Holika Dahan 2023: परखें अपनी संकल्प शक्ति को और जानिए कैसे पड़ता है इसका जीवन पर प्रभाव?
Holika Dahan 2023 होलिका दहन (छह मार्च) का पर्व इस बात का प्रतीक है कि भक्त प्रह्लाद की तरह यदि संकल्प यदि दृढ़ है और ईश्वर के प्रति आस्था है तो संसार की किसी भी प्रकार की अग्नि उस संकल्प को हानि नहीं पहुंचा सकती।
By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 26 Feb 2023 04:23 PM (IST)
नई दिल्ली, डा. प्रणव पण्ड्या (प्रमुख, अखिल भारतीय गायत्री परिवार) | Holika Dahan 2023: संसार की सारी सफलताओं का मूल मंत्र है संकल्प शक्ति। इसी के बल पर विद्या, संपत्ति, साधनों का उपार्जन और सिद्धि की प्राप्ति होती है। यही वह आधार है, जिस पर आध्यात्मिक तपस्याएं और साधना निर्भर रहती है। यही वह संबल है, जिसे पाकर संसार में खाली हाथ आया मनुष्य वैभव सम्पन्न, ऐश्वर्यवान और विभिन्न सिद्धि प्राप्त कर दुनिया को चकित कर देता है। जीवन में उन्नति और सफलता की आकांक्षा करने से पहले अपनी संकल्प शक्ति को प्रबल तथा प्रखर बना लेने वालों को न कभी असफल होना पड़ता है और न ही निराश।
हिंदू शास्त्रों में कहा गया है संकल्प मूलः कामः अर्थात् कामना पूर्ति का मूल संकल्प को बताया है। प्रतिज्ञा, नियमाचरण तथा धार्मिक अनुष्ठानों में भी वृहत्तर शक्ति संकल्प की होती है। जिन विचारों-संकल्पों से मनोभूमि में स्थायी प्रभाव पड़ता है और जिनसे अंतःकरण में अमिट छाप पड़ती है, वे पुनरावृत्ति के कारण स्वभाव के अंग बन जाते हैं। ऐसे विचारों का अपना एक विशेष महत्त्व होता है। इन विचारों को क्रमबद्ध रीति से सजाने की क्रिया जिन्हें ज्ञात होती है, वे अपना भाग्य, दृष्टिकोण और वातावरण परिवर्तित कर सकते हैं और इस परिवर्तन के फलस्वरूप जीवन में कोई विशेष स्थिति या सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं।
संकल्प का दूसरा रूप है आत्मविश्वास, साहस। यह जाग्रत व सुदृढ़ हो जाए, तो अपना विकास तेजी से पूरा करते हुए इच्छित सफलता या सिद्धि को प्राप्त कर सकेंगे। जब संकल्प शक्ति से कोई भी व्यक्ति आगे बढ़ता है, तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होता। उसके आगे कितनी भी बाधाएं आ जाएं, तब भी वह सतत आगे बढ़ता चला जाता है। भक्त प्रह्लाद को जीवन में अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा, फिर भी असफलता से हार नहीं मानी और निराशा को पास नहीं फटकने दिया। हमेशा ईश्वरीय विधान एवं संकल्प के अनुसार कार्य करते हुए फल की प्राप्ति में जुटे रहे। वे अपने पिता हिरण्यकश्यपु के आतंक से त्रस्त होने के बावजूद अपने संकल्प के साथ सदैव आगे बढ़ते रहे और इच्छित सफलताएं हस्तगत की। इसीलिए होलिका दहन का पर्व इस बात का प्रतीक है कि यदि संकल्प यदि दृढ़ है और ईश्वर के प्रति आस्था है तो संसार की किसी भी प्रकार की अग्नि उस संकल्प को हानि नहीं पहुंचा सकती। वह संकल्प को सिद्धि बनने से नहीं रोक सकती। मीराबाई, स्वामी विवेकानंद, युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य आदि ऐसे नाम हैं, जिनके जीवन में अनेक बाधाएं आईं, फिर भी संकल्प के साथ सतत आगे बढ़ते रहे और इच्छित सफलताएं अर्जित कीं।
