Move to Jagran APP

Narad Jayanti 2024: आखिर क्यों देवर्षि नारद को सृष्टि का पहला पत्रकार माना गया?

देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। इसी कारण सभी युगों में सभी लोकों में समस्त विद्याओं में समाज के सभी वर्गों में नारद जी का सदैव एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वे भक्ति के प्रधान आचार्य माने गए हैं। उनके द्वारा रचित भक्ति सूत्रों में भक्ति तत्वों की बड़ी सुंदर व्याख्या की गई है।

By Jagran News Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 20 May 2024 05:23 PM (IST)
Hero Image
Narad Jayanti 2024: आखिर क्यों देवर्षि नारद को सृष्टि का पहला पत्रकार माना गया?
डा. प्रणव पण्ड्या (कुलाधिपति, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार): शास्त्रों में ब्रह्मा जी के छह पुत्रों में से एक नारद जी को माना गया है। नारद जी ने कठिन तप-साधना के बाद देवर्षि की उपाधि प्राप्त की। अपनी तपस्या के फलस्वरूप ही वे भगवान के मन में उठने वाले विचारों को समझ जाया करते थे। इसीलिए नारद जी को भगवान का मन भी कहा जाता है। वे भूत, वर्तमान और भविष्य, तीनों कालों के ज्ञाता, मधुर वचन बोलने वाले हैं। नारद जी को ज्ञान का जो प्रकाश मिला था, उससे उनका तीनों लोकों में गुणगान होता है।

देव ऋषि नारद ने भक्ति भाव को जगाया

देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। इसी कारण सभी युगों में, सभी लोकों में, समस्त विद्याओं में, समाज के सभी वर्गों में नारद जी का सदैव एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वे भक्ति के प्रधान आचार्य माने गए हैं। उनके द्वारा रचित भक्ति सूत्रों में भक्ति तत्वों की बड़ी सुंदर व्याख्या की गई है। इन्होंने प्रत्येक युग में घूम-घूम कर ईश्वर के प्रति प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से भक्ति भाव को जगाया है।

महाभारत के अनुसार, देवर्षि नारद सभी वेदों के ज्ञाता, इतिहास और पुराणों के मर्मज्ञ, भूत, वर्तमान और भविष्य की जानकारी रखने वाले, प्रखर वक्ता, नीतिज्ञ, ज्ञानी, कवि, संगीतज्ञ, शंकाओं का समाधान करने वाले, तीनों लोकों का ज्ञान रखने वाले तथा अपार तेजस्वी थे। वे ज्ञान के स्वरूप, विद्या के भंडार, सदाचार के आधार, आनंद के सागर और हर प्राणी के हितकारी है। वे ईश्वर के परम प्रिय और कृपापात्र हैं और उनकी समस्त लोकों में अबाधित गति है।

देव ऋषि नारद को इसलिए माना गया पत्रकार

जब-जब धरती पर अन्याय, अत्याचार और धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान के अवतरण हेतु भूमि तैयार करते हैं और लीलाओं में सहचर की तरह भूमिका निभाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवर्षि नारद को सृष्टि का पहला पत्रकार माना गया है। उनको यह वरदान भी मिला हुआ था कि वह तीनों लोकों में कहीं भी भ्रमण कर सकते हैं। देवर्षि नारद कहते हैं कि सत्संग और ईश्वरीय योजनाओं के अनुसार कार्य करना ही मनुष्य जीवन की सार्थकता है। वर्तमान समय में हम सभी को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

यह भी पढ़ें: नवधा भक्ति: भगवान के चरणों में लीन होने से मोह माया से मिलती है मुक्ति