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यदि ऐसा होता तो घटोत्कच नहीं, अर्जुन की हो जाती मृत्यु

महाभारत में वर्णित है कि इस ग्रंथ में दो ही ऐसे पात्र हैं जो वीरता, साहस, शक्ति, बल, शील, पराक्रम और यश इन गुणों से

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Fri, 26 Jun 2015 08:32 PM (IST)
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यदि ऐसा होता तो घटोत्कच नहीं, अर्जुन की हो जाती मृत्यु

घटोत्कच, भीमसेन और हिडिंबा(राक्षसी) का पुत्र था। महाभारत में वर्णित है कि इस ग्रंथ में दो ही ऐसे पात्र हैं जो वीरता, साहस, शक्ति, बल, शील, पराक्रम और यश इन गुणों से युक्त रहे हैं।
पहला चरित्र है अर्जुन का पुत्र 'अभिमन्यु' और दूसरा भीमसेन का पुत्र 'घटोत्कच'। दोनों ने ही पांडवों के पक्ष से महाभारत के युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया।
महाभारत का युद्ध 18 दिन चला। इसके 14वें दिन, सूर्य डूबने के बाद भी युद्ध जारी रखने के लिए मशालें जलाई गईं। रात का समय था। घटोत्कच और उसके साथियों ने माया-युद्ध शुरु कर दिया। महाभारत युद्ध का यह समय बहुत ही रोमांचक था। हजारों मशालें जल रही थीं, और दोनों तरफ के वीर योद्धा अपनी वीरता का परिचय दे रहे थे।
घटोत्कच के सामने कर्ण था। कर्ण रिश्ते में घटोत्कच के बड़े पिता थे। लेकिन युद्ध के मैदान में दोनों एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी। घटोत्कच के बाणों से कर्ण आहत थे। युद्ध एक तरफा होता जा रहा था। तभी कौरवों ने कर्ण से अनुरोध किया किसी-न-किसी तरह से घटोत्कच को मार दिया जाए।
कौरवों का अनुरोध सुनकर कर्ण अपने आपे से बाहर हो गया। 'कर्ण ने इंद्रदेव की दी हुई शक्ति को घटोत्कच पर प्रयोग किया। कर्ण ने यह शक्ति अर्जुन का वध करने के उद्देश्य से अपने पास कई वर्षों तक सुरक्षित रखी हुई थी।'
ऐसे में अर्जुन का तो संकट टल गया लेकिन भीमसेन का पुत्र घटोत्कच युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ। यह खबर जब पांडवों को पता चली तो उनकी दुःख की सीमा न रही।
[साभार: नई दुनिया]
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