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Dhanteras 2024: क्या आपका धन भी है सात्विक? यहां पढ़ें धनतेरस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

धन प्रसन्नता नहीं देता लेकिन जिस प्रकार धन कमाया वह सही है तो घर के अंदर प्रसन्नता और आशीष लेकर आता है।अक्सर हमारा ध्यान कितना कमाएं इस पर रहता है लेकिन हमारा ध्यान धन कमाने की सही विधि पर होना चाहिए तो आइए धन त्रयोदशी के मौके पर कुछ ऐसी बातों को जानते हैं जो हमारे जीवन में समृद्धि लेकर आती हैं।

By Jagran News Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 28 Oct 2024 03:51 PM (IST)
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Dhanteras 2024: क्या आपका धन भी है सात्विक?
ब्रह्मा कुमारी शिवानी (आध्यात्मिक प्रेरक वक्ता)। पांच दिवसीय दीपावली उत्सव का पहला पर्व है धनतेरस। इस दिन मुख्य रूप से स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि के साथ-साथ धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है। लोग अपने घर व बाहर को स्वच्छ व साफ रखते हैं, देवी लक्ष्मी का पूजन व आवाहन करते हैं, जीवन में धन संपत्ति, सुख-शांति व समृद्धि के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। यदि हम धन की देवी मां लक्ष्मी की प्रतिमा को ध्यान से देखें तो बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। अक्सर मां की मूर्ति का एक हाथ धन देने की मुद्रा में और दूसरा हाथ वरदान व आशीष देने की मुद्रा में होता है। इससे शिक्षा मिलती है कि जीवन में जो भी धन हमारे पास आए, वह दूसरों के आशीष के साथ आए, उसके बिना नहीं, क्योंकि घर के अंदर आशीष के साथ जो धन आता है, वह प्रसन्नता लाता है।

धन प्रसन्नता नहीं देता, लेकिन जिस प्रकार धन कमाया, वह सही है तो घर के अंदर प्रसन्नता और आशीष लेकर आता है। अक्सर हमारा ध्यान कितना कमाएं, इस पर रहता है, लेकिन हमारा ध्यान धन कमाने की सही विधि पर होना चाहिए।

धन-संपत्ति की वृद्धि

न तो धन उपार्जन बुरा है ना ही धन-संपत्ति की वृद्धि करना अनुचित है, पर अनुचित विधियों से धन एकत्रित करना उचित नहीं है। देखा जाए तो आशीष और शुभकामनाओं के साथ धन कमाने की विधि बहुत सरल और सहज है। जैसे कि जिस स्थान व संस्था में हम काम करते हैं, हमेशा उसका धन्यवाद करें। जिनके साथ और जिनके लिए हम काम करते हैं, उन्हें हृदय से धन्यवाद करें, सहयोग दें। पैसों का महत्व बहुत है, पर वह हमेशा शुभकामनाओं और आशीष के साथ हमारे पास आना चाहिए। जीवन में कोई भी परिस्थिति आती है तो उसे पार करने के लिए धन, बल के साथ शुभकामनाओं की शक्ति भी चाहिए। कई बार बहुत सारी धन-संपत्ति भी वह काम नहीं कर पाती है, जो आशीर्वाद और शुभकामनाओं का बल कर सकता है और जीवन में चमत्कार ला सकता है।

धनलक्ष्मी का मतलब

चूंकि धन एक ऊर्जा के साथ हमारे पास आता है। इसलिए धन का सात्विक होना बहुत जरूरी है। सात्विक व पवित्र धन सुखदाई ढंग से कमाया गया होता है। यदि उस धन के पीछे किसी का दर्द छिपा है और वह अनुचित ढंग से मिला है तो ऐसे धन को घर नहीं लाना चाहिए, क्योंकि वह सिर्फ धन है, धनलक्ष्मी नहीं। धनलक्ष्मी का मतलब है वह सात्विक धन, जिसके लिए श्रीलक्ष्मी की पूजा करते हैं। जिस पैसे से हम कोई वस्तु क्रय करते हैं, अगर वह धन लोगों के आशीष और शुभकामनाओं के साथ नहीं कमाया गया है तो वह दुखदायी होगा। हमें ऐसा धन घर में नहीं लाना चाहिए, जिसके लिए किसी के साथ कोई छल किया गया हो। ऐसा धन घर में पीड़ा और दुर्भाग्य लाता है।

ऐसे कमाए धन

कई लोग व्यवसाय करते हैं और दान भी करते हैं। यदि वे अनुचित ढंग से कमाए गए धन में से कुछ अंश दान करते हैं, अस्पताल या पूजा स्थल बनाते हैं और समझते हैं कि इससे पुण्य कमा लेंगे तो यह धारणा सही नहीं है। अच्छे कर्म में भी पाप से कमाए धन से पुण्य प्राप्त नहीं हो सकता है। अच्छे कर्म का अच्छा फल तो मिलेगा, पर धन अर्जन हेतु किए गए पाप का फल भी मिलेगा और पुण्य कर्म से पाप कर्म का फल समाप्त नहीं होगा। अत: जीवन में सुख-शांति चाहिए तो आशीष व शुभकामनाओं के साथ धन कमाएं।