Sadhguru Message: बनें एक अच्छा इंसान, नव वर्ष 2023 के लिए आध्यात्मिक गुरु सदगुरु दे रहे हैं ये संदेश
Sadhguru Message नए साल का स्वागत हर्षोल्लास के साथ किया गया है। अध्यात्मिक गुरु सदगुरु से जानिए कि नए साल में कैसा व्यवहार व्यक्ति को जीवन में अपनाना चाहिए। आइए जानते हैं नए साल के लिए सदगुरु क्या कह रहे हैं।
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 01 Jan 2023 07:07 PM (IST)
नई दिल्ली, सदगुरु | New Year 2023 Message by Sadhguru: भारतीय संस्कृति अपने मूल्यों के लिए जानी जाती है। जिसमें समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता समाहित है। यहां की संस्कृति आधुनिकता को साथ लेकर चलते हुए नैतिक व सांस्कृतिक मूल्यों की वृद्धि का संदेश देते हैं। भारत की विराट संस्कृति सहिष्णुता, शांति, समर्पण, त्याग अहिंसा, समपर्ण और समन्वय जैसे बहुमूल्य विचारों का संदेश देती हैं। जैसे-जैसे वर्ष बीतते जाते हैं इन मूल्यों में वृद्धि होती है। यही संदेश दे रहे हैं ईशा फाउंडेशन के प्रणेता योगगुरु और विश्व प्रसिद्ध अध्यात्मिक गुरु सदगुरु।
"संदेश"नये साल के बहाने हमें पीछे मुड़कर देखने का मौका मिलता है। हम देख सकते हैं कि हमने अपने साथ, इस धरती के साथ और पूरी मानवता के साथ क्या किया? यह जीवन के लिए नये लक्ष्य को, नये दृष्टिकोण को तय करने का मौका भी है। अगर कोई इंसान अपने लिए या पूरी दुनिया के लिए कुछ करना चाहता है, तो यह बहुत जरूरी है कि उसके पास एक दृष्टिकोण हो। आज इंसान परिस्थितियां नहीं बना रहा, बल्कि परिस्थितियां इंसान को बना रही हैं। एक अच्छी मशीन कैसे बनाएं, अच्छा कंप्यूटर कैसे बने, अच्छे कारखाने कैसे लगें, तमाम तरह की उपयोगी चीजें कैसे बनाई जाएं, इन सब बातों पर तो विज्ञान ने पूरा ध्यान दिया है, लेकिन एक बेहतरीन इंसान कैसे बनाया जाए, विज्ञान ने इस बात को पूरी तरह से नजरंदाज कर दिया है।
योग विज्ञान बताता है कि एक अच्छा इंसान कैसे बनाएं। जब तक हमारे आस-पास अच्छे लोग नहीं होंगे, हमारा जीवन अच्छा नहीं हो सकता। अब वक्त आ चुका है जब पूरी मानव जाति अपने दिमाग में एक विशाल विजन, एक व्यापक दृष्टिकोण निश्चित करे। जब मैं दृष्टिकोण की बात करता हूं, तो मेरा मानना है कि हर किसी के दिमाग में अपना निजी दृष्टिकोण होता है और यही सारे झगड़ों की जड़ है। हम आपस में इस बात को लेकर झगड़ा करने लगते हैं कि किसका दृष्टिकोण बेहतर है। हमारे दृष्टिकोण ऐसे होने चाहिए कि कहीं भी कोई टकराव न हो। हमारा लक्ष्य ऐसा हो कि पूरी मानव जाति उस दृष्टिकोण को पाने की कोशिश में लग जाए। हम हर किसी के मन में ऐसा सोच पैदा करना चाहते हैं, जिससे शांति, प्रेम और आनंद से भरपूर दुनिया की रचना की जा सके। इसमें आपस का टकराव नहीं होगा। हमारा लक्ष्य हो एक ऐसे विश्व का निर्माण करना, जो प्रेम, आनंद और शांति से भरा हो। हम अपना लक्ष्य इस तरह से निश्चित करें कि हजारों लोग उसी लक्ष्य को अपना लें।