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Spiritual Consciousness: आध्यात्मिक चेतना आखिर क्या है?

ऋषि-मुनि आध्यात्मिक मूल्यों को सर्वोच्च महत्व देते हैं। हिंदूू धर्म के आध्यात्मिक मूल्यों का अनुक्रम है-धर्म अर्थ काम तथा मोक्ष। अर्थ तथा काम संसारिक मूल्य हैं जबकि धर्म तथा मोक्ष आध्यात्मिक मूल्य हैं परंतु धर्म का स्थान सर्वदा प्रथम है।

By Ruhee ParvezEdited By: Updated: Wed, 08 Jun 2022 05:17 PM (IST)
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Spiritual Consciousness: आध्यात्मिक चेतना आखिर क्या है?
नई दिल्ली, सूर्यदीप कुशवाहा। आज मनुष्य अत्यधिक भौतिकवादी तथा लालची हो गया है। बलिदान, त्याग, संतोष, प्रज्ञा, चिंतन-मनन, मुक्ति और मोक्ष जैसे शब्द हमारे शब्दकोश से धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं, जो कि आध्यात्मिक मूल्यों के द्योतक रहे हैं। व्यापक उपभोगवादी संस्कृति तथा भोग-विलास से पोषित भौतिकवाद की नई उभरी संस्कृति ने आध्यात्मिक चेतना पर पर्दा डाल दिया है। धन-अर्जन, सत्ता तथा प्रसिद्धि की लालसा और सुखवादी जीवन-प्रणाली आज जीवन का परम लक्ष्य है। सभी धर्मों ने लालच को महापाप कहा है, परंतु आज लालच ही मुख्य प्रेरणा-द्वार है।

ऋषि-मुनि आध्यात्मिक मूल्यों को सर्वोच्च महत्व देते हैं। हिंदूू धर्म के आध्यात्मिक मूल्यों का अनुक्रम है-धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष। अर्थ तथा काम संसारिक मूल्य हैं, जबकि धर्म तथा मोक्ष आध्यात्मिक मूल्य हैं, परंतु धर्म का स्थान सर्वदा प्रथम है। यह अर्थ तथा काम दोनों का प्रेरक तथा नियंत्रक है।

जीवन के हिंदूू दृष्टिकोण के अनुसार, सात्विक सर्वाधिक ऊंचा आदर्श है। इसके बाद राजसी का स्थान है, जो एक आदर्श नहीं, परंतु सामाजिक आवश्यकता है। तामसिक सबसे अधिक अपमानजनक वृत्ति है, जिससे सभी बुद्धिमान दूर रहते हैं। मनु की पद्धति में सतत्व को न्याय की संज्ञा दी गई है, राजस को आकांक्षा की तथा तमस को इच्छाओं की। महापुरुषों ने चिंतन-मनन को मनुष्य के परम आनंद के रूप में देखा। आंतरिक शांति तथा आध्यात्मिक ज्ञान के लिए समर्पित जीवन ही मानव गतिविधियों का सवरेत्तम रूप है।

अगर आपको बोध है कि आपके दुख, क्रोध, क्लेश के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है, बल्कि आप खुद इनके निर्माता हैं तो आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं। आप जो भी कार्य करते हैं, अगर उसमें केवल आपका हित न होकर, सभी की भलाई निहित है तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आप अपने अहंकार, क्रोध, नाराजगी, लालच, ईर्ष्या

और पूर्वाग्रहों को समाप्त कर चुके हैं तो आप आध्यात्मिक हैं।