Move to Jagran APP

Smartphone Network कैसे करता है काम, नेटवर्क जनरेशन एक-दूसरे से ऐसे हैं अलग

हर स्मार्टफोन यूजर को नेटवर्क से जुड़ी परेशानी आती ही है। बावजूद इसके स्मार्टफोन यूजर चाहता है कि वह एक ऐसा स्मार्टफोन खरीदे जिसमें नेटवर्क से जुड़ी परेशानी कम आए। इस साल का कोई सटीक जवाब तो नहीं हो सकता है लेकिन एक स्मार्टफोन बायर को यही सलाह दी जाती है कि नेटवर्क का कनेक्शन बहुत हद तक स्मार्टफोन के बैंड्स से जुड़ा है।

By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Tue, 08 Aug 2023 07:30 PM (IST)
Hero Image
Smartphone नेटवर्क कैसे करता है काम, यहां जानें
नई दिल्ली, टेक डेस्क। स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए एक यूजर के जेहन में नेटवर्क को लेकर कई सवाल आते हैं। स्मार्टफोन नेटवर्क कैसे काम करता है, मोबाइल फोन में नेटवर्क कैसे आता है, नेटवर्क के लिए कौन-सा स्मार्टफोन सबसे सही है, स्मार्टफोन में नेटवर्क को कैसे सही करें, ये सब वे सवाल हैं जो कभी न कभी आपके दिमाग में भी आए होंगे। इस आर्टिकल में स्मार्टफोन नेटवर्क को लेकर ही कुछ जानकारियों को देने की कोशिश कर रहे हैं-

मोबाइल नेटवर्क कैसे करता है काम

सबसे पहले यही समझने की कोशिश करते हैं कि मोबाइल नेटवर्क काम कैसे करता है। आसान भाषा में समझें तो मोबाइल नेटवर्क और वायरलेस नेटवर्क यूजर तक रेडियो तरंगों के रूप में संचार को भेजता है।

यह बेस स्टेशन से स्टेशन से बना होता है, हर स्टेशन एक एरिया को कवर करता है। रेडियो तंरगें एक बड़े एरिया को कवर करता है।

मोबाइल डेटा के लिए यूजर अलग-अलग तरह के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि मोबाइल डेटा नेटवर्क कितने तरह का होता है।

मोबाइल डेटा नेटवर्क कितने तरह का होता है

मोबाइल डेटा नेटवर्क अलग-अलग तरह के होते हैं। इन नेटवर्क में 3G, 4G, 5G, LAN और WAN को शामिल किया जाता है। इन नेटवर्क में अंतर समझने की कोशिश करें तो ये सभी नेटवर्क सिग्नल ट्रांसमिशन के लिए अलग-अलग रेडियो नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं।

नेटवर्क के लिए कौन-सा स्मार्टफोन सबसे सही है

स्मार्टफोन महंगा हो चाहे सस्ता हर यूजर को नेटवर्क से जुड़ी परेशानी आती ही है। बावजूद इसके स्मार्टफोन यूजर चाहता है कि वह एक ऐसा स्मार्टफोन खरीदे जिसमें नेटवर्क से जुड़ी परेशानी कम आए।

इस सवाल का कोई सटीक जवाब तो नहीं हो सकता है लेकिन, एक स्मार्टफोन बायर को यही सलाह दी जाती है कि नेटवर्क का कनेक्शन बहुत हद तक स्मार्टफोन के बैंड्स से जुड़ा है।

स्मार्टफोन में ज्यादा बैंड का होना इस बात की ओर इशारा करता है कि डिवाइस पर नेटवर्क से जुड़ी परेशानियां कम आएंगी।

नेटवर्क जनरेशन एक-दूसरे से कैसे हैं अलग

जहां पहले इंटरनेट के लिए 1G का इस्तेमाल होता था, वहीं अब साल 2022 में फास्टेस्ट इंटरनेट के रूप में 5G को पेश किया जा चुका है। ऐसे में यह भी समझना जरूरी है कि नेटवर्क जनरेशन एक-दूसरे से कैसे अलग हैं।

  • 1G नेटवर्क जनरेशन के साथ यूजर को पहली बार रिमोट कॉलिंग की सुविधा मिली थी। हालांकि, इस नेटवर्क जनरेशन में यूजर को वॉइस क्वालिटी की परेशानी आती थी। यूजर को इस जनरेशन में मैक्सिमम स्पीड ही 2.4 Kbps मिलती थी।
  • 2G नेटवर्क जनरेशन के साथ यूजर को पहली बार एसएमएस और इंटरनेट ब्राउजिंग की सुविधा मिली थी। यूजर को इस जनरेशन में मैक्सिमम स्पीड ही 50 Kbps मिलती थी।
  • 3G नेटवर्क जनरेशन के साथ यूजर को वीडियो, वॉइस कॉल, जीपीएस की सुविधा मिली थी। यूजर को इस जनरेशन में मैक्सिमम स्पीड 3Mbps मिली थी।
  • 4G नेटवर्क जनरेशन के साथ यूजर को डेटा ट्रांसफर की स्पीड बढ़ी हुई मिली। इस जनरेशन में डेटा ट्रांसफर स्पीड बढ़कर 100Mbps हो गई थी।
  • 5G लेटेस्ट नेटवर्क जनरेशन है। यूजर को इस जनरेशन के साथ 10Gbps से ज्यादा की स्पीड मिलती है। इसके अलावा, नया जनरेशन लॉ लेटेंसी के साथ लाया गया है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

मोबाइल नेटवर्क और वायरलेस नेटवर्क यूजर तक रेडियो तरंगों के रूप में संचार को भेजता है। यह बेस स्टेशन से स्टेशन से बना होता है, हर स्टेशन एक एरिया को कवर करता है।

मोबाइल में नेटवर्क की परेशानी आने पर फोन को एरोप्लेन मोड पर डाल सकते हैं। फोन को ऑफ भी कर सकते हैं। इसके अलावा, नेटवर्क सेटिंग को मैनुअली ठीक कर सकते हैं।

नेटवर्क के लिए स्मार्टफोन के बैंड्स चेक कर सकते हैं। जितने ज्यादा बैंड की सुविधा होगी फोन में नेटवर्क से जुड़ी परेशानी उतनी ही कम होगी।