Ganga Saptami 2024: भारत की आत्मा व भारतीयों का प्राण तत्व हैं गंगा
गंगा में जो मिल जाता है वह उसे अपने जैसा पवित्र व शुद्ध बना देती हैं। गंगा हमें मुक्ति भी देती हैं भक्ति भी देती हैं शक्ति भी देती हैं और शांति भी देती हैं। गंगा न केवल भारतीयों या हिंदुओं के लिए हैं बल्कि वह सभी के लिए हैं। गंगा कभी भी किसी के भी साथ भेद नहीं करतीं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 12 May 2024 01:04 PM (IST)
स्वामी चिदानंद सरस्वती (परमाध्यक्ष, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश): भारत की सनातन, आध्यात्मिक व धार्मिक यात्रा गंगा से ही शुरू होती है और सनातन धर्म को मानने वालों की तो पूरी जीवन यात्रा जन्म से लेकर मृत्यु तक गंगा की गोद में ही पूर्ण होती है। गंगा एक नदी ही नहीं, बल्कि जीवंत व जाग्रत मां हैं, जो भारत की आत्मा व भारतीयों का प्राण तत्व हैं। गंगा ने न केवल राजा सगर के पुत्रों का उद्धार किया, बल्कि वह तब से लेकर अब तक, जो भी उनकी शरण में आता है, उसे शांति व सद्गति प्रदान करती आ रही हैं। गंगा के बिना भारत की आध्यात्मिक यात्रा अधूरी है।
गंगा नहीं तो तीर्थ नहीं, गंगा नहीं तो तीर्थाटन नहीं। मेरे लिए तो गंगा भारत का शृंगार हैं, जिन्हें धारण किए हुए भारत सदियों से गौरवान्वित हो रहा है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘नदियों में मैं गंगा हूं।’ धरती पर अनेक नदियां हैं, जो कि गंगा से बड़ी हैं, लंबी हैं, विशाल हैं और अपार जलसंपदा वाली भी हैं, लेकिन गंगा तो गंगा हैं, जिनके तटों पर न जाने कितने ऋषि, मनीषी, साधक, संत व श्रद्धालुओं ने तपस्या की। गंगा के पावन जल में वेदों के मंत्र, भारत की संस्कृति का नाद, भारतीयों की आस्था, जप, ध्यान, संस्कार व मां के प्रति अपने बच्चों का विश्वास समाहित है।
वर्तमान में कहां-कहां गंगा का जल स्वच्छ है और कहां-कहां नहीं, यह वैज्ञानिक विषय है, लेकिन गंगा की पवित्रता युगों-युगों से बरकरार है। कहते हैं कि गंगाका उद्गम हिमालय है, इसलिए उसका जल अद्वितीय है जबकि हिमालय से तो अन्य कई छोटी-बड़ी नदियां भी निकलती हैं, लेकिन उनके जल के गुणधर्म गंगा जल की तरह तो नहीं हैं। गंगा गंगोत्री से एक छोटी-सी धारा के रूप में निकलती है, बाद में उसमें कई छोटी-बड़ी नदियां मिलती हैं और फिर गंगा अपार जलसंपदा लिए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
यह पढ़ें: ईश्वर प्राप्ति के लिए इन बातों को जीवन में जरूर करें आत्मसात: सद्गुरुगंगा में जो मिल जाता है, वह उसे अपने जैसा पवित्र व शुद्ध बना देती हैं। गंगा हमें मुक्ति भी देती हैं, भक्ति भी देती हैं, शक्ति भी देती हैं और शांति भी देती हैं। गंगा न केवल भारतीयों या हिंदुओं के लिए हैं, बल्कि वह सभी के लिए हैं। गंगा कभी भी किसी के भी साथ भेद नहीं करतीं। गंगा हमें एकजुट करती हैं। प्रतिदिन सांध्य बेला में हम परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में गंगा तट पर गंगा की आरती का आयोजन करते हैं।
उस एक घंटे की आरती में हमें सारे भेदभाव से ऊपर उठकर समता, सद्भाव, समरसता व एकजुटता के साक्षात दर्शन होते हैं। श्रद्धालु न केवल गंगा तट पर आकर अपने भाव समर्पित करते हैं, बल्कि देश-विदेश से भी आनलाइन जुड़कर अपने हाथों में आरती का थाल लिए अपनी आस्था व श्रद्धा समर्पित करते हैं। गंगा की लंबी यात्रा में शायद ही कोई ऐसा शहर या गांव होगा, जहां सांध्य बेला में ‘ऊँ जय गंगे माता’ के स्वर न गूंजते हों। यह समर्पण केवल गंगा के प्रति ही हो सकता है। इस जीवन और जीविका दायिनी गंगा को आज हमारे समर्पण व संकल्प की जरूरत है, ताकि यह स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त व पर्यावरण युक्त बनी रहे।