगे, तो समझिए भीतर का दीया जल गया और अंधेरा मिट गया है। इसलिए यह अंधेरा मिटाने के लिए हमें ज्ञान का दीया जलाना चाहिए। ज्ञान ही तो सबसे बड़ा धन है। आपके पास जो कुछ भी है, उसके लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का अनुभव करना चाहिए।