सनातन धर्म के सिद्धांत विशाल आकाश से भी अधिक व्यापक हैं
हमारे राम सीमाओं से परे हैं। उनकी दिव्यता की कोई सीमा नहीं है। राम नाम को लेकर कृपया कोई भी राजनीति ना करे। राम साध्य हैं राम को साधन ना बनाएं। राम नाम को कुछ समय के लिए साधन बनाकर अपना हित साधने के लिए इस्तेमाल ना करें। रामचरितमानस पोथी नहीं सनातन धर्म की ज्योति है। पोथी पुरानी भी हो सकती है लेकिन ज्योति पुरानी नहीं हो सकती।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 08 Oct 2023 02:06 PM (IST)
मोरारी बापू (प्रसिद्ध कथावाचक)। सनातन सभी को स्वीकार करता है। यह उसकी उदारता है। यह उसकी महानता है। पूरे विश्व के युवाओं में सनातन के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। सनातन में सब आ जाते हैं। चींटी के पैर से लेकर बड़े-बड़े जीव तक सनातन धर्म में आते हैं। सनातन सूर्य जितना सत्य है। धर्म किसी सीमा में नहीं आता। सत्य, प्रेम और करुणा ही हमारे लिए धर्म है, इसलिए इसमें समरसता, सामंजस्य व सद्भाव है। कुछ लोग सनातन धर्म की विशालता को, उदारता को, महानता को स्वीकार नहीं कर पाते, इसलिए खराब बातें करते हैं। धर्मांतरण के प्रयास भी होते रहते हैं।
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मैं तो बार-बार कह रहा हूं कि जो लोग किसी भी कारण से हिंदू धर्म छोड़कर गए हैं, वे अब घर वापस लौट आएं। मेरी व्यास पीठ बार-बार गा रही है- आ लौट के आजा मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं। सबके धर्म और देवताओं व महापुरुषों की अपनी महिमा है। क्यों धर्मांतरण करवाते हो। सनातन धर्म की हमारी शाखाओं पर झूलो, उस पर घोंसला बनाओ, लेकिन उनको काटने की चेष्टा मत करो। सिर्फ प्रयाग ही नहीं, पूरा देश संगम है। यह संगमी संस्कृति है।
आज के दौर में सनातन धर्म की पवित्रता की रक्षा और संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। सनातन धर्म से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों और भ्रांतियों पर चिंता होना स्वाभाविक है। सभी संतों को इन मुद्दों के समाधान के लिए एक साथ आने की आवश्यकता है। संतों के बीच एकता पूरे समुदाय में एकजुटता की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। साथ ही सनातन धर्म की प्राचीन और पूजनीय परंपराओं के बारे में गलत सूचनाओं और गलत धारणाओं से सामूहिक रूप से निपटने की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम भी होगा।
कुछ लोगों के हाल के बयानों और घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जहां सनातन धर्म के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियां और तुलनाएं की गई हैं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि सनातन धर्म के सभी संतों और आध्यात्मिक विभूतियों के लिए एक आम मंच पर एक साथ आना महत्वपूर्ण होगा। इन घटनाओं ने हमारी प्राचीन और पूजनीय परंपरा को लेकर गलत बयानी और गलत धारणाओं के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं।
आगामी कुंभ मेले के दौरान एक सामूहिक शक्ति के रूप में एकजुट होकर हम इन मुद्दों को संबोधित कर सकते हैं। गलत सूचनाओं का मुकाबला कर सकते हैं और सनातन धर्म की पवित्रता को संरक्षित कर सकते हैं। मैं चाहता हूं कि हम इन मुद्दों को उनके प्रारंभिक चरण में ही समाप्त करें, जब वे महज बीज हों। उन्हें जड़ जमाने और बढ़ने का मौका ना दिया जाए। यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि सनातन धर्म के विरुद्ध जो कुछ भी शुरू हुआ है, उसे प्रारंभिक चरण में ही समाप्त किया जाए, जिससे हमारी पोषित परंपरा का भविष्य सुरक्षित रहे।
