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क्या है Nomophobia, कैसे ये स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों को बनाता है अपना शिकार; आप भी तो नहीं...

Smartphone हर किसी के लिए एक जरूरी गैजेट है इसका इस्तेमाल हर कोई करता है। लेकिन कुछ ऐसे यूजर्स होते हैं जो हद से ज्यादा यूज करते हैं। अगर आप भी इनमें से हैं तो आपको सतर्क होने की जरूरत है। क्योंकि आप Nomophobia का शिकार हो सकते हैं। यहां बताने वाले हैं कि ये क्या है और हमें कैसे नुकसान पहुंचा रहा है।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 15 Mar 2024 06:00 PM (IST)
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कहीं आप भी तो नहीं Nomophobia के शिकार
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। SmartPhone का इस्तेमाल हमारी लाइफ का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। वगैर फोन के एक घंटे समय बिताना भी मुश्किल है। लेकिन अगर आप ऐसे यूजर हैं जो स्मार्टफोन का इस्तेमाल घंटों-घंटों तक करते हैं तो आपको थोड़ा सतर्क होने की जरूरत हैं।

हो सकता है आप Nomophobia बीमारी का शिकार हों। इस लेख में हम इसी के बारे में बताने वाले हैं कि आखिर यह क्या होता है और कैसे ये हमें अपना शिकार बना रहा है। 

फोन की लत से बचें

आसान शब्दों में कहें तो Nomophobia एक ऐसी बीमारी है जो हद से ज्यादा स्मार्टफोन यूज करने वाले यूजर्स को होती है। इसमें यूजर स्मार्टफोन के प्रति इस कदर कनेक्ट हो जाता है कि वह वगैर फोन के समय बिता ही नहीं पाता है। नोमोफोबिया यानी नो-मोबाइल-फोबिया एक साइकोलॉजिकल कंडीशन होती है। अगर वह मोबाइल से दूर होते हैं तो वह रह नहीं पाते हैं।

नशे की तरह है आदत

स्मार्टफोन की आदत लगना नशे की तरह है। एक्सपर्ट मानते हैं कि जो लोग बहुत ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं वह एक समय पर इसके साथ इतना कनेक्ट हो जाते हैं, जो उन्हें इस आदत का शिकार बना देती है। ऐसे लोग मोबाइल से कुछ मिनट दूर होने के बाद ही बैचेन होने लगते हैं।

बचने के लिए सेफ्टी टिप्स

अगर आपको भी लगता है कि स्मार्टफोन की आदत आपको भी लग चुकी है तो आपको संभल जाने की जरूरत है।

अत्यधिक फोन यूज करना आपकी मानसिक कंडीशन के लिए नुकसान दायक साबित हो सकता है। इससे बचने के लिए आपको कुछ सेफ्टी टिप्स फॉलो करने चाहिए।

कोशिश करें जब फोन की बहुत जरूरत हो तो ही इस्तेमाल करें। अगर आपका काम कहीं बिना स्मार्टफोन के चल सकता है तो उससे दूर रहने में ही आपकी भलाई है।

स्मार्टफोन की आदत से छुटकारा दिलाने में माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन जैसी तकनीकें आपके काम आ सकती हैं। इसके अलावा स्मार्टफोन की बजाय किताबों को अपना साथी बना सकते हैं। 

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