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हर समस्या का समाधान होता है

हर समस्या का समाधान होता है। शायद एक नहीं अनेक समाधान होते हैं। दिक्कत यह है कि या तो हम समस्याओं का सामना करने से ही कतराते हैं या फिर सामना करते हैं तो पूरे मनोयोग से नहीं। किसी भी काम को मनोयोगपूर्वक करने में समय लगता है, लेकिन हम

By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 21 Jan 2016 10:42 AM (IST)
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हर समस्या का समाधान होता है

हर समस्या का समाधान होता है। शायद एक नहीं अनेक समाधान होते हैं। दिक्कत यह है कि या तो हम समस्याओं का सामना करने से ही कतराते हैं या फिर सामना करते हैं तो पूरे मनोयोग से नहीं। किसी भी काम को मनोयोगपूर्वक करने में समय लगता है, लेकिन हम अन्य बातों में इतना उलङो रहते हैं कि कभी भी समस्या को पूरा समय नहीं दे पाते। हम खंड-खंड में अपना समय देते हैं। फलत: हमें प्रभावकारी समाधान नहीं मिल पाता। हममें से अधिकांश अपने जीवन की बौद्धिक, सामाजिक या आध्यात्मिक समस्याओं को कभी पूरा समय नहीं देते। लिहाजा वे बनी ही रहती हैं। समस्याएं कभी अपने-आप तिरोहित नहीं होतीं। उन्हें हल करने में समय लगता है।
समयाभाव का बहाना बनाकर हम अप्रिय समस्याओं की उपेक्षा करना चाहते हैं। यह उपेक्षा समस्याओं को दूर कर देती तो फिर चिंता की कोई बात ही नहीं, पर ऐसा होता नहीं। समस्या ज्यों-की-त्यों बनी रहती है और समय-असमय हमें परेशान कर जाती है। जीवन की समस्याओं के समाधान का एक ही तरीका है और वह यह है कि उन्हें सुलझाया जाए। इसके लिए हमें पहले किसी भी समस्या के प्रति अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी पड़ेगी, पर हममें से अधिकांश लोग अपनी समस्या से कतराना चाहते हैं। हम अपनी हर समस्या के लिए किसी अन्य व्यक्ति को या सामाजिक परिस्थितियों को दोषी ठहराते हैं। और फिर कुछ नहीं हुआ तो अपनी हर समस्या को भाग्य का खेल या ग्रहों का दोष ठहरा देते हैं। यह सचमुच बेहद हास्यास्पद है।
समस्याओं से निपटने का एक ही तरीका है सत्य के प्रति पूर्ण समर्पण। इस संसार की वास्तविकता को हम जितनी कम स्पष्टता से देखेंगे, उतना ही हमारे मन में भ्रम और गलत दृष्टि अपना पैर पसारेगी। इससे हम सही निर्णय करने या सही कदम उठाने में कम समर्थ होते जाएंगे। वास्तविकता के प्रति हमारी दृष्टि एक नक्शे की तरह है। इसी नक्शे के सहारे हमें अपने निर्णय लेने होते हैं। यदि नक्शा बिल्कुल सही है तो हम जान जाएंगे कि हम कहां हैं। यदि हमने कहीं जाने का निश्चय कर लिया है तो हम सही दिशा की ओर बढ़ भी सकते हैं। यदि हमारा नक्शा ही गलत है तो फिर भटकना ही हमारी नियति बन जाता है। हम अपनी जिंदगी के नक्शे के साथ पैदा नहीं होते।