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कैसे कार्य करता है आपका मन? ऐसे बनाएं इस पर संतुलन

जब भी हम अपनी भावनाओं को दबाने का प्रयास करते हैं उनका उद्रेक अधिक हो जाता है। उन्हें साधने की आवश्यकता है। योग यह सुनिश्चित करता है कि आप जीवन से कितनी सहजता से गुजरते हैं अपने शरीर और अपने मन को कितनी गहराई से समझते हैं। मन को अपने अनुरूप साधने की प्रणाली योग है। योग की प्रणाली शरीर और मन की प्रकृति का अनुसंधान करती है।

By Jagran News Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 21 Oct 2024 02:26 PM (IST)
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Sadhguru Thoughts: कैसे कार्य करता है आपका मन?
सद्गुरु (ईशा फाउंडेशन के प्रणेता आध्यात्मिक गुरु)। जब भी आप क्रोध जैसी किसी भी नकारात्मक भावना को रोकने का प्रयास करते हैं, तो वह और भी ज्यादा तेज हो जाती है। आप जो चीज नहीं चाहते हैं, उसे यदि आप रोकने की कोशिश करते हैं, तो ऐसा ही होता है। वस्तुत: मानव मन की यही प्रकृति है। मन को अपने अनुरूप साधने की प्रणाली योग है। योग की प्रणाली अनुभव के स्तर पर अपने शरीर और मन की प्रकृति का अनुसंधान करती है। जब आप सुबह उठकर आसन करते हैं, तो आप उसे मात्र व्यायाम न समझें।

वास्तव में योग यह सुनिश्चित करता है कि आप जीवन से कितनी सहजता से गुजरते हैं, आप अपने शरीर और अपने मन को कितनी गहराई से समझते हैं।

योग जरूरी है

यदि आप गाड़ी चलाकर कहीं जा रहे हैं तो यात्रा मंगलमय होने के लिए, दो बातें जरूरी हैं। एक तो गाड़ी का अच्छा होनी चाहिए और दूसरी आपको गाड़ी की समझ हो। आपके शरीर और मन के बारे में योग यही तो सुनिश्चित करता है। यह बड़ी व्यावहारिक बात है, यह कोई आत्मज्ञान नहीं है। अगर आप एक अज्ञानी जीवन भी जीना चाहते हैं, तब भी योग जरूरी है। जब आप आसन करते हैं तो आप अपने शरीर और मन की प्रकृति को खोजते हैं।

अगर आप अपनी अंगुलियों को एक खास तरह से चलाते हैं, तो आपका मन उसके मुताबिक काम करता है। आप अपने शरीर से जो कुछ भी करते हैं, उससे आपके मन के साथ भी कुछ होता है। किताब पढ़ने से यह समझ प्राप्त नहीं होगी।

यह मन का कमाल है

सिर्फ अनुभव करने से ही यह आएगी। अगर आप अपनी आंखें बंद करके अपने मन से कोई चीज हटाने की कोशिश करते हैं, तो आप कभी सफल नहीं होंगे। दाढ़ी बनाते समय बहुत से लोग अपना चेहरा काट लेते हैं, क्योंकि वे त्वचा से अधिक निकट दाढ़ी काटना चाहते हैं और रेजर उनकी योजना से अधिक निकट चला जाता है। यह मन का कमाल है। जो चीजें आप चाहते हैं, उनका प्रतिरोध करने की कोशिश कीजिए। आप देखेंगे कि वे आपके अंदर तीव्रता से व्यक्त होंगी। अगर आप कोई चीज नहीं चाहते हैं कि वह हो, तो उसे न होने देने की कोशिश कीजिए। तब वह जरूर होगी।

ऐसा इसलिए है, क्योंकि आप एक ऐसी अवस्था में हैं, जहां आप अपने मन को पहले गियर में डालना चाहते हैं और वह रिवर्स गियर में चला जाता है। चीजें करने का यह सबसे अच्छा तरीका नहीं है, लेकिन यह समझने के लिए कि अभी मन उसी तरह है, आप इसे आजमा सकते हैं। अगर आप किसी चीज का विरोध करते हैं, तो सिर्फ वही चीज घटित होगी।

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आपका मन कैसे कार्य करता है?

इसलिए मन का प्रतिरोध मन कीजिए, अपने मन की खोज कीजिए। आपका मन कैसे कार्य करता है, उसे समझना किसी बौद्धिक विश्लेषण से नहीं आता। इसकी खोज करनी पड़ती है। अपने शरीर को एक मुद्रा में रखिए और ध्यान दीजिए कि आपका मन किस विशेष ढंग से काम करता है। अपने शरीर को दूसरी मुद्रा में रखिए और ध्यान दीजिए कि आपका मन एक अलग ढंग से काम करता है। अगर आप एक आसन में बैठकर ठीक ढंग से सांस लेते हैं, तो मन विभिन्न अवस्थाओं में चला जाएगा।

यह खोज या जानना योग का सबसे प्रारंभिक पहलू है। तैयारी है। हठ योग शिखर नहीं है, यह एक तैयारी है। बिना तैयारी के अगर आप शिखर पर जाने की कोशिश करते हैं, तो आप शायद टूट जाएंगे।

शरीर और मन दो अलग चीजें नहीं

कम से कम 80 प्रतिशत लोग अपने जीवन में किसी भी किस्म का ध्यान नहीं कर पाएंगे, जब तक कि वे किसी तरह की शारीरिक तैयारी नहीं करते। जिस तरह वे बैठते हैं, जिस तरह से वे अपने शरीर को चलाते हैं, उससे स्पष्ट है कि वे ध्यान नहीं कर सकते, वे चाहे जितनी कोशिश कर लें। कुछ मात्रा में शारीरिक तैयारी की जरूरत होती है, क्योंकि एक प्रकार से शरीर और मन दो अलग चीजें नहीं हैं। आपका मस्तिष्क आपके शरीर से बाहर नहीं है। इसी मन और शरीर की खोज करने का अवसर देता है योग।

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