संकल्प का संबंध सत्य और धर्म से होता है। शून्य से सिद्धि प्राप्ति की ओर, अधर्म से धर्म की ओर, अन्याय से न्याय की ओर, असत्य से सत्य की ओर, कायरता से साहस की ओर, मृत्यु से जीवन की ओर अग्रसर होने में संकल्प की सार्थकता है। भारतीय धर्म में अनुशासन की इस उदात्त परंपरा का ध्यान रखते हुए ही गुरुजन सत्यं वद, धर्मम् चर का संकल्प अपने शिष्यों से कराते रहे हैं।आध्यात्मिक तत्वों की अभिवृद्धि की तरह ही भौतिक उन्नति की नैतिक आकांक्षा को बढ़ाना भी संकल्प के अंतर्गत ही आता है। जहां अपने स्वार्थों के लिए अधर्माचरण शुरू कर दिया जाता है, वहां संकल्प का लोप हो जाता है और वह कृत्य अमानुषिक, आसुरी, हीन और निष्कृष्ट बन जाता है। संकल्प के साथ जीवन शुद्धता की अनिवार्यता भी जड़ी हुई है। संकल्प की इस परंपरा में अपनी उज्ज्वल गाथाओं को ही जोड़ा जा सकता है। संकल्प को इसी जीवन की उत्कृष्टता का मंत्र समझना चाहिए। उसका प्रयोग मनुष्य जीवन के गुण विकास और सिद्धि प्राप्ति के लिए होना चाहिए।
संकल्प चिरस्थायी होते हैं और सूक्ष्म जगत में इनका बड़ा प्रभाव पड़ता है। ये व्यक्ति के मन पर अपना अधिकार जमाकर उन्हें आकर्षित करते हैं। एक सशक्त संकल्प वाले मस्तिष्क से दूसरे मनुष्य के मन में विचारधाराएं जाती हैं। जिस प्रकार भक्त प्रह्लाद ने अपनी संकल्प शक्ति से ईश्वर के पास अपनी प्रार्थना भेजी और अग्नि में कभी न जलने का वरदान प्राप्त होलिका से प्राणों की रक्षा की।श्रुति कहती है- संकल्प मयो पुरुषं। अर्थात् व्यक्ति संकल्पों की प्रतिमूर्ति है। उसके पुरुषार्थ की सार्थकता संकल्प की उत्कृष्टता पर निर्भर है। जब अभिष्ट प्रयोजन के लिए साहसपूर्वक कमर कस ली जाय और निश्चय कर लिया जाय कि कठिनाइयों का धैर्य और साहसपूर्वक सामना करते हुए उसके निराकरण के लिए तत्पर रहा जाएगा तो फिर वह निष्ठाभरी व्यक्ति की सामर्थ्य देखती बनती है। व्यक्ति की संकल्प शक्ति संसार का सबसे बड़ा चमत्कार है, उसके आधार पर छोटे स्तर पर खड़ा हुआ व्यक्ति ऊंचे से ऊंचे स्थान पर पहुंच जाता है। जिसके पास कभी भी जीतने की, सफलता प्राप्त करने की, कार्य सिद्धि की आशा है, काम में उत्साह है और मन में धैर्य है, उसका संकल्प निःसंदेह सफल होकर रहता है।
व्यक्ति की सबसे बड़ी क्षमता उसकी संकल्प शक्ति है। सोच समझकर लक्ष्य निर्धारित करना और फिर मनोयोग एवं पुरुषार्थ एकत्रित कर इस प्रयोजन में लगा देना, यही संकल्प की प्रखरता का चिह्न है। सिद्धि या सफलता उन्हें वरण करती है, जो धैर्यवान हैं और तब तक निर्धारित पथ पर चलते रहने की हिम्मत रखते हैं, जब तक कि मंजिल तक पहुंच न जाया जाए। विजयश्री ऐसे पुरुषार्थी और संकल्प शक्ति संपन्न वीर पुरुषों की प्रतीक्षा करती है, सफलता का श्रेय उन्हें ही मिलता है। अत: होलिका दहन मनाते समय अपने भीतर की संकल्प शक्ति को भी परखिए।