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बड़े काम का है QR Code, पेमेंट करने में ही नहीं, हैकर्स से भी सुरक्षित रखता है आपकी निजी जानकारियां

What Is QR Codes How It Works History And Internet Security Hacking And More क्यूआर कोड्स का इस्तेमाल हर दूसरा इंटरनेट यूजर करता है। पेमेंट करने से लेकर वॉट्सऐप का इस्तेमाल डेस्कटॉप पर करने तक क्यूआर कोड काम में आते हैं। इस आर्टिकल में क्यूआर कोड के इतिहास और इसकी साइबर सिक्योरिटी को लेकर अहम जानकारियां देने जा रहे हैं।

By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Wed, 12 Jul 2023 06:00 PM (IST)
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What Is QR Codes How It Works History And Internet Security Hacking And More

नई दिल्ली, टेक डेस्क। स्मार्टफोन और इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ यूजर की सहूलियत के लिए क्यूआर कोड की सुविधा मिलती है। क्यू आर कोड यानी क्विक रिस्पॉन्स। फास्टेस्ट इंटरनेट टेक्नोलॉजी के समय में इंटरनेट यूजर को हर काम सुपर फास्ट स्पीड में ही करना पसंद है।

यही वजह है कि स्मार्टफोन का कैमरा मात्र कुछ सेकंड भर के लिए कोड की तरफ पॉइन्ट करने के साथ ही यूजर के इंटरनेट से जुड़े काम चुटकियों में हो जाते हैं। बस की टिकट से लेकर लैपटॉप पर वॉट्सऐप इस्तेमाल करने तक क्यू आर कोड यूजर के काम आ रहे हैं।

क्यूआर कोड का इस्तेमाल करते हुए क्या आपके जेहन में कभी सवाल आया कि आखिर क्यूआर कोड काम कैसे करता है।  इस आर्टिकल में क्यूआर कोड के इतिहास से लेकर इसकी साइबर सिक्योरिटी पर बात कर रहे हैं-

क्या होता है QR code?

आसान भाषा में समझें तो क्यूआर कोड छुपी हुई जानकारियों को डिजिटल डिवाइस की मदद से एक्सेस करने का एक फास्ट और सुरक्षित तरीका है।

इस बार कोड के डेटा को यूजर अपनी आंखों से नहीं देख सकता है, लेकिन यही छुपी हुई जानकारियों को स्मार्टफोन का कैमरा स्कैनिंग के साथ सेकंडों में रीड कर सकता है। क्यूआर कोड में स्कायर-शेप्ड ग्रिड में जानकारियों को स्टोर कर हाइड किया जाता है।

QR code का क्या है इतिहास?

स्मार्टफोन महंगा हो या सस्ता यूजर की जरूरत को देखते हुए इस डिवाइस को बिल्ट-इन क्यू आर रीडर्स के साथ तैयार किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं यूजर के काम को आसान बनाने वाली इस सुविधा को पहली बार कब पेश किया गया था। दरअसल क्यूआर कोड को साल 1994 में इन्वेन्ट किया गया था।

इस सिस्टम को इन्वेंट करने वाली जापानी कंपनी का नाम डेन्सो वेव था, जिसे टोयोटा की सब्सडिटी के रूप में जाना जाता है। हालांकि, क्यूआर कोड की जरूरत वाहनों और उनके पार्ट्स को मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के दौरान बेहतर ट्रैकिंग के लिए लाया गया था।

क्यू आर कोड में छुपी जानकारियों को रीड करने का भी एक खास पैटर्न होता है। एक स्टैंडर्ड बार कोड को टॉप टू बॉटम रीड किया जाता है, जबकि क्यूआर कोड को टॉप टू बॉटम और राइट टू लेफ्ट रीड किया जाता है।

क्यू आर कोड में एक बडे़ अमाउंट में डेटा को स्टोर किया जा सकता है। क्यूआर कोड में वेबसाइट का यूआरएल, फोन नंबर और 4000 कैरेक्टर्स के टेक्स्ट के डेटा को स्टोर किया जा सकता है।

QR code कितने सुरक्षित हैं?

अब सवाल आता है कि क्यूआर कोड को इस्तेमाल करना तो बेहद आसान है, लेकिन क्या क्यू आर कोड्स के साथ साइबर सिक्योरिटी की भी पूरी गारंटी मिल सकती है।

यहां समझने की जरूरत है कि क्यूआर कोड को हैकर्स द्वारा हैक नहीं किया जा सकता है, लेकिन क्यूआर कोड का सोर्स क्या है यह मायने रखता है। हैकर्स मैलिसियस क्यूआर को क्रिएट कर सकते हैं।

क्यूआर कोड सही है या गलत इसका पता लगा पाना थोड़ा मुश्किल काम है, ऐसे में यूजर द्वारा किसी फेक वेबसाइट से किसी तरह के क्यू आर को स्कैन करना उसकी पर्सनल जानकारियों के चोरी होने की वजह बन सकता है।

यूजर को सलाह दी जाती है कि ट्रस्टेड सोर्स से ही क्यूआर कोड को स्मार्टफोन से स्कैन करना चाहिए। पब्लिक प्लेस में मौजूद किसी भी क्यूआर कोड को स्कैन करना खतरनाक माना जा सकता है।