Tulsi Vastu Tips: तुलसी से दूर रखें ये चीजें, वरना अच्छे की जगह मिलने लगेंगे बुरे परिणाम
तुलसी न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मानी गई है बल्कि स्वास्थ्य पर भी इसके काफी लाभ देखने को मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नियमित रूप से तुलसी पूजन करने से घर में कभी दरिद्रता का वास नहीं होता। ऐसे में यदि आप तुलसी के इन नियमों का ध्यान रखते हैं तो आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की तरह ही तुलसी की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। लगभग हर हिंदू घर में तुलसी का पौधा मुख्य रूप से पाया जाता है और नियमित रूप से पूजा की जाती है। ऐसे में यदि आपके घर में भी तुलसी का पौधा मौजूद है, तो इसके पास से कुछ चीजों को दूर रखना चाहिए अन्यथा, आपको तुलसी के अच्छे परिणाम की जगह बुरे परिणाम भी मिल सकते हैं।
आस-पास न रखें ये चीजें
तुलसी के पौधे के पास साफ-सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। ध्यान रखें कि इसके पास कूड़ा या गंदगी आदि न फैलाएं। तुलसी के पास कूड़ादान न रखें और न ही जूते-चप्पल आदि रखें। ऐसा करने से आपको तुलसी के सकारात्मक परिणाम की जगह नकारात्मक परिणाम मिल सकते है।
इसलिए नहीं चढ़ाई जाती तुलसी
तुलसी के गमले में कभी शिवलिंग भी नहीं रखना चाहिए। इसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है, जिसके अनुसार, पूर्व जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था, जो राक्षस जालंधर की पत्नी थी। इस राक्षस का अंत शिव जी के हाथों हुआ था, इसलिए शिव जी को तुलसी अर्पित करना वर्जित माना जाता है। इसके साथ ही गणेश भगवान की मूर्ति भी तुलसी के पास रखना शुभ नहीं माना जाता।यह भी पढ़ें - Jyeshtha Purnima 2024: भाग्य नहीं दे रहा है साथ, तो ज्येष्ठ पूर्णिमा पर इस विधि से करें माता तुलसी की पूजा
इन बातों का भी रखें ध्यान
तुलसी के पास झाड़ू रखना भी अच्छा नहीं माना जाता। ऐसा करने से घर में दरिद्रता बढ़ सकती है। इसके साथ ही कांटेदार पौधों को भी तुलसी से दूर रखना चाहिए। इससे भी घर में नकारात्मक बढ़ने लगती है, जिससे व्यक्ति के घर में लड़ाई-झगड़े बढ़ जाते हैं।अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।