डीएसएलआर वर्सेज प्वाइंट एंड शूट
फेस्टिवल सीजन के खूबसूरत पलों को यादों में संजोने के लिए प्वाइंट एंड शूट कैमरा या डीएसएलआर खरीदने की सोच रहे हैं, तो दोनों में फर्क समझ लें।
By Edited By: Updated: Sat, 26 Oct 2013 01:47 PM (IST)
डीएसएलआर कैमरा
डीएसएलआर का मतलब है डिजिटल सिंगल लेंस रिफ्लेक्स। डीएसएलआर कैमरे आमतौर पर अमेच्योर और प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इनमें क्रिएटिव कंट्रोल फंक्शन होता है और पाइंट एंड शूट कैमरों के मुकाबले इमेज प्रोसेसिंग पर ज्यादा कंट्रोल होता है। डीएसएलआर कैमरे फंक्शन में एनालॉग एसएलआर कैमरों की तरह होते हैं और दोनों में डिजिटल फॉर्मेट और स्टोरेज का डिफरेंस होता है। सिंगल लेंस रिफ्लेक्स टेक्नोलॉजी से वही दृश्य कैमरा सेंसर और व्यूफाइंडर में भी दिखाई देता है। जैसे ही कैमरे का शटर कैमरे का मिरर रिलीज होता है, लाइट लेंस से सीधे इमेज सेंसर पर प्रोजेक्ट हो जाती है। वहीं, डीएसएलआर में रिमुवेबल लेंसेज लगे होते हैं। स्ट्रेंथ इमेज क्वॉॅलिटी
डीएसएलआर में इमेज सेंसर काफी बड़ा होता है। इमेज सेंसर एक सेमीकंडक्टर चिप होती है, जो ऑप्टिकल इमेज को इलेक्ट्रिक सिग्नल में कनवर्ट करती है। सेंसर जितना बड़ा होगा, पिक्चर में नॉइज उतना ही कम होगा और क्लैरिटी ज्यादा। हाई आईएसओ होने से फास्ट शटर स्पीड मिलती है। डिजिटल कैमरों में चार्ज कपल्ड डिवाइस (सीसीडी) और कॉम्पलीमेंटरी मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (सीएमओएस) का इस्तेमाल किया जाता है। अडॉप्टिबिलिटी
डीएसएलआर में लेंस रिमुवेबल होते हैं, जिसके चलते यह सीरियस फोटोग्राफर्स में काफी पॉपुलर है। डीएसएलआर में वाइंड एंगल से लेकर सुपर लॉन्ग फोकल लेंथ वाले हाई क्वॉलिटी लेंसेज लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा इसमें एक्स्ट्रा फ्लैश और फिल्टर्स लगाने की फैसिलिटी होती है। स्पीड डीएसएलआर को फटाफट स्टार्ट करने के अलावा, फास्ट फोकसिंग और फास्ट शटर लैग मिलता है। आमतौर पर डीएसएलआर में 2.5 से 3 फ्रेम्स प्रति सेकेंड की बर्स्ट रेट से शॉट्स ले सकते हैं। वहीं, महंगे कैमरों में यह 5 से 12 फ्रैम्स तक होता है। ऑप्टिकल व्यूफाइंडर डीएसएलआर के रिफ्लेक्स मिरर के जरिए आप जो देखते हैं, आपको वैसी ही फोटो रिजल्ट में मिलती है। कैमरे के लैंस जो देखते हैं, यह उसे डिस्प्ले करता है। लार्ज आईएसओ आमतौर पर डीएसएलआर में आईओएस रेंज 800 से लेकर 6400 तक होती है, यह फोटो की क्वॉॅलिटी तय करता है। इसका मतलब इमेज सेंसर पर पड़ने वाली लाइट की मात्रा से है। रात के अंधेरे में जब लाइट कम होती है और आप फ्लैश का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, ऐसे में हाई आईएसओ का यूज कर सकते हैं। मैनुअल कंट्रोल्स डीएसएलआर में आमतौर