इन देशों में Instagram और Facebook के लिए पेड वर्जन ला सकता है मेटा, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
जानकारी मिली है कि रेगुलेटरी जांच के जवाब में मेटा प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम के पेड वर्जन पर विचार कर रहा है जिसमें यूरोपीय संघ (ईयू) में रहने वाले यूजर्स के लिए कोई विज्ञापन नहीं पेश किया जाएगा। नई रिपोर्ट में प्लान की जानकारी दी गई है जिसमें यह बताया गया है कि जो लोग सब्सक्रिप्शन के लिए भुगतान करते हैं उन्हें विज्ञापन नहीं दिखेंगे।
By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Sat, 02 Sep 2023 03:14 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। यूरोपीय संघ(EU) ने मेटा और उसके प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम और फेसबुक के लिए कई नए नियम पर जोर दिया है, जिससे यह साफ था कि यहां इन सोशल मीडिया का सफर आसान नहीं होगा।
जैसा कि हम जानते मेटा टेक उद्योग में टॉप प्लेयर्स में से एक है और यूरोपीय संघ में इसकी रेगुलेटरी परेशानियां कंपनी के बिजनेस को बहुत ज्यादा प्रभावित कर रही है। बता दें कि आने वाले सालों में यह समस्या और बढ़ सकती है और कंपनी को रेगुलेटर्स से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है मेटा का प्लान
- अब लग रहा है कि मेटा अपने यूजर्स की प्राइवेसी को सुरक्षित रखते हुए सभी कानून का पालन करने का एक तरीका ढूंढ लिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा यूरोप में इंस्टाग्राम और फेसबुक का पेड वर्जन लॉन्च करने के विचार पर विचार कर रहा है।
- इस कदम के पीछे कारण बहुत साफ है कि यूरोप में यूजर्स को कोई विज्ञापन न दिखाया जाए। फिलहाल मेटा ने फेसबुक और इंस्टाग्राम का पेड वर्जन के लॉन्च की तारीख और कीमत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
यूरोप और मेटा के बीच की समस्या
- दिसंबर 2022 में यूरोपीय आयोग (EC) ने मेटा के खिलाफ अपने ऑनलाइन क्लासिफाइड ऐड बिजनेस से संबंधित इसके तरीकों के लिए एंटीट्रस्ट जांच शुरू की।
- EC ने ये जांच यह जानने के लिए की थी कि क्या मेटा ने अपनी फेसबुक मार्केटप्लेस सेवा को अपने सोशल नेटवर्क फेसबुक से जोड़कर अपनी बाजार शक्ति का दुरुपयोग किया है।
- मेटा ने यह भी धमकी दी कि अगर वह यूरोपीय यूजर्स के डेटा को संयुक्त राज्य अमेरिका में ट्रांसफर करने में सक्षम नहीं होगा तो वह पूरी तरह से यूरोपीय संघ छोड़ देगा।
- यह ऐसा इसलिए करेगा क्योंकि ईयू-यूएस प्राइवेसी शील्ड जुलाई 2020 में यूरोपीय न्यायालय द्वारा अमान्य कर दिया गया था। बता दें कि यह एक समझौता है, जो दोनों क्षेत्रों के बीच डेटा के ट्रांसफर की अनुमति देता है।