Vastu Tips: दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए इस दिन घर में लगाएं आंवले का पेड़, भरी रहेगी हमेशा तिजोरी
Vastu Tips For Amla Tree शास्त्रों के अनुसार आंवला के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसे में नियमित रूप से जल चढ़ाने के साथ घर में इस पेड़ को लगाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में जानिए आंवले के पेड़ संबंधी वास्तु नियम।
नई दिल्ली, Vastu Tips For Amla Tree: पंचांग के अनुसार, साल भर में 24 एकादशी पड़ती है जिसमें हर मास में दो एकादशी पड़ती है। हर एक एकादशी का अपना अलग-अलग महत्व है। लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस एकादशी को आंवला एकादशी, आमलकी एकादशी के नाम से जानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि आंवले के वृक्ष की नियमित रूप से पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्यक्ति को हर संकट से निजात मिल जाती है। इसके साथ ही घर में आंवले का पेड़ लगाना लाभकारी माना जाता है। जानिए आंवले के पेड़ को लगाते समय किन बातों का रखें ख्याल।
बढ़ाए सकारात्मक ऊर्जा
वास्तु शास्त्र में आंवले के पेड़ को शुभ माना जाता है। इसे लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है। इसके साथ ही घर में धन धान्य की बढ़ोतरी होती है।
होती है सुख-समृद्धि की प्राप्ति
माना जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए नियमित रूप से जल चढ़ाने के साथ पंचमी तिथि को आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को बैठाकर भोजन कराने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
किस दिन आंवला का पेड़ लगाना शुभ?
गुरुवार, शुक्रवार, अक्षय नवमी के अलावा आमलकी एकादशी के दिन आंवला का पेड़ लगाना शुभ माना जाता है।
किस दिशा में लगाना शुभ
आंवला का पेड़ अगर घर में लगा रहे हैं, तो उत्तर, पूर्व या फिर उत्तर- पूर्व दिशा में लगा सकते हैं। इस दिशा में लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए
माना जाता है कि आंवले के पेड़ के नीचे के भाग में भगवान ब्रह्मा, बीच में श्री विष्णु और तने में शिव जी का वास होता है। ऐसे में जिन लोगों के वैवाहिक जीवन में कोई न कोई परेशानी बनी रहती है, तो आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के तने पर सात बार सूत का धागा लपेटना चाहिए। सूत का धागा बांधने के बाद घी के दीपक और कपूर से आरती करें।
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