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ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से बचने के लिए बरतें ये सावधानियां, नहीं तो लुट सकती है मेहनत की कमाई

बैंकिंग फ्रॉड से इन आसान उपायों से बचा जा सकता है, आपकी सावधानी ही आपकी गाढ़ी कमाई को बचा सकती है

By Harshit HarshEdited By: Updated: Fri, 24 Aug 2018 07:24 AM (IST)
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ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से बचने के लिए बरतें ये सावधानियां, नहीं तो लुट सकती है मेहनत की कमाई
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। हम अक्सर खबरो में देखते हैं कि आज किसी के अकाउंट से 50,000 रुपये निकल गए। किसी के क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग कर ली गई या फिर किसी के एटीएम कार्ड से पैसे निकल गए। यहां तक की कई लोग ऑनलाइन बैंकिंग सेवा का इस्तेमाल भी इसी डर से नहीं करते हैं कि वो बैंकिंग फ्रॉड का शिकार न बन जाएं। लेकिन, आपको बता दें बैंकिंग फ्रॉड के ज्यादातर मामलों ग्राहकों की लापरवाही या सावधानी न बरतने की वजह से अंजाम दिए जाते हैं। आज हम आपको एटीएम, नेटबैंकिंग, क्रेडिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट के जरिए होने वाले फ्रॉड से बचने के लिए बताने जा रहे हैं।

एटीएम से होने वाले फ्रॉड से ऐसे बचें

एटीएम मशीन से पैसे निकालना काफी आसान है और लोग इसका ज्यादातर इस्तेमाल करते हैं। एटीएम मशीन के जरिए भी आपके एटीएम कार्ड का नंबर और पिन पता करके आपके बैंक अकाउंट से पैसा निकाला जा सकता है। इससे बचने के लिए आपको यह सावधानियां बरतनी होंगी।

  • एटीएम से पैसे निकालने से पहले आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पीछे जो एटीएम की लाइन में लगा हो वो आपके साथ एटीएम में एंट्री न करें।
  • एटीएम मशीन में अपना डेबिट कार्ड डालने के बाद पिन हमेशा अपने हाथों से ढ़ककर ही डालें। कभी-कभी हैकर्स माइक्रो कैमरे के जरिए आपके पिन नंबर को पढ़ सकते हैं।
  • एटीएम कार्ड या डेबिट कार्ड का पिन और कार्ड नंबर कभी भी किसी से शेयर न करें। डेबिट कार्ड के पीछे एक सीवीवी (CVV) नंबर लिखा होता है, उसे याद कर लें और उस सीवीवी नंबर को ब्लैक परमानेंट मार्कर से ओवरराइट कर दें ताकि अन्य कोई भी इसे जान न सके।
  • एटीएम से पैसा निकालने के बाद ट्रांजैक्शन स्लिप को फाड़कर ही डस्टबिन में डालें। इन ट्रांजेक्शन स्लिप पर आपके डेबिट कार्ड का आखिरी 4 डिजिट दर्ज होता है साथ ही बैंक अकाउंट की महत्वपूर्ण जानकारी होती है, जिसकी मदद से हैकर्स आपके अकाउंट की अन्य जानकारी निकाल सकते हैं।
  • किसी भी व्यक्ति से अपना OTP (वन टाइम पासवर्ड) नंबर शेयर न करें। बैंक कभी भी आपसे आपका ओटीपी नहीं मांगता है।
क्रैडिट कार्ड से होने वाले फ्रॉड से इस तरह बचें

  • हर क्रैडिट और डेबिट कार्ड के पीछे एक सीवीवी (CVV) नंबर लिखा होता है, उसे याद कर लें और उस सीवीवी नंबर को ब्लैक परमानेंट मार्कर से ओवरराइट कर दें ताकि अन्य कोई भी इसे जान न सके। साथ ही सिग्नेचर वाले जगह पर अपना साइन जरूर कर लें।
  • जब आप पेट्रोल पंप या फिर किसी रेस्टोरेंट पर जाकर शॉपिंग करते हैं तो उनको अपना कार्ड न दें। पेमेंट करते समय आप अपने हाथ में मशीन लेकर ट्रांजेक्शन पूरा करें। आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी एक बार अगर किसी के हाथ में आ जाती है तो वो आपके कार्ड की जानकारी को कॉपी कर सकता है या फिर क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग कर सकता है।
  • आजकल तमाम बैंकिंग कंपनियां टू-लेयर वेरिफिकेशन प्रोसेस को फॉलो करते हैं। इस केस में आपके पास अगर कोई OTP (वन टाइम पासवर्ड) आए सुनिश्चित करें कि वह ट्रांजेक्शन आपके अलावा किसी और ने तो नहीं किया है। अगर, ऐसे लगे तो तुरंत अपने कार्ड को ब्लॉक करा लें, नहीं तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
नेटबैंकिग से होने वाले फ्रॉड से ऐसे बचें

