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मनुष्य के जीवन में क्षमा का बहुत बड़ा महत्व है

मांगने से अहंकार खत्म होता है, जबकि क्षमा करने से संस्कार बनते हैं। जिसके पास क्षमा का गुण है, वे हमेशा प्रसन्नचित रहते हैं और उसके शत्रु भी नहीं होते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2016 01:10 PM (IST)
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मनुष्य के जीवन में क्षमा का बहुत बड़ा महत्व है

मनुष्य के जीवन में क्षमा का बहुत बड़ा महत्व है। अगर कोई इंसान गलती कर दे और उसके लिए तुरंत माफी मांग ले तो सामने वाले का गुस्सा काफी हद तक दूर हो जाता है। क्षमा मांगना व्यक्तित्व का एक अच्छा गुण है। इसी तरह किसी को क्षमा कर देना भी अच्छे व्यक्तित्व की पहचान है। यदि आदमी गलती कर दे, लेकिन उसके लिए माफी नहीं मांगे और कोई आदमी माफी मांगने पर भी सामने वाले को माफ न करे तो ऐसे लोगों के व्यक्तित्व में अहंकार संबंधी विकार पैदा हो जाता है। दोनों ही तरह के व्यक्ति अपराध से कभी मुक्त नहीं हो पाते हैं। अपनी गलती पर माफी न मांगना और माफी मांगने पर सामने वाले को माफ न करने का मतलब यही हुआ कि ऐसे व्यक्ति स्वयं से जहर पीते हैं।
मनुष्य जीवन इतना लंबा और अटपटा है कि यदि क्षमा मांगने और देने का गुण व्यक्ति में नहीं है तो उनका जीवन बड़ा कष्टकारी बन जाता है। मांगने से अहंकार खत्म हो जाता है, जबकि क्षमा करने से संस्कार बनते हैं। कवि रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं कि क्षमा वीरों को ही सुहाती है। जो व्यक्ति, सामने वाले को क्षमा कर देते हैं, उसकी चर्चा चारों दिशाओं में फैल जाती है। रहीमदास जी कहते हैं कि छोटे गलती भी कर दें तो बड़ों को उन्हें माफ कर देना चाहिए। क्षमा को शीलवान का शस्त्र, प्रेम का परिधान और नफरत का निदान कहा गया है। यदि सामने वाला किसी की गलती को माफ करता है तो उस व्यक्ति की सहायता करता है, साथ ही स्वयं की सहायता भी करता है। क्षमा करने के लिए व्यक्ति को अपने अहम को खत्म करना पड़ता है और एक सहनशील व्यक्ति ही इसे कर सकता है। महात्मा गांधी कहते हैं कि कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता, क्षमा करना शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है। सभी धर्मो में क्षमा को श्रेष्ठ गुण बताया गया है। बाकायदा जैन संप्रदाय में इसके लिए एक दिन विशेष आयोजन किया जाता है।
महावीर ने क्षमा मांगने से अधिक क्षमा करने को महान बताया है। मनोविज्ञान भी कहता है कि गलती करना भी इंसान का एक गुण है, क्योंकि पूरी सावधानी बरतने पर भी मनुष्य जीवन में कहीं न कहीं त्रुटियां हो ही जाती हैं, लेकिन अपनी गलती के लिए माफी मांगना और सामने वाले का उसे माफ कर देना इंसानियत का श्रेष्ठ गुण है। जिस व्यक्ति के पास क्षमा का गुण है, वे हमेशा प्रसन्नचित रहते हैं और उसके शत्रु भी नहीं होते हैं