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Happy New Year 2024: वर्ष 2024 में कुछ पल परमात्मा के ध्यान, व्यायाम व सकारात्मक चिंतन के अभ्यास में लगाएं

Happy New Year 2024 वर्ष 2024 को बेहतर बनाना है। इसके लिए कुछ दृढ़ संकल्प भी लेने हैं और सदा उन शुभ व श्रेष्ठ संकल्पों को साथ रखना है। अगर अशुभ निकृष्ट व दुखदाई सोच वृत्ति दृष्टि बोल या कर्म व्यवहार से हमने कलयुगी वातावरण बनाया है तो हम अपनी शुभ श्रेष्ठ व सुखदायी संकल्प भावना दृष्टिकोण और आचरण से संसार को सतयुगी बनाने में योगदान दे सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 31 Dec 2023 12:31 PM (IST)
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Happy New Year 2024: वर्ष 2024 में कुछ पल परमात्मा के ध्यान, व्यायाम व सकारात्मक चिंतन के अभ्यास में लगाएं
ब्रह्मा कुमारी शिवानी (आध्यात्मिक प्रेरक वक्ता)।  Happy New Year 2024: पिछला वर्ष चमत्कार का वर्ष रहा। कुछ अप्रिय घटनाओं के साथ सकारात्मक घटनाएं हुईं। लोगों का मनोबल व आत्मविश्वास बढ़ा। अब इन सकारात्मक अनुभूतियों को आगे बढ़ाना है। वर्ष 2024 को बेहतर बनाना है। इसके लिए कुछ दृढ़ संकल्प भी लेने हैं और सदा उन शुभ व श्रेष्ठ संकल्पों को साथ रखना है। अगर अशुभ, निकृष्ट व दुखदाई सोच, वृत्ति, दृष्टि, बोल या कर्म, व्यवहार से हमने कलयुगी वातावरण बनाया है, तो हम अपनी शुभ, श्रेष्ठ व सुखदायी संकल्प, भावना, दृष्टिकोण और आचरण से संसार को सतयुगी बनाने में योगदान दे सकते हैं। अत: नए वर्ष में हम कुछ ऐसे संकल्प लें, जिनसे हमारे जीवन व समाज में सकारात्मक बदलाव आएं। नववर्ष पर शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, घर-परिवार, व्यवसाय और संबंध आदि से संबंधित हमें कुछ शुभ संकल्प लेने हैं और उन्हें पूरा करना है। ये संकल्प इस प्रकार हो सकते हैं :

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- मन, वचन और कर्म से न दुख देना है, ना लेना है। सबको आत्मिक सुख देना और लेना है।

- सबके प्रति आत्मिक दृष्टि, वृत्ति, शुभ भावना व कल्याण की कामना रखना है।

- जो और जैसे हम हैं, उसे स्वीकार कर जैसे हम अपने को देखना या बनाना चाहते हैं, उसका चिंतन करें।

- स्वयं को रोगी, निर्बल या असहाय न समझें। हमेशा यह चिंतन करना है कि मैं स्वस्थ हूं, मन-बुद्धि से ईश्वर के साथ हूं। मैं दिन-प्रतिदिन शक्तिशाली बनता जा रहा हूं।

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- नियमित रूप से कुछ समय अपने लिए निकालें। कुछ पल आध्यात्मिक ज्ञान, परमात्मा के ध्यान, शारीरिक व्यायाम व सकारात्मक चिंतन के अभ्यास में लगाएं। सात्विक खान-पान व स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। जैसे हमारे विचार और संस्कार होंगे, वैसा ही हमारा संसार बन जाएगा। इसलिए पहले हमे सात्विक संस्कार अपनाना है। तभी सतयुगी संसार का मार्ग प्रशस्त होगा। यह हम सभी का जिम्मेदारी है।