जब से सभी बैंकों ने तकनीक का इस्तेमाल करके CBS (कोर बैंकिंग सेवा) की शुरुआत की है, लोगों को बैंकिंग सुविधा का लाभ आसानी से ले पा रहे हैं। आजकल ज्यादातर यूजर्स नेट-बैंकिंग सुविधा का इस्तेमाल करते हैं। इस नेट-बैंकिंग सेवा के जितने लाभ हैं, इसमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। लेकिन, नुकसान उठाने से बचने के लिए आपको कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं।

  • जब भी आप नेटबैंकिंग सेवा का इस्तेमाल करते हैं तो आप यह सुनिश्चित कर लें कि आप जो वेबसाइट ओपन कर रहे हैं वह ऑफिशियल है कि नहीं। इसके लिए सबसे पहले आप अपने बैंक के वेबसाइट का स्पेलिंग चेक कर लें। आमतौर पर क्लोन या फर्जी वेबसाइट्स की स्पेलिंग सही नहीं होती है या फिर पजल्ड होती है।
  • स्पेलिंग के अलावा यह भी चेक कर लें कि वेबसाइट के शुरुआत में जहां आप वेब एड्रेस डालते हैं वहां हरे रंग ला सिक्योर बना हुआ आ रहा है कि नहीं। इसके अलावा यह भी सुनिश्चित कर लें कि आपके बैंकिंग वेबसाइट https:// से शुरू हो रहा है कि नहीं। आमतौर पर वेरिफाइड और सुरक्षित वेबसाइट के आगे में हरा बना हुआ आता है।

  • जब भी आप नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं तो आप हमेशा यूजरनेम या कस्टमर आईडी और पासवर्ड वर्चुअल की-बोर्ड से ही डालें। ऐसा इसलिए, क्योंकि कभी-कभी आप इंटरनेट से कुछ डाउनलोड करते हैं तो की-बोर्ड रीड करने वाले वायरस उसके साथ डाउनलोड हो जाते हैं। आप जब भी कुछ टाइप करते हैं तो यह वायरस आपका यूजरआईडी और पासवर्ड रिकार्ड करके हैकर्स को भेज सकता है। इस तरह से आप बैंकिंग फ्रॉड से बच सकते हैं।
  • जब भी आप ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने के लिए बेनिपिशियरी एड करते हैं तो आपके पास ओटीपी आता है। इसके साथ ही, नेट-बैंकिंग का इस्तेमाल करने के बाद अपने अकाउंट से लॉग आउट करना नहीं भूलें।
मोबाइल वॉलेट को किस तरह रखें सेफ

जब भी आप पेटीएम, एयरटेल मनी, जियो मनी, वोडाफोन एम-पैसा, मोबिक्विक आदि जैसे मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इसका अकाउंट बनाना होता है। आप इस मोबाइल वॉलेट अकाउंट को अपने मोबाइल फोन के जरिए बनाते हैं। आपके स्मार्टफोन में इस मोबाइल वॉलेट को हमेशा ऐप लॉक करके या फिर फिंगरप्रिंट सेंसर के जरिए लॉक करके रखें, ताकि, अगर आपका स्मार्टफोन किसी के हाथ भी लग जाए तो वो इस मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल नहीं कर सके।

बैंकिंग फ्रॉड होने के बाद पैसा वापस मिलेगा या नहीं?

अगर, आपके अकाउंट से कभी कोई फ्रॉड हो गया है तो भारतीय रिजर्व बैंक की गाइडलाइन्स के मुताबिक आपको ट्रांजेक्शन के तीन दिन के अंदर बैंक और पुलिस दोनों को बताना होगा। इसमें बैंक यह पता लगाएगी कि यह फ्रॉड किसकी गलती से हुआ है। अगर, यह फ्रॉड आपकी गलती से हुआ है तो बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है। किसी फ्रॉड में अगर बैंक का कोई ग्लीच या गड़बड़ी होती है तो आपको आपका पूरा पैसा रिफंड कर दिया जाता है। ज्यादातर केस में यह देखा गया है कि गलती यूजर्स की ही होती है। वो किसी भ्रामक कॉल्स का शिकार हो जाते हैं और अपने अकाउंट की जानकारी, ओटीपी आदि शेयर कर देते हैं। 

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