पर प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स मैनुअल कंट्रोल को ही प्रिफरेंस देते हैं। इससे शॉट की बेस्ट परफॉरमेंस मिलती है। यूजर अपनी चॉइस के मुताबिक आईएसओ, शटर, अपरचर, व्हाइट बैलेंस की सेटिंग्स चेंज कर सकता है। इनमें ऑटो मोड का भी ऑप्शन होता है। बैट्री लाइफ कई डीएसएलआर सिंगल चार्ज से 500 से ज्यादा फोटोग्राफ्स क्लिक कर सकते हैं। पाइंट एंड शूट कैमरों में यह 200 से 300 तक ही लिमिट होता है। डीएसएलआर में हमेशा बैट्री चार्जर रखने की जरूरत नहीं पड़ती। वीकनेस प्राइस डीएसएलआर में प्राइस फैक्टर बहुत इंपॉटर्ेंट है। हालांकि उनकी कीमतों में लगातार कमी आ रही है और कंपनियां भी सस्ते डीएसएलआर लॉन्च कर रही हैं। इनके लेंसेज भी महंगे आते हैं, जिससे डीएसएलआर की कॉस्ट बढ़ती है। साइज एंड वेट डीएसएलआर पाइंट एंड कैमरों के मुकाबले काफी भारी होते हैं। अगर बैग में पूरी किट के साथ डीएसएलआर भी हो, तो वजन काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा इन्हें खास केयर की भी जरूरत होती है। अगर शूट के लिए मल्टीपल लेंसेज यूज करने हों, तो एक कैरी बैग हमेशा रखना होगा। लेंसेज ज्यादातर डीएसएलआर कैमरे बेसिक 18-55 एमएम लेंस किट के साथ आते हैं। अगर आपको जूम, वाइड एंगल या फिर मैक्रो परफॉरमेंस के लिए अलग से लेंस लेने हैं, तो आपको ज्यादा खर्च करना होगा। कई बार तो लेंसेज की कॉस्ट कैमरे की कॉस्ट से भी ज्यादा होती है। मेंटिनेंस डीएसएलआर को काफी मेंटिनेंस की जरूरत होती है। बीच या माउंटेंस में शूट के दौरान इनका खासा ख्याल रखना पड़ता है। डस्ट और मायस्चर से डीएसएलआर का सेंसर भी खराब हो सकता है। हालांकि कई लेटेस्ट डीएसएलआर में सेल्फ क्लिनिंग सेंसर होते हैं, लेकिन अगर काफी डस्ट वाले एरिया में शूट कर रहे हैं, तो शायद वह फीचर भी सेंसर को बचा न सके। प्वाइंट एंड शूट कैमरा प्वाइंट एंड शूट कैमरे को कॉम्पैक्ट कैमरे भी कह सकते हैं, जिनमें फोकसिंग के लिए ऑटोफोकस या फोकस फ्री लेंसेज का यूज किया जाता है। पाइंट एंट शूट कैमरे नॉन-फोटोग्राफर्स में काफी पॉपुलर होते हैं, जो केवल थोड़ी बहुत फोटोग्राफी का शौक रखते हैं। हालांकि मोबाइल में कैमरा आने से पाइंट शूट यूजर्स में कमी आई है, लेकिन मोबाइल में कम जूम और कम क्लैरिटी होने और इसके कॉम्पैक्ट साइज के कारण यूजर्स अभी भी खास ओकेजंस या रेगुलर इवेंट्स और वैकेशंस के दौरान पाइंट एंड शूट को ही प्रिफर करते हैं। इसके अलावा इनका ईजी टु यूज होना, इन-बिल्ट नॉन मूवेबल फ्लैश, फिक्स्ड लेंस और ऑटोमैटिक सेटिंग मोड इसका यूएसपी है, क्योंकि इसकी सेटिंग इतनी आसान होती हैं कि फर्स्ट टाइम यूजर भी इससे बेहद आसानी से फोटोग्राफ्स क्लिक कर सकता है। हालांकि अब पाइंट एंड शूट की मार्केट काफी इंप्रूव हो रही हैं। आजकल 35 एक्स