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क्या है Computer Virus, कैसे चुटकियों में यूजर के डेटा का करता है सफाया

What Is Computer Virus कंप्यूटर वायरस यूजर के डिवाइस में मौजूद सभी फाइल्स को नुकसान पहुंचाता है। इतना ही नहीं कंप्यूटर में मौजूद वायरस छुपकर यूजर की जानकारियों को चुराने का काम भी करता है। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Tue, 23 May 2023 01:25 PM (IST)
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What is Computer Virus How It Affects User Device, Pic Courtesy- Jagran Graphics
नई दिल्ली, टेक डेस्क। वायरस अब एक जाना-माना टर्म है। कोरोना वायरस के बाद से यह एक आम टर्म है। हालांकि, वायरस के मतलब को आसान भाषा में समझने की कोशिश करें तो वायरस एक ऐसे खतरे को माना जा सकता है, जो धीरे-धीरे फैल कर अपना जाल बिछाता है और अंत में एक बड़े नुकसान की वजह बनता है।

हालांकि, कंप्यूटर की टेक्निकल टर्म में वायरस का क्या मतलब होता है और यह कैसे आपके डिवाइस को नुकसान पहुंचाता है, इस आर्टिकल में बताने की कोशिश कर रहे हैं-

क्या है कंप्यूटर वायरस

सबसे पहले समझते हैं कंप्यूटर वायरस क्या है। दअरसल कंप्यूटर वायरस एक प्रोग्राम है, जो कि यूजर के डिवाइस ( स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर) को नुकसान पहुंचाता है। कंप्यूटर में मौजूद डिवाइस कंप्यूटर के डेटा को इस हद तक नुकसान पहुंचाता कि उन फाइल्स को दोबारा इस्तेमाल ही नहीं किया जा सकता।

किसी सिस्टम में मौजूद वायरस कंप्यूटर प्रोग्राम को मॉडिफाई करने और खुद के कोड एंटर करने का काम करता है। अगर किसी डिवाइस में समय रहते वायरस का पता नहीं लग पाता है तो पूरा सिस्टम क्रैश हो सकता है। कंप्यूटर वायरस दुनियाभर के देशों के लिए एक बड़ी परेशानी है। कंप्यूटर वायरस की वजह से अलग-अलग देशों की इकोनमी को करोड़ों डॉलर्स का नुकसान पहुंचता है।

कंप्यूटर में वायरस होने पर कौन-से साइन मिलते हैं?

कंप्यूटर में वायरस होने पर इसका पता लगाया जा सकता है। कुछ हद तक अगर यूजर अपने डिवाइस में हर एक्टिविटी पर नजर बनाए रखता है तो वायरस की जानकारी कुछ बातों से मिल जाती है-

कंप्यूटर में वायरस के आने पर यह सबसे पहला हमला सिस्टम की स्पीड पर करता है। यानी अगर यूजर का डिवाइस ठीक स्पीड में चलता है और अचानक डिवाइस स्लो हो जाता है तो इस बात पर ध्यान देने की जरूरत होती है। एप्लीकेशन के खुलने में ज्यादा समय लगना वायरस होने की ओर इशारा करता है।

इसी तरह अगर डिवाइस ठीक चल रहा है और अचानक यह क्रैश हो जाए तो वायरस होने की ओर इशारा समझा जा सकता है। वायरस कंप्यूटर में एंटर होते ही सभी फाइल्स और डेटा को नुकसान पहुंचा देता है, जिसकी वजह से डिवाइस पूरी तरह से बंद पड़ जाता है।

कंप्यूटर में वायरस के आते ही यह यूजर के अलग-अलग अकाउंट को अपना टारगेट बनता है। यूजर के अलग-अलग अकाउंट अचानक लॉग-आउट होना भी वायरस की ओर इशारा करता है।

कंप्यूटर वायरस सिस्टम में यूजर की बिना परमिशन ही प्रोग्राम को रन करते हैं। ऐसे में अगर सिस्टम में किसी तरह का कोई प्रोग्राम बिना जानकारी के रन हो रहा है तो यह वायरस की वजह से हो सकता है।

डिवाइस की स्क्रीन पर अचानक से पॉप-अप का बढ़ जाना भी वायरस होने की ओर इशारा करता है।

कंप्यूटर वायरस कितनी तरह के होते हैं?

कंप्यूटर वायरस अलग-अलग तरह के होते हैं, यहां कुछ कॉमन कंप्यूटर वायरस के बारे में बता रहे हैं-

फाइल इन्फेक्टर वायरस- फाइल इन्फेक्टर वायरस शुरुआत में केवल एक फाइल को अपना निशाना बनाते हैं, जिसके बाद यह धीरे-धीरे कंप्यूटर की दूसरी फाइल्स और डेटा को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इस तरह के वायरस का मेन सोर्स ऑनलाइन गेम्स होते हैं।

मैक्रो वायरस- मैक्रो वायरस सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के लिए लिखी जाने वाली लैंग्वेज में ही तैयार किया जाता है। इस तरह का वायरस ईमेल के जरिए सिस्टम में एंट्री कर सकता है। जैसे ही यूजर इस तरह की फाइल को वर्ड प्रोसेसर में ओपन कर लेता है, यह सिस्टम में एंट्री लेकर डिवाइस को नुकसान पहुंचाने लगता है।

ओवरराइट वायरस- ओवरराइट वायरस सबसे खतरनाक कंप्यूटर वायरस में से एक माना जा सकता है। यह होस्ट के प्रोग्रामिंग कोड को पूरी तरह बदल कर मालवेयर कोड को इन्सर्ट कर देता है। यूजर को इसकी भनक भी नहीं लग पाती और उसकी बैंकिंग और निजी जानकारियां तक मालवेयर के जरिए लीक होने लग जाती हैं।

रेजिडेन्ट वायरस- रेजिडेन्ट वायरस कंप्यूटर की मेमोरी में अपनी जगह बनाता है। इस तरह के वायरस को हार्डवेयर से रिमूव करना मुश्किल होता है। यह मेमोरी में छुप कर सिस्टम की दूसरी फाइल्स को नुकसान पहुंचाता है।

डायरेक्ट एक्शन वायरस- डायरेक्ट एक्शन वायरस .exe या .com फाइल से जुड़े होते हैं। इन पर क्लिक करते ही यह यूजर के डिवाइस में डायरेक्ट एंट्री पा लेते हैं। यह नॉन-रेजिडेन्ट वायरस भी कहलाए जाते हैं।

कंप्यूटर वायरस से कैसे बचा जाए?

कंप्यूटर वायरस से बचने के लिए एंटीवायरस की सुरक्षा काम आती है। अगर यूजर अपने डिवाइस में एंटी-वायरस इन्स्टॉल कर लेता है तो कंप्यूटर वायरस से डिवाइस को बचाया जा सकता है। दरअसल एंटीवायरस एक सॉफ्टवेयर होता है, इसमें कई प्रोग्राम्स काम करते हैं।

ये प्रोग्राम्स डिवाइस में मौजूद वायरस को डिटेक्ट कर उन्हें रिमूव करने का काम करते हैं। इसी के साथ फ्री एंटीवायरस की जगह यूजर को पेड सर्विस लेने की सलाह दी जाती है।