Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी व्रत से होती है आध्यात्मिक उन्नति, यहां पढ़ें धार्मिक महत्व
उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2024) धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस युग के युगद्रष्टा और गायत्री के सिद्ध साधक पूज्य पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं कि एकादशी का नियमित रूप से व्रत-अनुष्ठान करने से साधक के जीवन में कई महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव आते हैं। व्रत से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और कई प्रकार के आंतरिक विषैले तत्व शरीर से बाहर निकलते हैं
डा. चिन्मय पण्ड्या (प्रति कुलपति, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार)। हिंदू पर्व-त्योहारों में एकादशी तिथि का महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसे तो यह प्रत्येक हिंदी माह के कृष्ण व शुक्ल पक्ष में एक-एक बार आती है। एकादशी को हरिदिन और हरिवासर के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी व्रत को हर आयु वर्ग के लोग करते हैं। एकादशी व्रत की एक मान्यता यह भी है कि व्रत करने वाले उपासक के पितरों को आत्म संतुष्टि मिलती है और वे अपनी अगली पीढ़ी पर कृपा बरसाते हैं।
हिंदू कैलेंडर में मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2024 Significance) के रूप में मनाई जाती है। विष्णु पुराण के अनुसार, देवताओं और ऋषियों को मुर नामक एक महादैत्य अत्यधिक कष्ट पहुंचाया करता था। देवताओं और ऋषियों की तप साधना में विघ्न डाला करता था। उसकी क्रूरता से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी, तब भगवान विष्णु ने देवी के रूप में एकादशी को प्रकट किया और देवी एकादशी ने मुर का वध किया। इस दिन एकादशी के उत्पन्न होने के कारण इसे मूल एकादशी माना जाता है।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
उत्पन्ना एकादशी धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस युग के युगद्रष्टा और गायत्री के सिद्ध साधक पूज्य पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं कि एकादशी का नियमित रूप से व्रत-अनुष्ठान करने से साधक, उपासक के जीवन में कई महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव आते हैं। व्रत से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और कई प्रकार के आंतरिक विषैले तत्व शरीर से बाहर निकलते हैं, जिससे आंतरिक अंगों को ऊर्जा प्राप्त होती है।
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