धर्म अमृत (अमर) है और सनातन धर्म शुद्ध अमृत के सार का प्रतीक है। धर्म के पहले "शुद्ध" शब्द लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सनातन धर्म अपने शुद्धतम रूप का प्रतीक है। हिंदू धर्म के अनुयायियों को आत्मविश्वास के साथ खुद को हिंदू कहना चाहिए और राम का नाम लेना चाहिए। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की कथा में मैंने कहा है कि पूरे विश्व में जहां भी हिंदू हैं, उन्हें राम का नाम लेने में और खुद को हिंदू कहने में झिझक नहीं होनी चाहिए।
पूरी दुनिया ने देखा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने राम कथा में पहुंचकर गर्व के साथ खुद को हिंदू कहा था। प्रत्येक सनातनी को गौरव होना चाहिए कि वह सनातन धर्म से है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री की यह बात सभी के लिए प्रेरणादायक है कि वे कथा में एक हिंदू के रूप में आए हैं। आप सभी हिंदू पहचान को लेकर इतने लज्जित क्यों हैं। गांधी जी ने और स्वामी विवेकानंद जी ने भी कहा था कि वे हिंदू हैं। हिंदू होना, सनातनी होना खुले दिमाग और व्यापक स्वीकृति का पर्याय है। हिंदू धर्म और सनातन धर्म के सिद्धांत विशाल आकाश से भी अधिक व्यापक हैं।
सनातन धर्म को लेकर की जा रहीं खराब बातों पर भी मुझे सवाल किए जाते हैं। मैं कहता हूं कि सनातन धर्म इतना उदार है कि सबको क्षमा करता जा रहा है। सभी जानते हैं कि किसी और धर्म के लिए कहा जाए तो क्या हाल होता है। सनातन वैदिक परंपरा है। सनातन धर्म बहती हुई गंगा है। तमाम संप्रदायों की धाराएं इसी में से निकली हैं। सनातन या संविधान को लेकर भी सवाल किए जाते हैं। मेरा मानना है कि संविधान सनातन की छाया में होना चाहिए।
हाल ही में एक फिल्म (आदि पुरुष) के डायलॉग पर काफी आपत्ति हुई। कई पत्रकारों ने मुझसे पूछा, क्या आप भी इससे आहत हुए? इसके जवाब में मैंने कहा कि आहत तो नहीं हुआ, लेकिन इन पर दया आती है। रामकथा संवाद की कथा है। इसमें विवाद हो, ऐसे संवाद क्यों डाले जाएं? रामानंद सागर ने रामायण बनाई तो उन्होंने बहुत समझदारी से उसका चित्रण किया। कोई भी कुछ भी बनाए, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि विवाद पैदा करने वाले संवाद प्रयोग ना किए जाएं। रामकथा धर्म सभा नहीं, प्रेम सभा है। मुहब्बत करते हो तो आओ, खुला है मुहब्बत का मयखाना।
हमारे राम सीमाओं से परे हैं। उनकी दिव्यता की कोई सीमा नहीं है। राम नाम को लेकर कृपया कोई भी राजनीति ना करे। राम साध्य हैं, राम को साधन ना बनाएं। राम नाम को कुछ समय के लिए साधन बनाकर अपना हित साधने के लिए इस्तेमाल ना करें। रामचरितमानस पोथी नहीं, सनातन धर्म की ज्योति है। पोथी पुरानी भी हो सकती है, लेकिन ज्योति पुरानी नहीं हो सकती। यह स्वयं प्रकाशमान है। इसमें ना घी, ना बाती और ना दीये कि जरुरत है। ये जो चाँद, सूरज उगते है, मानस की ज्योति में अपनी सार्थकता लिए प्रकाश उड़ेल रहे हैं। कलयुग में नाम प्रभाव है। पोथी के बिना कुछ भी नहीं। मानस के बिना भी कुछ नहीं। सनातन की ज्योति रामचरित मानस में राजधर्म बताया गया है। राजनीति और राजधर्म अलग है। राजनीति में साम, दाम, दंड, भेद आते हैं। राजधर्म में इनमें से कुछ नहीं आता है। राजधर्म वह है, जिसमें सबसे पहले साधु का मत लिया जाता है, फिर लोक का मत लिया जाता है। हम सनातन के मानने वाले हैं तो वेद का मत लिया जाए।
तुलसी पीठाधीश्वर श्री रामभद्राचार्य ने सनातन धर्म की जो व्याख्या की है, मैं सदैव उसकी प्रशंसा करता हूं। उन्होंने कहा है कि सनातन परमात्मा ने सनातन जीवों के सनातन दुखों की सनातन निवृत्ति के लिए सनातन वेदों में जिन सनातन उपायों की सनातन संहिता का सनातन संकलन किया है, उसका नाम सनातन धर्म है।