Tech Update: स्मार्ट डिवाइस में प्रयोग करते हैं ब्लूटूथ तो रहें सतर्क! ब्लूजैकिंग, ब्लूबगिंग और ब्लूस्नार्फिंग का है खतरा
Bluetooth Threats स्मार्ट डिवाइस के जरिए फाइल शेयर करना हो या कोई डाटा ब्लूटूथ इसकी सबसे आसान और सुगम तकनीक है। हांलाकि स्मार्ट डिवाइस पर हर वक्त ब्लूटूथ ऑन रखना आपकी गोपनियता और सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Wed, 20 Jul 2022 07:19 PM (IST)
संतोष आनंद। आजकल तकरीबन सभी स्मार्ट डिवाइस ब्लूटूथ कनेक्टिविटी के साथ आते हैं। ब्लूटूथ किसी भी डिवाइस को कनेक्ट करने या फिर फाइल शेयरिंग का एक आसान तरीका है। पर इसके साथ कई तरह के खतरे भी सामने आते हैं और यह प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिहाज से कई बार खतरनाक भी हो सकता है। अगर आप भी अक्सर डिवाइस को पेयर करने के लिए ब्लूटूथ का उपयोग करते हैं, तो फिर ब्लूजैकिंग, ब्लूबगिंग और ब्लूस्नार्फिंग के बारे में जान लें...
इन दिनों स्मार्ट डिवाइस में ब्लूटूथ का खूब उपयोग होने लगा है। आपको अपने ईयरबड्स या फिर हेडफोन से डिवाइस को कनेक्ट करना हो या फिर किसी से साथ फाइल शेयर करनी हो, यह चीजों को आसान बना देती है। इतना ही नहीं, आजकल तकरीबन सभी डिवाइस ब्लूटूथ इनेबल्ड हैं। स्मार्टफोन, आइओटी डिवाइस से लेकर कंप्यूटर और कार तक। लोग हर दिन इस तकनीक से घिरे रहते हैं। अगर आप ब्लूटूथ का सावधानीपूर्वक उपयोग नहीं करते हैं, तो फिर इससे ब्लूजैकिंग, ब्लूबगिंग और ब्लूस्नार्फिंग का खतरा बढ़ जाता है। यह आपकी प्राइवेसी और सिक्योरिटी को भी नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप इनसे बचना चाहते हैं, तो फिर आपको यह जानना होगा कि आखिर यह है क्या और इससे कैसे खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है।
ब्लूजैकिंग (Bluejacking)
ब्लूटूथ के जरिए होने वाले हमले ब्लूजैकिंग की बात करें, तो इसे कम खतरनाक श्रेणी में रखा जाता है। इस तरह के अटैक में ब्लूटूथ पर अवांछित मैसेज भेजना शामिल है। यदि आपने अपने ब्लूटूथ को आन कर रखा है या फिर ब्लूटूथ एक्टिव है, तो फिर आसपास का कोई अन्य व्यक्ति मैसेज भेजने के लिए आपके ब्लूटूथ का उपयोग कर सकता है। मगर आप ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहेंगे कि कोई ब्लूटूथ के जरिए आपके डिवाइस को एक्सेस करे। चूंकि ब्लूजैकिंग के जरिए आपको डिवाइस पर कुछ भी इंस्टाल नहीं किया जा सकता है या फिर उसे कंट्रोल में नहीं लिया जा सकता है, इसलिए ज्यादातर मामलों में यह बहुत नुकसान नहीं होता है। मगर हमलावर अनुचित सामग्री भेज सकता है, जो हानिकारक हो सकता है। मगर इससे कोई तकनीकी या आर्थिक क्षति नहीं होगी। मगर ब्लूबगिंग और ब्लूस्नार्फिंग अधिक गंभीर खतरा है।
ब्लूस्नार्फिंग (Bluesnarfing)
ब्लूस्नार्फिंग से होने वाला हमला ज्यादा खतरनाक होता होता है, जहां ब्लूजैकिंग में पीड़ित को अवांछित कंटेंट भेजा जाता है, वहीं ब्लूस्नार्फिंग अट्रैक में पीड़ित से कंटेंट हासिल किया जा सकता है। इस तरह के हमलों में डिवाइस से पासवर्ड, फोटो, कांटैक्ट, डाटा आदि चुराने के लिए ब्लूटूथ कनेक्शन में हेरफेर किया जाता है। लेकिन इस मामले में खतरनाक बात यह है कि हमलों का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। जबकि ब्लूजैकिंग में तुरंत पता चल जाता है कि कोई आपको मैसेज भेज रहा है। मगर आप यह नहीं देख सकते हैं कि कोई व्यक्ति ब्लूटूथ पर आपका डाटा चुरा रहा है। यदि आप अपने डिवाइस पर कोई ब्लूटूथ गतिविधि देखते हैं जिसे आपने शुरू नहीं किया है, तो यह ब्लूस्नार्फिंग का संकेत हो सकता है। इसमें हैकर किसी भी तरह के निशान छोड़े बिना 300 फीट की दूरी तक के डिवाइस को एक्सेस कर सकते हैं। हमले के दौरान साइबर अपराधी कांटैक्ट इंफार्मेशन, ईमेल, कैलेंडर एंट्रीज, पासवर्ड, फोटो व अन्य पर्सनली आइडेंटिफिएबल इंफार्मेशन (पीआइआइ) तक पहुंच सकते हैं और इसकी चोरी भी कर सकते हैं।
