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Vastu Tips For Home: घर में कहां हो पूजा का कमरा? जानें कहां, क्या रखा जाए सामान

Vastu Tips For Home वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी और लगातार बढ़ती भीड़ के बीच मंदिरों में तो शांतिपूर्ण माहौल में भगवान के दर्शन करना बहुत मुश्किल हो गया है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 13 Aug 2020 03:33 PM (IST)
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Vastu Tips For Home: घर में कहां हो पूजा का कमरा? जानें कहां, क्या रखा जाए सामान

Vastu Tips For Home: पुरानी कहावत है कि भजन और भोजन एकांत में ही किया जाना चाहिए, लेकिन वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी और लगातार बढ़ती भीड़ के बीच मंदिरों में तो शांतिपूर्ण माहौल में भगवान के दर्शन करना बहुत मुश्किल हो गया है। ऐसे परिस्थिति में घर के अन्दर ही एक सुन्दर पूजा स्थल बनाना सर्वोत्तम है।

पूजास्थल किसी भी घर का एक बेहद पवित्र स्थान होता है, जिसके लिए वास्तु में स्थान विशेष निर्धारित है। वास्तुकार संजय कुड़ी बता रहे हैं कि वैसे तो घर की सभी दिशाएं अपने आप में पवित्र होती हैं लेकिन इन दिशाओं में की जाने वाली गतिविधियां अगर वास्तुसम्मत नहीं हो तो विपरीत परिणाम भी प्रदान करती हैं। पूजा स्थल भी अगर वास्तु सिद्धांतों के विपरीत बना हो तो ना ही यह मन को शांति प्रदान करेगा और न ही आपकी इच्छापूर्ति में सहायक सिद्ध होगा।

इसीलिए ध्यान लगाना हो, पूजा-अर्चना करनी हो या भगवान के दर्शन करने हों, यह काम करने के लिए पूर्वी ईशान या उत्तरी ईशान कोण को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। ईशान कोण घर का वह पवित्र स्थान है जहां से शुभ उर्जाओं का प्रवेश होता है। इस स्थान पर पूजा करना या ध्यान लगाना मन को शांति प्रदान करता है तथा गहरा ध्यान लगाने में भी यह अत्यधिक सहायक है। यह मन में चलने वाली दुविधाओं को ख़त्म करता है और विचारों में अधिक स्पष्टता प्रदान करता है।

इसके अतिरिक्त वास्तु में उत्तर दिशा में भी पूजा स्थल बनाया जा सकता है। यह वास्तु में धन और आर्थिक सम्पन्नता का क्षेत्र माना गया है, इसलिए इस दिशा में लक्ष्मी पूजन या गणेश पूजन किया जा सकता है। अगर इस दिशा में भी पूजा घर का निर्माण संभव न हो तो एक अन्य विकल्प के तौर पर पूर्व दिशा में भी पूजा करने की व्यवस्था की जा सकती है।

इस कमरे के लिए दरवाजे और खिड़कियों का निर्माण पूर्व या उत्तर दिशा में किया जाना चाहिए। नैऋत्य में दरवाजा नहीं बनायें। प्रकाश और हवा की समुचित व्यवस्था करें। दीपक या अगरबती पूजा स्थल के आग्नेय कोण या पूर्व दिशा में रखें। पूजा करते वक्त अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। पूजा स्थल अगर उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में है तो इसमें हल्का नीला या क्रीम कलर कर सकते हैं। अगर यह पूर्व में स्थित है तो हल्का हरा रंग भी कर सकते हैं।

यहां पर जरूरत से ज्यादा मूर्तियां और गैर-जरुरी सामान इकट्ठे न करें। इसके अलावा इस स्थान को घर के अन्य कमरों की तरह हमेशा सुंदर और स्वच्छ बनाये रखेंगे तो यह हमेशा सकारात्मक उर्जा प्रदान करेगा।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''