एक क्लिक और जीवन भर की कमाई से हाथ धो बैठेंगे आप, AI जनरेटेड फिशिंग मेल और लिंक की ऐसे करें पहचान
What Is AI generated phishing attacks How To Identify phishing Mail And Link फिशिंग साइबर हैकिंग का एक पुराना हथियार है। यूजर को मालवेयर वाले लिंक पर क्लिक करवाने के लिए साइबर अपराधी अब एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं यूजर के लिए ऐसे प्रॉम्प्ट जनरेट किए जा रहे हैं जिन्हें स्टेप बाय स्टेप फॉलो कर आसानी से मालवेयर लिंक तक पहुंचना संभव हो चुका है।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेक्नोलॉजी एडवांस होने के साथ इंटरनेट यूजर के काम बेहद आसान हो रहे हैं। एआई टेक्नोलॉजी की मदद से यूजर के लिए प्रोफेशनल मेल टाइपिंग से लेकर म्यूजिक कम्पोज करने तक का काम आसान हुआ है।
हालांकि, यूजर के काम को आसान बनाने वाली यही एआई टेक्नोलॉजी साइबर फ्रॉड करने वाले अपराधियों की राह भी आसान बना रही है। ChatGPT, Google Bard और Mircosoft Bing जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सभी यूजर्स के लिए फ्री है। ऐसे में फिशिंग के जरिए यूजर्स को ठगा जा रहा है।
फिशिंग क्या होता है?
सबसे पहले यही समझने की कोशिश करते हैं कि फिशिंग क्या होता है। दरअसल, यूजर के डिवाइस को हैक करने के लिए हैकर्स द्वारा इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। यूजर को किसी तरह का लालच देकर या किसी तरह का बहकावा देकर हैकर्स अलग-अलग माध्यमों से मालवेयर वाला लिंक सेंड करते हैं।
मालवेयर वाले लिंक को पहुंचाने के लिए पॉपुलर चैटिंग ऐप्स से लेकर जीमेल तक का इस्तेमाल किया जाता है। मालवेयर वाले लिंक पर एक क्लिक के साथ ही यूजर का डिवाइस हैक किया जा सकता है, जिसके बाद हैकर टारगेटेड यूजर की बैंकिंग जानकारियों को चुरा सकता है।
एआई जनरेटेड फिशिंग अटैक क्या है?
एआई टेक्नोलॉजी के साथ फिशिंग अटैक प्लान करना और भी आसान हो गया है। एआई की मदद से यूजर को बहकाने वाले मैसेज तैयार किए जा सकते हैं।
हालांकि, चैटजीपीटी जैसे प्लेटफॉर्म पर इस तरह की जानकारियां नहीं ली जा सकती हैं, लेकिन यूजर के लिए ऐसे प्रॉम्प्ट तैयार किए जा सकते हैं, जो उन्हें मालवेयर वाले लिंक पर पहुंचाता हो। फिशिंग मेल के जरिए स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस बता कर मालवेयर पर लिंक करवाया जा सकता है। ऐसे में यूजर को चाहिए कि वे फिशिंग मेल और लिंक की पहचान कर सके।
फिशिंग मेल और लिंक की पहचान कैसे करें
फिशिंग मेल और लिंक की पहचान करने के लिए वेब पेज के वेब एडरेस पर ध्यान देना होगा। बैंकिंग और पर्सनल जानकारियों के लिए https:// एडरेस होना जरूरी है।
वेबसाइट की प्रमाणिकता की पहचान के लिए किसी भी अनजान वेबसाइट के डिजिटल सर्टिफिकेट को चेक करना होगा।
ब्राउजर विंडो में फाइल्स पर क्लिक कर प्रॉपर्टीज पर क्लिक कर सकते हैं। यहां सर्टिफिकेट की जानकारी ली जा सकती है।