नई दिल्ली, टेक डेस्क। इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ बहुत सी चीजें पहले के मुकाबले आसान हो गई हैं। सवाल चाहे जैसा भी हो, यूजर के इंटरनेट वाले डिवाइस में हर सवाल का जवाब मौजूद है।
स्मार्टफोन में मौजूद सर्च इंजन हर दूसरे यूजर की रोजाना की जिंदगी से जुड़ा अहम हिस्सा है।
क्या आपने कभी सोचा है, सर्च इंजन आखिर है क्या, यह कैसे काम करता है, कब आया होगा पहला सर्च इंजन और इसकी जरूरत क्यों होती है। सर्च इंजन से जुड़े तमाम सवालों के ही जवाब इस आर्टिकल में देने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या होता है सर्च इंजन?
सबसे पहले यही समझने की कोशिश करते हैं कि सर्च इंजन क्या है। आसान भाषा में समझें तो सर्च इंजन एक ऐसा सॉफ्टवेयर सिस्टम है जो वर्ल्ड वाइड वेब पर मौजूद वेब पेज़ तक पहुंचने का माध्यम बनता है। सर्च इंजन पर कीवर्ड टाइप करने के साथ ही उस कीवर्ड से जुड़े सभी वेब पेज की लिस्ट यूजर के डिवाइस स्क्रीन पर आ जाती है।
इंटरनेट पर मौजूद ढेर सारी जानकारियां में से यूजर के किसी एक समय पर जरूरत के आधार पर इन जानकारियों में से केवल काम की जानकारियों को उपलब्ध करवाने में सर्च इंजन ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वर्तमान समय में सर्च इंजन का नाम आते ही, यूजर के जेहन में पहला नाम गूगल का आता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि
गूगल का इस्तेमाल भारत ही नहीं दुनिया भर के कई देशों में होता है। हालांकि, पड़ोसी देश चीन की बात की जाए तो यहां इंटरनेट सर्च के लिए baidu का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा, याहू,
बिंग, यांडेक्स, ask.com, इंटरनेट आर्काइव का इस्तेमाल भी इंटरनेट सर्च के लिए किया जाता है।
सर्च इंजन कैसे करता है काम?
आखिर सर्च इंजन कैसे काम करता है, यह जानना भी जरूरी है। टेक्निकल भाषा में समझें तो यूजर के लिए सेंकडों में मिलियन से भी ज्यादा सर्च रिजल्ट करवाने वाला इंजन असल में तीन स्टेप्स में काम करता है। जैसे ही एक यूजर किसी सवाल को लेकर
ब्राउजर के सर्च इंजन पर पहुंचता है सर्च इंजन सवाल के जवाब के लिए क्रॉलिंग (Crawling) करता है।
इस स्टेप में यूजर के कीवर्ड को वर्ल्ड वेब वाइड में खोजने के साथ ही ऐसे वेब पेज को खोजा जाता है, जिनसे टाइप किया गया कीवर्ड मैच करे। इसके लिए सर्च इंजन वेब पेज को स्कैन करता है, जिसमें वेब पेज के कंटेंट से लेकर टैग्स और टाइटल को चेक किया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गूगल सर्च इंजन एक सेकंड में 100 से 1000 पेज को विजिट करता है।
दूसरे स्टेप में सर्च इंजन पेज की इंडेक्सिंग (Indexing)करता है। इंडेक्सिंग का मतलब है, खोजे गए जवाबों को डेटाबेस में प्लेस और लिस्ट करना। इस स्टेप में एक सर्च इंजन यूजर की जरूरत के मुताबिक वेबसाइट की रैंकिग करती है। अक्सर सर्च रिजल्ट में टॉप वेबसाइट को ज्यादा पेज व्यू मिलते हैं, क्यों कि कोई भी यूजर सवाल का जल्दी से जवाब जानने के लिए पहले पेज पर समय और मेहनत को बचाने के लिए पहले दूसरे या तीसरे लिंक पर ही क्लिक करना चाहेगा।
सर्च इंजन के लिए किसी सवाल के जवाब को देने के लिए तीसरा स्टेप बेहद मायने रखता है। यह रैंकिंग और रिट्राइवल है (Ranking And Retrieval)। यह स्टेप सर्च इंजन पर यूजर की विश्वसनियता और प्राथमिकता बनाए रखने के लिए जरूरी है। यूजर को उसके सवाल का सटीक जवाब मिले, यही यूजर की चाहत होती है।
ऐसे में यूजर को उसके सर्च का सबसे सही और सटीक जवाब देने के लिए सर्च इंजन एल्गोरिथ्म का इस्तेमाल करते हैं। इस एल्गोरिथ्म के जरिए ही खोज गए जवाबों में पहले, दूसरे और तीसरे जैसे नंबर की रैंकिग दे, यूजर की स्क्रीन पर जवाब उपलब्ध करवाए जाते हैं।
सर्च इंजन की जरूरत क्यों है?
अब सवाल आता है सर्च इंजन की जरूरत क्यों है? यूजर की मेहनत और समय की बचत के लिए सर्च इंजन की जरूरत है। वर्ल्ड वाइड वेब में मौजूद जानकारियों के ढेर में से काम की जानकारियां सेकंडों में मिले इसके लिए सर्च इंजन जरूरी है।
कब आया सबसे पहला सर्च इंजन, क्या था नाम?
सर्च इंजन के इतिहास पर नजर डालें तो साल 1990 में वर्ल्ड वाइड वेब पर जानकारियों को लोकेट करने के लिए Archie के रूप में सबसे पहला सर्च इंजन डेवलप हुआ।
यह सर्च इंजन एक कैनेडियन कंप्यूटर साइंटिस्ट Alan Emtage ने पेश किया था। हालांकि, समय के साथ कई दूसरे सर्ज इंजन इंटरनेट यूजर्स की जरूरत के साथ पेश होते गए। पॉपुलर सर्च इंजन याहू को साल 1994 में पेश गया वहीं, गूगल सर्च इंजन साल 1995 में अस्तित्व में आया। माइक्रोसॉफ्ट का बिंग साल 2009 में लाया गया है।