ब्लूबगिंग (Bluebugging)ब्लूस्नार्फिंग और ब्लूबगिंग बहुत हद तक एक समान ही है। इस तरह के हमले में हैकर्स आपकी डिवाइस तक पहुंच प्राप्त करने के बाद मालवेयर इंस्टाल कर देते हैं ताकि उन्हें भविष्य में भी एक्सेस मिल सके। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ब्लूबगिंग का एक उद्देश्य आपके डिवाइस पर 'बग' या जासूसी करना है। मगर इसमें अपराधी आपको डिवाइस को दूर से भी कंट्रोल करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। फोन पर होने वाली बातचीत को सुना जा सकता है या फिर बातचीत को हैकर्स थर्ड पार्टी को फारवर्ड कर सकता है। ब्लूबगिंग हमले के दौरान हैकर एसएमएस पढ़ सकता है और उसका जवाब भी दे सकता है। इतना ही नहीं, डिवाइस के मालिक को अलर्ट किए बिना काल कर सकता है और आनलाइन खातों या फिर एप्स तक भी पहुंच सकता है। ब्लूबगिंग के हमले के लिए पहला कदम पीड़ित के फोन को ब्लूटूथ के माध्यम से कनेक्ट करना होता है जैसा कि ब्लूस्नार्फिंग में भी होता है। उसके बाद हमलावर डिवाइस पर मालवेयर इंस्टाल करते हैं, जो उन्हें भविष्य में आथेंटिकेशन से बचने के लिए उपाय को बायपास करने देता है। इससे उन्हें डिवाइस पर पूरी पहुंच के साथ पूरा कंट्रोल भी मिल जाता है।
कैसे बचें इन हमलों सेआपको बता दें कि ब्लूटूथ की सीमा की वजह से इस तरह के हमले काफी सीमित होते हैं। फिर भी हैकर्स को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाने में लंबा समय नहीं लगता है, इसलिए आपको यह जानने की जरूरत है कि ब्लूबगिंग को कैसे रोकें :- जब आप ब्लूटूथ का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो इसे बंद करना सबसे प्रभावी कदम है। किसी भी ऐसे डिवाइस के साथ पेयर न करें, जिन्हें आप नहीं पहचानते हैं। अजनबियों की तरफ से आने वाले किसी भी पेयरिंग रिक्वेस्ट को कभी भी स्वीकार न करें।
- यदि आप डिवाइस में मौजूद खास जानकारी तक पहुंच के बारे में चिंतित हैं, तो फिर बेहतर होगा कि संवेदनशील डाटा को एक्टिव ब्लूटूथ वाले डिवाइस में स्टोर करने से बचें। आप मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और पासवर्ड को अक्सर बदलते रहें। इससे डिवाइस की सुरक्षा कर सकते हैं। इस तरह भले ही ब्लूबगिंग अटैक हमलावरों को आपका पासवर्ड मिल जाए, लेकिन वह लंबे समय तक प्रभावी नहीं होगा।- ब्लूबगिंग हमले आथेंटिकेशन को बायपास करने के लिए साफ्टवेयर की कमजोरियों का लाभ उठाते हैं। इसलिए बेहद जरूरी है कि अपने डिवाइस को हमेशा अप-टु-डेट रखें।
- ब्लूटूथ के माध्यम से किसी भी तरह की संवेदनशील जानकारी को शेयर करने से बचना चाहिए। इसमें बैंक की जानकारी, पासवर्ड, निजी फोटो व अन्य पर्सनल इंफार्मेशन शामिल हैं।- कई बार हैकर्स उन ब्लूटूथ डिवाइस को अपना टारगेट बनाते हैं, जो उनकी रेंज में होते हैं और डिसकवरेबल यानी खोजे जाने योग्य होते हैं। यहां पर बहुत सारे ऐसे साइबर क्रिमिनल्स भी हैं, जो बिना डिसकवरेबल वाले डिवाइस को भी हैक कर लेते हैं। हालांकि ये हमले दुर्लभ हैं, इसलिए हैकर्स के विकल्पों को सीमित करना होगा और ब्लूटूथ की सेटिंग्स को नाट डिसकवरेबल कर दें।
- भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थान हैकर्स के लिए हाटस्पाट होते हैं। यदि आप पहली बार किसी डिवाइस के साथ पेयर कर रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि घर, आफिस या फिर किसी सुरक्षित क्षेत्र में करें। इससे हैकर्स आपके ब्लूटूथ डिवाइस को डिटेक्ट नहीं कर पाएंगे।- यदि आपने पहले किसी डिवाइस को ब्लूटूथ से पेयर किया है और वह कहीं खो जाता है या चोरी हो जाती है, तो पेयर की गई लिस्ट से डिवाइस को हटा दें।
- डिवाइस से जुड़े अपडेट या पैच को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखें। आपको बता दें कि इस तरह के हमलों से बचने के लिए ब्लूजैकिंग, ब्लूस्नार्फिंग और ब्लूबगिंग के बारे में पहले जानना बेहद जरूरी है।