जूम तक के कॉम्पैक्ट कैमरे बाजार में उफलब्ध हैं, जो डीएसएलआर को खासी टक्कर देते हैं। स्ट्रेंथ साइज एंड वेट इसका कॉम्पैक्ट साइज इसकी यूएसपी है। आप इन्हें आसानी से अपनी पैंट की पॉकेट में भी रख सकते हैं। एक 20 मेगापिक्सल और 20 एक्स जूम वाले कैमरे को आसानी से पॉकेट में कैरी किया जा सकता है। कई कंपनियां अब ऐसे कैमरे बना रही हैं, जो न केवल बेहद स्लिम हैं बल्कि काफी लाइट वेट भी हैं। ये पार्टीज, ट्रैवल और फैमिली फंक्शंस के लिए बढि़यां हैं। हालांकि इनके बड़े सुपर जूम मॉडल काफी वजनी होते हैं। सिंपल ऑपरेशन डीएसएलआर के मुकाबले पाइंट शूट कैमरों के कंट्रोल्स काफी ईजी होते हैं। इनकी सेटिंग्स में ज्यादा तामझाम करने की जरूरत नहीं होती। ऑटोमैटिक सेटिंग मोड या प्रिसेट मोड से ही बेहतरीन फोटोग्राफ्स क्लिक किए जा सकते हैं। प्राइस आमतौर पर पाइंट शूट कैमरे काफी सस्ते होते हैं। कुछ तो इतने महंगे हैं कि डीएसएलआर का मुकाबला करते हैं। इनकी कीमत 5 हजार से शुरू हो जाती हैं। वहीं, अगर अच्छी परफॉरमेंस चाहिए तो 10 से 15 एक्स ऑप्टिकल जूम वाला कैमरा 10 हजार रुपये की रेंज में मिल जाता है। एलसीडी फ्रेमिंग सस्ते पाइंट एंड कैमरों में व्यूफाइंडर नहीं होता, बल्कि इनमें एलसीडी लगी होती है। फ्लिप आउट स्क्रीस की मदद से यूजर अलग-अलग एंगल्स से शॉट्स ले सकते हैं। साथ ही इससे यह भी पता जाता है कि वे क्या शूट कर रहे हैं। वीकनेस इमेज क्वॉलिटी डीएसएलआर के मुकाबले पाइंट शूट कैमरों की इमेज क्वॉॅलिटी काफी लोअर होती है और इसकी वजह है इनका छोटा इमेज सेंसर। अगर आप इमेजेज को फन के लिए शूट कर रहे हैं, तो ये कैमरा बेस्ट हैं। स्मालर आईएसओ रेंज लेटेस्ट पाइंट एंड शूट कैमरे 1600 आईएसओ की रेंज के साथ आते हैं, लेकिन आमतौर पर इनमें जनरल आईएसओ ही यूज कर पाते हैं। स्पीड इनका शटर लैग काफी स्लो होता है। ज्यादातर पाइंट एंड शूट कैमरे स्पीड से फ्रेम नहीं कर पाते। साथ ही इन का स्टार्टअप टाइम और फोकसिंग टाइम भी डिले होता है। लिमिटेड मैनुअल कंट्रोल्स इनकी लिमिटेड मैनुअल सेटिंग्स भी कई बार अखरती है। ज्यादातर कैमरे अपरचर प्रायरिटी और शटर प्रायरिटी के साथ आते हैं, जिससे कई बार बेहतरीन पिक्चर लेने में प्रॉब्लम होती है। कुछ एडवांस्ड पाइंट एंड शूट कैमरे फास्ट अपरचर के साथ आते तो हैं, लेकिन इसमें पूरा सब्जेक्ट फोकस में रहता है। इनमें सब्जेक्ट को हाईलाइट करने के लिए बैकग्राउंड को ब्लर करने का ऑप्शन नहीं होता। नो अपग्रेडेशन इनमें अपग्रेडेशन ऑप्शन न होना भी कई बार खलता है। इनमें लेंस, फ्लैश और एड ऑन बैट्री को अपग्रेड करने का ऑप्शन नहीं होता और यूजर को बेसिक जूम, वाइडएंगल और बेसिक मैक्रो रेंज से काम चलाना पड़ता है। - हरेंद्र चौधरी
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