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फेसबुक और ट्विटर ने बंद किए सैकड़ों फर्जी खाते, वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप

सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और ट्विटर ने अनौपचारिक व्यवहार के लिए कई फर्जी खातों, पेज और ग्रुप्स को हटा दिया है

By Harshit HarshEdited By: Updated: Sat, 25 Aug 2018 07:35 AM (IST)
फेसबुक और ट्विटर ने बंद किए सैकड़ों फर्जी खाते, वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। दुनिया की मशहूर सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक ने 600 से ज्यादा फर्जी खातों और पेज को हटा दिया है। फेसबुक के मुताबिक इन 652 पेज, ग्रुप्स और खातों में से अधिकांश खाते और पेज ईरान में बनाए गए थे। फेसबुक के दावों के मुताबिक इन खातों, पेज और ग्रुप्स पर 'अनौपचारिक व्यवहार' का प्रचलन हो रहा था। सोशल मीडिया कंपनियों फेसबुक और ट्विटर ने साइबर सुरक्षा से जुड़ी हुई कंपनी फायर आई की गुप्त सूचना पर यह कार्रवाई की। ऐसा माना जा रहा है कि फेसबुक के इन खातों, पेज और ग्रुप्स से मिडल ईस्ट, लैटिन अमेरिकी देशों, यूके और अमेरिका के लोगों को टारगेट (निशाना) किया जा रहा था। 

ट्विटर ने हटाए 284 फर्जी खाते

फेसबुक के अलावा ट्विटर ने भी करीब 284 फर्जी खातों (जो ईरान से संबंध रखते थे) को इसी वजह से हटा दिया है। फेसबुक और ट्विटर का यह निर्णय माइक्रोसॉफ्ट के उस बयान के बाद आया है, जिसमें कंपनी ने दावा किया था कि रूस के हैकर्स अमेरिकी कंजर्वेटिव ग्रुप्स को निशाना बनाकर साइबर अटैक कर सकते हैं।

दुष्प्रचार को रोकने के लिए उठाया गया कदम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन खातों से ईरान के दुष्प्रचार को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें सऊदी विरोधी, इजरायल विरोधी और फिलिस्तीनी समर्थक विषय शामिल हैं। साइबर सुरक्षा नीति के प्रमुख ग्लेशर ने फेसबुक पर कहा, 'हमने अप्रमाणिक व्यवहार संचालित करने को लेकर ईरान में बनाए गए 652 पृष्ठों, समूह और खातों को हटा दिए हैं और जिसके लक्ष्य पर पश्चिम एशिया, लैटिन अमेरिका, ब्रिटेन और अमेरिका के लोग थे।' ट्विटर ने इसे 'समेकित चालबाजी' प्रयास करार दिया है।

अन्य खातों की भी हो रही है जांच

यूके के मीडिया के मुताबिक फेसबुक ने अपने बयान में कहा, हमने किसी भी तरह के अनौपचारिक व्यवहार फैलाने वाले ग्रुप को बैन कर दिया है। हम चाहते हैं कि यूजर्स सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जो भी कनेक्शन बनाए, उसपर उन्हें विशवास हो। हालांकि, अभी भी कुछ और खातों, पेज एवं ग्रुप्स की जांच की जा रही है। ऐसा माना जा रहा है कि मिडल ईस्ट, लैटिन अमेरिका, अमेरिका और यूके के यूजर्स के लिए अभी भी इस तरह का कैंपेन (अभियान) चलाया जा रहा है।

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