रोचक: स्मार्टफोन में मिलने वाले हर एक सेंसर का अलग काम, फोटोग्राफी के लिए कौन सा बेस्ट?
एक आम यूजर का मानना होता है कि फोन में जितने ज्यादा सेंसर दिए जाएंगे फोन उतने ही अच्छे फोटो क्लिक कर पाएगा। लेकिन असल में ऐसा होता नहीं है। बल्कि हर एक सेंसर का अलग-अलग काम होता है। फोन में मिलने वाले चार सेंसर क्या करते हैं। सब इस खबर में एक्सप्लेन कर रहे हैं। इससे आपको पता चलेगा कि कौन सा सेंसर कितना जरूरी है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। नया स्मार्टफोन खरीदते वक्त सबसे ज्यादा तरजीह कैमरा क्वालिटी को दी जाती है। पहले देखा जाता है कि उसमें कितने कैमरे दिए गए हैं। एक आम यूजर के बीच धारणा है कि अगर फोन में ज्यादा कैमरे दिए जाएंगे तो फोटो उतने ही अच्छे क्लिक हो पाएंगे।
ऐसे में सवाल है कि क्या वाकई फोन में अधिक सेंसर होने से फोटो क्वालिटी पर फर्क पड़ता है या सिर्फ हवा-हवाई बातें है। इन दिनों चार सेंसर वाले फोन खूब चलन में है, जिनके अलग-अलग काम हैं। हम इस खबर के जरिये आपको इन चारों सेंसर्स का काम समझाने का प्रयास करेंगे।
वाइड एंगल लेंस
आमतौर, पर आज से कुछ सालों पहले तक फोन सिर्फ वाइड एंगल लेंस के साथ आते थे, लेकिन अब स्मार्टफोन चार-चार सेंसर के साथ पेश किए जा रहे हैं। चूंकि, इस सेंसर का इस्तेमाल सबसे ज्यादा फोन में किया जाता है तो सबसे पहले इसी का काम समझते हैं।मतलब साफ है कि अगर यह सेंसर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो इसके पास बाकी के सेंसर के मुकाबले काम भी ज्यादा है। रोजमर्रा की फोटोग्राफी के लिए यह सेंसर सबसे अच्छा है। भले ही कितना सस्ता फोन क्यों न हो, उसमें इस सेंसर को ही प्राइमरी सेंसर के तौर पर दिया जाता है।
अल्ट्रा-वाइड एंगल लेंस
स्मार्टफोन्स में आजकल सेकेंडरी कैमरा खूब दिया जा रहा है। इसको कंपनियां अल्ट्रा-वाइड एंगल लेंस कहती हैं। यानी, वह सेंसर होता है जो वाइड एंगल लेंस की तुलना में ज्यादा डेप्थ और एरिया के साथ फोटो कैप्चर कर सकता है। इसको ऐसे समझिए कि आप किसी चीज का फोटो क्लिक कर रहे हैं और उसके लिए ज्यादा एंगल की जरूरत है तो इस स्थिति में ऑटोमेटिक ही अल्ट्रा-वाइड एंगल लेंस का काम शुरू हो जाता है। वाइड-एंगल लेंस में 79-80 डिग्री फील्ड ऑफ व्यू मिलता है, जबकि अल्ट्रा-वाइड एंगल लेंस में 117-123 डिग्री फील्ड ऑफ व्यू मिल रहा होता है।