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भक्ति रस के कवि थे तुलसीदास

विश्वविख्यात ग्रंथ रामचरित मानस के रचयिता व भागवान राम के परम भक्त गोस्वामी तुलसीदास का जन्म 14

By Edited By: Updated: Tue, 13 Aug 2013 04:07 PM (IST)
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विश्वविख्यात ग्रंथ रामचरित मानस के रचयिता व भागवान राम के परम भक्त गोस्वामी तुलसीदास का जन्म 1497 में राजापुर गांव [वर्तमान बांदा जिला] उत्तर प्रदेश में ब्राह्मंण कुल हुआ था।

तुलसीदास को संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिंदी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रंथ लिखे। तुलसीदास जी को महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है जो मूल आदि काव्य रामायण के रचयिता थे। श्रीराम जी को समर्पित ग्रंथ श्रीरामचरितमानस वाल्मीकि रामायण का प्रकारान्तर से ऐसा अवधी भाषान्तर है जिसमें अन्य भी कई कृतियों से महत्वपूर्ण सामग्री समाहित की गयी थी। श्रीरामचरितमानस को समस्त उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका तुलसीदासकृत एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है।

तुलसी दास के पिता का नाम

आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी देवी था। उनकी पत्नी का नाम रत्नावली था। तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। तुलसीदास एक साथ कवि, भक्त तथा समाज सुधारक तीनों रूपों में मान्य हैं। पत्नी के फटकार और उपदेश से तुलसी के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया। इनके गुरु बाबा नरहरिदास थे, जिन्होंने इन्हे दीक्षा दी। इनका अधिकांश जीवन चित्रकूट, काशी तथा अयोध्या में बीता।

तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा का कोई प्रमाण नहीं मिलता। तुलसी भ्रमण करते रहे और इस प्रकार समाज की तत्कालीन स्थिति से इनका सीधा संपर्क हुआ। इसी दीर्घकालीन अनुभव और अध्ययन का परिणाम तुलसी की अमूल्य कृतियां हैं, जो उस समय के भारतीय समाज के लिए तो उन्नायक सिद्ध हुई ही, आज भी जीवन को मर्यादित करने के लिए उतनी ही उपयोगी हैं। उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथों में रामचरित मानस, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, गीतावली, जानकीमंगल, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

रामचरितमानस

सर्वसाधारण में यह तुलसीकृत रामायण के नाम से जाना जाता है तथा यह हिंदू धर्म की महान काव्य रचना है।

दोहावली: तुलसीदास

दोहावली में दोहा और सोरठा की कुल संख्या 575 है।

कवितावली

सोलहवीं शताब्दी में रची गयी कवितावली में श्री रामचन्द्र जी के इतिहास का वर्णन कवित्त, चौपाई, सवैया आदि छंदों में की गई है। रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में सात काण्ड हैं।

गीतावली

गीतावली, जो कि सात काण्डों वाली एक और रचना है, में श्री रामचन्द्र जी की कृपालुता का वर्णन है।

गोस्वामी तुलसीदासविनय पत्रिका -

विनय पत्रिका में 279 स्तुति गान हैं। इन स्तुतियों में रामचन्द्र और विविध देवताओं के स्तुति की गान की गई है।

कृष्ण गीतावली

कृष्ण गीतावली में श्री कृष्ण जी 61 स्तुतियाँ है।

अपने दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदास ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित कालजयी ग्रन्थों की रचनाएं कीं -

रामलला नहछू

वैराग्य संदीपनी

रामाज्ञा प्रश्न

जानकी मंगल

रामचरितमानस

सतसई

पार्वती मंगल

गीतावली

विनय पत्रिका

कृष्ण गीतावली

बरवै रामायण

दोहावली

कवितावली

तुलसीदास जी ने कुल 22 कृतियों की रचना की है जिनमें से पाँच बड़ी एवं छ: मध्यम श्रेणी में आती हैं।

निधन

तुलसीदासजी का देहांत सं. 1680 में काशी के असी घाट पर हुआ।

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