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AI और AR टेक्नोलॉजी बदल रही जिंदगी जीने का तरीका, एक-दूसरे से कितनी अलग है ये तकनीक

टेक्नोलॉजी की नई- नई टर्म जिंदगी जीने का तरीका बदल रही हैं। एआर वीआर टेक्नोलॉजी से बने वियरेबल डिवाइस पेश किए जा रहे हैं जो यूजर के एक्सपीरियंस को बेहतरीन बना रहे हैं। इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों के काम को आसान बना रहे हैं। (फोटो- जागरण)

By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Tue, 07 Feb 2023 11:19 AM (IST)
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What Are AI AR VR Technology Know The Difference, pic courtesy- jagran file
नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेक की दुनिया में एआई, एआर और वीआर जैसी टेक टर्म्स का नाम खासा पॉपुलर है। अब कई ऐसे स्मार्ट डिवाइस भी आने लगे हैं जो इन नई तकनीकों के साथ पेश किए जा रहे हैं। इस कड़ी में प्रीमियम कंपनी एप्पल का नाम आपने भी सुना होगा।

आपके जेहन में भी सवाल आया होगा कि एआई, एआर और वीआर क्या हैं? यही नहीं, इन तीनों ही टर्म का हमारी जिंदगी में क्या इस्तेमाल है, आइए जानते हैं-

समझदार और बुद्धिमान मशीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

सबसे पहले बात आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की करते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को आसाना भाषा में इंसान के दिमाग की उपजी एक मशीन कह सकते हैं। यह मशीन समझदारी और बुद्धिमानी के लिए जानी जाती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बहुत से कामों को आसान बनाया जा रहा है।

कुछ स्थितियों में वे काम जो हमारे लिए भी बेहद मुश्किल हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से किए जा सकते हैं। यह बहुत हद तक मशीन होने के बावजूद भी इंसानी दिमाग जैसे ही काम करती है।

एक साथ जुड़ती हैं दो दुनिया 

इसके अलावा एआर की बात करें तो ऑग्मेंटेड रियलिटी, वर्चुअल और एक्चुअल लाइफ का कॉम्बिनेशन है यानी वर्चुअल वर्ल्ड में होते हुए भी, रियल लाइफ का एक्सपीरियंस मिलना टेक की इस टर्म से संभव है। एआर टेक्नोलॉजी पर बने वियरेबल डिवाइस और ऐप्स यूजर्स के एक्सपीरियंस को बेहतर बनाते हैं।

पोकेमोन गो एक गेम के उदाहरण से इस तकनीक को समझा जा सकता है। पोकेमोन गो एक एआर टेक्नोलॉजी पर आधारित ऐप है। इस गेम में यूजर के डिवाइस का कैमरा ऑन हो जाता है, जिसकी मदद से गेम चलते हुए डिवाइस की स्क्रीन पर आसपास के सराउंडिंग दिखने लगती है। इस तरह यह टेक्नोलॉजी डिजिटल वर्ल्ड में रियल वर्ल्ड का एक्सपीरियंस जोड़ती है।

वर्चुअल रियलिटी: हकीकत का आभास

वहीं वीआर टेक्नोलॉजी की बात करें तो टेक टर्म वर्चुअल रियलिटी आपको एक आभासी वातावरण में लेकर जाती है। इस टेक्नोलॉजी से तैयार डिवाइस का इस्तेमाल करने के दौरान यूजर की आंखों के सामने रियल लाइफ जैसा वातावरण आ जाता है।

हालांकि, हकीकत में यह ऐसा नहीं होता, बल्कि यूजर का मात्र आभास होता है। इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर कुछ भी सुनना देखना घटना हकीकत में होने जैसा ही होता है।

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