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Chaitra Navratri 2024: नवरात्र में जरूर ध्यान रखें वास्तु के ये नियम, कृपा बनाए रखेंगी माता रानी

इस साल यानी वर्ष 2024 में चैत्र नवरात्र की शुरुआत 09 अप्रैल मंगलवार के दिन से हो चुकी है। वहीं इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। नवरात्र की अवधि मां दुर्गा की आराधना के लिए पूर्ण रूप से समर्पित मानी जाती है। ऐसे में यदि आप नवरात्र के दौरान इन वास्तु टिप्स को अपनाते हैं तो इससे आपको जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Published: Fri, 12 Apr 2024 10:35 AM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2024 10:35 AM (IST)
Navratri 2024 Vastu tips नवरात्र में जरूर ध्यान रखें वास्तु के ये नियम।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri Vastu Tips: नवरात्र में नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। यह समय मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम माना जाता है। इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी माना गया है। ऐसे में यदि आप नवरात्र के दौरान कुछ वास्तु नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

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मूर्ति या तस्वीर की सही दिशा

नवरात्रि में मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित की जाती है। वास्तु शास्त्र में माना गया है कि माता की मूर्ति रखने के लिए उत्तर या फिर पश्चिम दिशा सबसे बेहतर होती है। इससे आपको जीवन में विशेष लाभ देखने को मिल सकता है। मूर्ति को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है, साथ ही व्यक्ति को वास्तु दोष का भी सामना करना पड़ सकता है।

पूजा की दिशा

वास्तु शास्त्र में माना गया है कि नवरात्र की पूजा के दौरान साधक का मुख पूर्व या फिर दक्षिण में होना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक शांति का अनुभव होता है। साथ ही आपको पूजा का पूर्ण फल भी प्राप्त होता है।

किस रंग की होनी चाहिए प्रतिमा

अगर आप नवरात्रि में मां दुर्गा के प्रतिमा घर ला रहे हैं, तो ध्यान रखें की मूर्ति का रंग हल्का पीला, गुलाबी या फिर हरा होना चाहिए। आप चाहें तो इन रंगों की तस्वीर भी ला सकते हैं। वास्तु की दृष्टि से ऐसा करना बेहतर माना गया है।

इन बातों का रखें ध्यान

माता की प्रतिमा घर लाते समय इस बात का ध्यान रखें कि प्रतिमा 3 इंच से ज्यादा बड़ी नहीं होनी चाहिए। वहीं, मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करने से पहले उस स्थान पर सिंदूर व अक्षर डालें। इसके बाद ही माता रानी के प्रतिमा स्थापित करें। ऐसा करने से माता अपने भक्तों से प्रसन्न होती हैं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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