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Internet पर कुछ गलत तो नहीं देख रहे हैं आपके बच्चे, निगरानी के लिए ये 5 टिप्स आएंगे काम

वैसे तो इंटरनेट बच्चों के लिए ज्ञान शिक्षा और मनोरंजन का एक मूल्यवान स्रोत हो सकता है लेकिन यह आपके लिए समस्याएं भी ला सकता है। इंटरनेट के गलत इस्तेमाल से बच्चे साइबरबुलिंग या किसी अन्य डिजिटल दुरुपयोग के संपर्क में आ सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम अपने बच्चों को इन खतरों से दूर रखें। इसके लिए हम कुछ टिप्स अपना सकते हैं।

By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Wed, 26 Jul 2023 02:49 PM (IST)
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Internet use tips for kids, know the details here
नई दिल्ली, टेक डेस्क। बदलते समय के साथ जिस तरह से हमारा डिजिटल जीवन हमारी भौतिक दुनिया से उलझ गया है, वह माता-पिता,केयरटेकर और शिक्षकों के लिए नई, बड़ी चुनौतियां लेकर आया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चों को ऑनलाइन जानकारी पढ़ना और समझना और आम तौर पर इंटरनेट पर नेविगेट करना सिखाना आवश्यक है। खासकर ऑनलाइन छिपे जोखिमों के बारे में बताना जरूरी है।

जैसे-जैसे बच्चे अपने स्कूल की दिनचर्या के आदी हो जाते हैं, वे इंटरनेट की तरफ अधिक आकर्षित होते जाते हैं। यह सही समय है, जब माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों और किशोरों को सुरक्षित डिजिटल जीवन की ओर मार्गदर्शन करना चाहिए। ऐसे में कुछ टिप्स काम आ सकते हैं, जिनके बारे में आज हम जानेंगे।

बेहतर पासवर्ड की दें सलाह

बड़ो की तरह बच्चे भी पासवर्ड सुरक्षा को लेकर काफी परेशान रहते हैं। ऐसे में आप उन्हें यह समझाकर मदद कर सकते हैं कि उन्हें मजबूत और यूनिक पासवर्ड का उपयोग क्यों करना चाहिए और उन पासवर्ड को निजी रखना चाहिए। इतना ही नहीं यहां तक कि उनके वीडियो गेम के साथ भी, एक मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करना चाहिए, जो उनकी गेम इन्वेंट्री को गलत हाथो में जाने से सुरक्षित रखेगा।

अगर वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं तो भी उन्हें मजबूत पासवर्ड रखने की सलाह दें और 2 स्टेप वेरिफिकेशन जैसे सुरक्षित तरीकों का इस्तेमाल करने को कहे।

व्यक्तिगत जानकारी रखें सुरक्षित

छोटे बच्चों को इस बात का महत्व समझाना जरूरी है कि डेटा के महत्व होता है, लेकिन ध्यान रखें कि किशोर भी हमेशा अपनी व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन सौंपने के खामियों को नहीं समझते हैं और फिशिंग जैसे साइबर क्राइम का शिकार हो सकते है।

ऐसे में उन्हें समझाएं कि उन्हें कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति की दी गई लिंक नहीं खोलने चाहिए, जिन्हें वे नहीं जानते हैं, और अगर कोई मित्र मैसेजिंग ऐप के माध्यम से कुछ भेजता है, तो उस पर क्लिक करने से पहले उन्हें हमेशा पुष्टि करनी चाहिए कि क्या लिंक वास्तव में मित्र द्वारा भेजा गया था, और यह वैध है और सुरक्षित है, या यह स्पैम है।

मायने रखता है उनका डेटा

डिजिटल युग में बड़े होने का मतलब है कि आपका सारा डेटा ऑनलाइन होना, चाहे वह सरकारी मंच पर हो या माता-पिता की सोशल मीडिया प्रोफाइल पर हो जो उनके छोटे बच्चों को दिखाती हो। वे पहले से ही चेहरा पहचान प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं, पहनने योग्य उपकरणों द्वारा एकत्र किए गए स्वास्थ्य डेटा को संग्रहीत कर रहे हैं, ऑनलाइन डेटाबेस पर अपने ग्रेड रख रहे हैं, और वीडियो गेम प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करने के लिए अपने व्यक्तिगत विवरण दे रहे हैं। ऐसे में कोई बच नहीं सकता।

इसलिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों को समझाएं कि इस डेटा का उपयोग कैसे किया जा सकता है। समझाएं कि व्यवसायों के लिए उन्हें प्रोफाइल करना, सोशल मीडिया के लिए उन्हें विज्ञापनों के लिए लक्षित करना, उन सरकारों के लिए जो अपने नागरिकों के बारे में जानकारी एकत्र करना चाहते हैं और अंततः, हमारा डेटा हैकर्स के लिए आय का एक स्रोत है, जो इसका उपयोग धोखाधड़ी के लिए कर सकते हैं।

अपने डिवाइस को किसी से साझा ना करें

लैपटॉप, फोन और टैबलेट जैसे मोबाइल उपकरणों ने ‘पर्सनल कंप्यूटर’ की अवधारणा में नया अर्थ जोड़ दिया है। बच्चे अक्सर तस्वीरें दिखाते समय, मोबाइल वीडियो गेम खेलते समय या ‘सिर्फ टिकटॉक पर कुछ चेक करते समय’ अपने डिवाइस को दोस्तों के साथ साझा कर देते है। अगर ऐसा होता भी है तो यह हमेशा उनकी देखरेख में ही किया जाना चाहिए। नहीं तो हो सकता है कि कोई आपकी पर्सन तस्वीरे किसी और के साथ साझा कर दें।

अजनबियों से रहें सावधान

एक और विषय जिससे माता-पिता और शिक्षकों को बचना नहीं चाहिए वह है अजनबी खतरा। बच्चों को यह बताने के अलावा कि वे किसी अजनबी की कार में प्रवेश न करें, उन्हें याद दिलाएं कि इंटरनेट अजनबियों से भरा एक बड़ा सार्वजनिक स्थान है। बताएं कि क्या हो सकता है, और किसी भी क्षति को कैसे रोका जाए।

आपके बच्चों को पता होना चाहिए कि इंटरनेट एक ऐसी जगह है जहां कंप्यूटर के पीछे छिपे लोग मतलबी हो सकते हैं। बच्चे जितनी अधिक जानकारी साझा करेंगे, संभावित नुकसान उतना ही अधिक होगा।

बच्चों को सावधान रहना सिखाएं, न केवल उन लोगों से जिन्हें वे नहीं जानते, बल्कि उन लोगों से भी जिन्हें वे जानते हैं। उन्हें साइबरबुलिंग और ग्रूमिंग जैसी अवधारणाओं का अर्थ समझाएं, और कैसे अजनबी नकली दोस्ती बनाने में समय लेते हैं और युवाओं को व्यक्तिगत डेटा और यहां तक कि यौन कंटेंट साझा करने के लिए बरगलाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप धमकी, डर और संभावित शारीरिक नुकसान हो सकता है।