Prakash Parv 2024: अज्ञानता के अंधकार से छुटकारे का मार्ग दिखाती है श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र गुरवाणी
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब (Prakash Parv 2024) में पहले प्रकाश का ऐतिहासिक संदर्भ इसकी महिमा को स्पष्ट करने वाला है। पंचम पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पावन स्वरूप एक विशेष नगर कीर्तन के रूप में सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब लाए। इस नगर कीर्तन में संगत ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
हरजिंदर सिंह धामी (अध्यक्ष, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति, अमृतसर): श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का गौरव एवं महानता अतुल्य है। इसमें गुरुओं व भक्तों की वाणी है। गुरबाणी के पवित्र शब्द पूरी मानवता को आध्यात्मिकता और मानवता का उपदेश देते हैं, जिसके अनुसार जीवन जीने से मानव जीवन को परिपूर्ण बनाया जा सकता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की पवित्र गुरबाणी में मनुष्य के लिए आध्यात्मिक और धार्मिक मार्गदर्शन के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक आदि सभी प्रकार की प्रेरणाएं मौजूद हैं।
पहले पातशाह श्री गुरु नानक देव जी से लेकर पांचवें पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी तक, जहां गुरुओं ने स्वयं वाणी उच्चारण की, वहीं अपनी प्रचार यात्राओं के दौरान विभिन्न महापुरुषों की रचना को भी अपने पास सुरक्षित किया। यह वाणी पीढ़ी-दर-पीढ़ी अगले गुरुओं तक पहुंची। पांचवें पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी ने इस पवित्र वाणी को संपादित करने के लिए श्री अमृतसर के जिस सुंदर स्थान को चुना, अब वहां गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब स्थित है। गुरु साहिब के आदेशानुसार भाई गुरदास जी ने इस स्थान पर आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र स्वरूप को लिखने की सेवा की।
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संपादन का कार्य संवत 1661 (1604 ई.) को पूरा हुआ और उसी वर्ष भादों सुदी एक को सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब (श्री दरबार साहिब, श्री अमृतसर) में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश किया गया। सेवा संभाल करने के लिए गुरु साहिब जी ने बाबा बुड्ढा जी को पहला ग्रंथी नियुक्त किया। इसके बाद दसवें पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने तलवंडी साबो के स्थान में नौवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की वाणी को सम्मिलित करके श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को संपूर्ण किया और अपने अंतिम समय में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरुगद्दी देकर सिखों को शब्द गुरु के साथ अमली रूप में जोड़ा।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब में पहले प्रकाश का ऐतिहासिक संदर्भ इसकी महिमा को स्पष्ट करने वाला है। पंचम पातशाह श्री गुरु अर्जुन देव जी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पावन स्वरूप एक विशेष नगर कीर्तन के रूप में सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब लाए। इस नगर कीर्तन में संगत ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह दृश्य अलौकिक था, जिसमें लोगों के बीच श्रद्धा और सम्मान की पराकाष्ठा थी। यह परंपरा आज भी कायम है और हर साल प्रकाश पर्व वाले दिन गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब से सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब तक एक विशाल नगर कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र गुरुवाणी ज्ञान का ऐसा स्रोत है, जो अज्ञानता के अंधकार से छुटकारे का मार्ग दिखाती है। गुरु साहिब ने गुरवाणी के ज्ञान के माध्यम से मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाया है। गुरवाणी ने ईश्वर की हर जगह उपस्थिति बताकर मानवता को एकजुट रहने का संदेश दिया है। इसका उपदेश है कि ईश्वर के आदेश में रहकर, सभी की भलाई सोचकर ब्रह्मांडीय आशीर्वाद के कर्ता को याद करते हुए सबका भला करने के सिद्धांत के अनुसार जीवन निर्वाह करना है। पवित्र गुरवाणी के वचनों को कमाना प्रत्येक सिख का प्राथमिक कर्तव्य है। गुरुओं ने गुरवाणी के माध्यम से सिखों को जीवन जीने के लिए जो सिद्धांत दिए हैं, उनका पालन करना प्रत्येक सिख का सर्वोच्च धार्मिक कर्तव्य है।