क्या होता है SIM Swap Scam? स्कैमर किस तरह बिछाते हैं ठगी का जाल, बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
What is SIM Swap Scam स्कैमर अलग-अलग तरीकों से यूजर को अपने जाल में फंसाते हैं। ठगी का ही एक तरीका Sim Swap स्कैम है। इस स्कैम के तहत स्कैमर यूजर के नंबर पर खुद के पास मौजूद सिम को एक्टीवेट करवा लेता है। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)
By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Mon, 10 Apr 2023 04:23 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। डिजिटल वर्ल्ड में स्कैमर्स पहले से ज्यादा एक्टिव हो गए है। ठगी के लिए स्कैमर्स अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। ठगी के लिए स्कैमर्स एडवांस तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ऐसे तरीकों से एक कमजोर यूजर वर्ग पर निशाना साधा जा सकता है।
कई बार यूजर को भनक भी नहीं लगती और स्कैमर अपना काम कर जाता है। आपके साथ किसी तरह का कोई स्कैम ना हो, इसलिए हर स्कैम की जानकारी होनी चाहिए।
क्या होता है SIM swap scam
इस आर्टिकल में आपको ठगी के लिए इस्तेमाल होने वाले SIM swap scam के बारे में बताने जा रहे हैं। इस स्कैम में स्कैमर के पास यूजर की सिम का कंट्रोल आ जाता है।सिम का कंट्रोल मिलने से साफ है कि स्कैमर यूजर के डिवाइस का कंट्रोल पा लेता है और आसानी से ओटीपी, बैंकिंग पासवर्ड की जानकारी पा सकता है। इतना ही नहीं, SIM swap scam के जरिए स्कैमर यूजर के डिवाइस में डिजिटल पेमेंट ऐप्स से ट्रांजेक्शन भी कर सकता है।
SIM swap scam का प्रॉसेस
पहले स्टेज में यूजर को अपने जाल में फंसाने के लिए स्कैमर किसी यूजर को निशाना बनाता है। यूजर की जानकारियां चुराने के लिए तमाम तरह के तरीके अपनाता है। इसके लिए यूजर को ईमेल या मैसेज के जरिए लिंक्स भेजे जा सकते हैं। यूजर को फंसाने के लिए स्कैमर किसी फेक वेबसाइट यानी मालवेयर का भी इस्तेमाल कर सकता है। इतना ही नहीं, यूजर को कॉल कर भी उससे जानकारियां हासिल की जा सकती हैं।एक बार, यूजर की संवेदनशील जानकारियां लीक हो जाएं तो स्कैमर दूसरे स्टेज पर आता है। इस स्टेज में स्कैमर यूजर के टेलीकॉम ऑपरेटर को कॉल करता है। यहां स्कैमर किसी तरह का बहाना बना कर खुद के पास मौजूद सिम पर यूजर का नंबर एक्टीवेट करवा लेता है। आपके पास सिम होने के बावजूद आपके नंबर पर दूसरी सिम का इस्तेमाल होता है
जैसे ही स्कैमर अपनी सिम में यूजर का नंबर एक्टीवेट करवा लेता है, उसका काम पूरा हो जाता है। स्कैमर को यूजर के डिवाइस का एक्सेस मिल जाता है। इसके बाद यूजर के फोन पर आने वाले कॉल्स, मैसेज से लेकर ओटीपी पासवर्ड की जानकारी यूजर को आसानी से उसके डिवाइस में मिल रही होती है।